Ainnews1.Com:-देश में इन दिनों कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे है। पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में कोरोनावायरस ज्यादा है। नए केसों की गिनती हजारों में आ रही हैं। इन्ही सबके चलते केरल में मंकीपॉक्स की दहशत बढ़ गई है। स्कूल खुले होने की वजह से बच्चों की ज्यादा चिंता हैं। ऐसे में उन पर खास ध्यान देना जरूरी है। तमिलनाडु में मंगलवार को कोरोना के 2,142 नए केस सामने आए। शुक्र है, इस दौरान राज्य में कोरोना से किसी की मौत नहीं हुई। बंगाल में सोमवार को कोरोना के करीब डेढ़ हजार लोग सामने आए थे। मंकीपॉक्स की दस्तक और कोरोना में ताजा उछाल की स्थिति पर सरकार लगातार नजर बनाए हुए है।केरल सरकार ने मंगलवार को अलप्पुझा के राष्ट्रीय विषाणु रोग विज्ञान संस्थान की प्रयोगशाला में मंकीपॉक्स की जांच शुरू कर दी है। राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने यह जानकारी दी, कि जांच किट एनआईवी, पुणे से मंगाई गई। राज्य के अलग-अलग जिलों से नमूने अलप्पुझा लाए जा रहे हैं। केरल के कन्नूर में सोमवार को एक व्यक्ति के मंकीपॉक्स से संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी। भारत में मंकीपॉक्स संक्रमण का यह दूसरा मामला है। केरल के कन्नूर का 31 वर्षीय यह व्यक्ति दुबई से लौटा था।मंकीपॉक्स की पुष्टि मरीज के नाक और गले से लिए जाने वाले नमूनों की आरटी-पीसीआर जांच से होती है। राज्य में 28 प्रयोगशालाएं है, जहां पर कोविड-19 की आरटी-पीसीआर जांच की जाती है। अगर नमूनें बढ़े तो इन प्रयोगशालाओं का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। मंकीपॉक्स के पहले मामले की पुष्टि होने के तीन से चार दिन के भीतर केरल में जांच केंद्र स्थापित कर लिया गया है।वहीं, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंकीपॉक्स के जोखिम को कम रखने के लिए कई कदम उठाए। इस बारे में केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्यसभा को जानकारी दी कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, चार जुलाई तक यूरोपीय क्षेत्र में 4,920 मंकीपॉक्स के मामले पाए गए हैं। मामलों में बढ़ोतरी का ट्रेंड है। ज्यादातर मामले ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस और नीदरलैंड में मिले हैं। भारत में पहले मामले का 14 जुलाई को पता चला था। तब एक व्यक्ति केरल आया, इसके बाद केंद्र ने दक्षिणी राज्य में इसके फैलाव को रोकने और रोकथाम के प्रयासों में मदद के लिए विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों की एक टीम भेजी थी।देश में मंकीपॉक्स की दस्तक और कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच सबसे ज्यादा चिंता बच्चों को लेकर है। स्कूल पूरी तरह से खुल चुके हैं। ऑनलाइन क्लासेज खत्म हो चुकी हैं। ऐसे में जरूरी है कि उन पर खास ध्यान दिया जाए। उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग को बनाए रखने के साथ क्लास में भी मास्क लगाए रखने के लिए बोले, इन हालातों में स्कूलों की भी जिम्मेदारी है कि वे कोरोना एप्रोप्रिएट बिहेवियर को अपनाएं। इसमें क्लास का सैनिटाइजेशन और दूसरे साफ-सफाई के कदम जरूरी हैं। बच्चों की पढ़ाई जरूरी है। लेकिन उनके लिए सुरक्षित माहौल बनाना भी अहम है। 12 साल से अधिक उम्र के बच्चों का वैक्सीनेशन शुरू हो गयी है। ऐसे में पैरेंट्स को उन्हें टीका लगवा देना चाहिए। इसमें किसी भी तरह की लापरवाही खतरनाक साबित हो सकती है।