कोविड-19 के कारण छह महिने के बच्चे के आंखों का रगं बदल गया, डॉक्टरों ने बताई ये वजह!
कोरोना के चक्कर मे काफी लोगो की मौत हो गई थी काफी लोगो को कोरोना हुआ था जिसमे से कुछ लोगो की जान तो ठीक उपचार के चक्कर मे बच लगी थी लेकिन काफी लोगो की इसमे मौत भी हो गई थी. लेकिन जो लोग कोविड-19 के बीमारी से बचे है उनके अन्दर किसी ना किसी चीज में दिक्कत अभी है । कोविड-19 का एक बेहद चौकाने का मामला सामने आया है बता दे कि कोविड-19 के इलाज के दौरान एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जिसमे मेडिकल साइड इफेक्ट के कारण बच्चे के आंखों का रगं ही बदल गया।
क्या है पूरा मामला
अपको बता दे कि यह अजीबोगरीब का मामला थाईलैंड की है जहां पर एक छह महीने बच्चे को कोविड-19 के चक्कर में उसकी आंखों का रगं बदल गया है बता जा रहा है कि छह महीने बच्चे को एक दिन बुखार और खांसी के बाद उसमें कोविड के लक्षण मिले। कोविड के लक्षणँ के बाद बच्चे को तीन दिन के लिए फेविपिराविर दवाई दिया गया , जिससे दवाई के चक्कर में बच्चे के स्वास्थ्य में सुधार आया। लेकिन इलाज के कुछ दिन बाद बच्चे की मां ने देखा कि उसके बच्चे के आंखों का रगं बदल गया है। पूरी तर से आंखों का रगं बदलकर नीला हो गया है बता दे कि पहले बच्चे के आंखों के आंखों रगं हल्का भूरा था जो इलाज के बाद नीले रंग में बदल गया।
आंखों का नीला होने के चक्कर मे डॉक्टर ने इलाज रोका
आंखों का नीला होने के चक्कर में डॉक्टर ने इलाज रोक दिया और फेविपिराविर को पांच दिन तक बंद करने के बाद बच्चे के आंखो का रंग फिर से अपने मूल रूप में आ गया। बाल रोग विशेषज्ञों ने फेविपिराविर के कारण आंखों के रंग में हुए बदलाव के बाद थेरेपी बंद करने की सलाह दी। इसके बंद करने के पांच दिन बाद कॉर्निया अपने मूल रूप में आ गया। थाईलैंड जैसा ही मामला साल 2021 में भारत में भी एक ऐसी घटना सामने आई थी, जहां फेविपिराविर के कारण 20 वर्षीय एक व्यक्ति की गहरे भूरे रंग की आंखें चमकीली नीले रंग में बदल गई थी। साल 2022 में थाईलैंड की सरकार ने कोविड-19 के इलाज के लिए इसके इस्तेमाल की अनुमति दी थी। इसे बच्चों में हल्के से मध्य लक्षणों के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। लेकिन अब ठीक से उपचार के चक्कर में ऐसी मामला अब नही आ रहे है।