क्या आप सभी जानते है कि पहले कांवड़ कौन लेकर आया था ?
सावन के महीने में शिव भक्तों के लिए कांवड़ का यात्रा एक तीर्थ यात्रा की तरह है। लोगो सावन का इतजांर सालो से करते है ताकि कावंडियों कावडं लेकर के आपने श्रद्धा के अनुरुप किसी तालाब, नदी से पवित्र जल लेकर आते है और फिर भगवान शिव का अभिषेक करते है आबकि बार सावन 4 जुलाई से ही देश में सावन का महीना शुरू हो गया हैं. ऐसे में लोग जगह जगह शिव भक्ति के रंग में डूबे नज़र आ रहे हैं. कई लोग सावन के माह में कांवड़ लेकर भी निकल पड़ते हैं. आप ने भी कई बार कांवड़ उठाई होगी या कांवड़ियों को रास्ते में देखा होगा. ये लोग जहां से भी गुजरते हैं वो एरिया शिवजी के जयकारों से गूँज उठता हैं. कोई बम-बम बोले के जयकारा करता हुआ नजर आता है लेकिन क्या आप इस कांवड़ यात्रा की असली वजह जानते हैं? आखिर इसकी शुरुआत कैसे हुई? पहला कांवड़िया कौन था? कांवड़ लेकर जाने से क्या लाभ होते हैं और इसके क्या नियम हैं? आज हम आपको इससे संबंधित पूरी जानकारी देने जा रहे हैं.
ये भी कहा जाता है कि पहली कावंड़ को लेकर कई तरह की कहानियां है औक कुछ कहानियों के हिसाब से तो पहली बार कावंड़ रावण लाया था. इसके अलावा भी पहली कांवड़ को लेकर कई कहानियां है तो आज हम आपको बताते है कि पहली कांवड़ को लेकर क्या कहा जाता है. साथ ही जानते है कि वो क्या प्रंसग है, जिसके आधार पर माना जाता है कि रावण पहला कांवड़िया था, जिसने कहीं से जल लाकर भगवान शिव का अभिषेक किया था.
पहली कांवड़ को लेकर क्या है पूरी सचाई।
हिदूं मान्यताओं के अनुसार प्रचलित कहानियों मे कांवड़ यात्रा का कनेक्शन समुद्र मंथन से बताया जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान भगवान शिव ने मंथन में निकला विष पी लिया था और जिसके बाद कई नकारात्मक प्रभावों ने भगवान शिव को घेर लिया था. इसके बाद शिव भक्त कहे जाने वाले रावण ने भगवान शिव की अराधना किया और फिर कावंड़ मे जल लाकर भगवान का जलाभिषेक किया था, माना जाता है कि इस वजय से कावंड़ यात्रा शुरुआत हुई थी. जिसके बाद शिव भक्त अलग अलग जगहों सो जल लाकर भगवान शिव को चढाते है.
अखिकार कौन है पहले कांवड़िए
आपको बता दे कि मान्यताओं के अनुसार से कांवड़ की शुरुआत परशुराम ने की थी अब आप सोच रहे होगे की रावण ने भगवान शिव की आराध्ना किया था पहली बार भी रावण ने शिव के ऊपर जल चढाया था फिर परशुराम पहले कांवड़िए कैसे हो सकते है . कहा जाता है कि सहस्त्रबाहु की हत्या के पश्राताप करने क् लिए परशुराम ने कावंड़ यात्रा की शुरुआत की थी. माना जाता है कि उस दौरान गढ़मुक्तेश्रर से कावंड़ में गंगाजल लेकर आए थे और फिर इस प्राचीन शिवलिंग का अभिषेक किया था. ये परंपरा तब से आज तक चली आ रही है।
वहीं कुछ लोगों का मानना है कि त्रेतायुग में श्रवण कुमार ने कावंड़ यात्रा की शुरुआत की थी. जब श्रवण कुमार अपने माता-पिता को कधें पर बैठाकर यात्रा कर रहे थे, उस दौरान उन्होंने अपने मां- बाप को कावंड़ में बैठाकर हरिद्वार मे गंगा स्नान करवाया था और उसके बाद वो वहां से जल लेकर भी आऐ थे ऐसा भी कहा जाता है कि पहली कावंड की शुरुआत श्रवण ने की थी.