नोटबंदी को हो गए 6 साल
6 साल में देश में बढ़ी करेंसी
71% बढ़ गया नकदी का सर्कुलेशन
AIN NEWS 1: नोटबंदी का एलान ठीक 6 साल पहले 8 नवंबर को पीएम मोदी ने किया था। अचानक लिए गए इस फैसले से हर कोई हैरान रह गया था। लेकिन 6 साल बीत जाने के बावजूद नोटबंदी देश में कागजी नोटों के सर्कुलेशन में कोई कमी नहीं कर पाई है, उल्टा 21 अक्टूबर 2022 तक देश में नकदी 30.88 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। ये आंकड़ा 4 नवंबर 2016 के मौजूद 17.7 लाख करोड़ रुपये के स्तर से 71.84 फीसदी ज्यादा है।
काले धन-भ्रष्टाचार पर लगाम के लिए हुई थी नोटंबदी
अर्थव्यवस्था में भ्रष्टाचार और काले धन की दिक्कत को खत्म करने के मकसद से सरकार ने 500 और 1 हज़ार रुपये के नोटों का चलन खत्म करके 500 और 2 हज़ार के नए नोट जारी किए थे। हालांकि सरकार को अपने इस फैसले की आलोचना भी झेलनी पड़ी थी क्योंकि इसे खराब योजना करार देते हुए इसे लागू करने के तरीके पर भी सवाल खड़े किए गए थे। सरकार के इस फैसले का मकसद भारत को ‘कम नकदी’ वाली इकॉनमी बनाना था। सर्कुलेशन में मौजूद करेंसी का पता लगाने के लिए बैंकों के पास मौजूद नकदी को कुल करेंसी में से घटाया जाता है। इसी से ये अनुमान मिलती है कि सर्कुलेशन में कुल कितनी रकम है।
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— 𝐀𝐈𝐍 𝐍𝐄𝐖𝐒 𝟏 (@ainnews1_) November 7, 2022
डिजिटल पेमेंट्स बढ़े लेकिन नोट ज्यादा तेजी से बढ़े!
इसमें बढ़ोतरी इसलिए भी हैरानी बढ़ाती है क्योंकि नोटबंदी के बाद से ही पेमेंट के लिए सुविधाजनक डिजिटल विकल्प को बढ़ावा मिला था। ये विकल्प लोगों में बेहद लोकप्रिय होने के बावजूद इकॉनमी में कैश का इस्तेमाल लगातार बढ़ रहा है। इंटरॉपरेबल पेमेट्स सिस्टम जैसे UPI, वॉलेट और PPI से पैसे का डिजिटल ट्रांसफर आसान हो गया है। इससे डिजिटल ट्रांजेक्शंस की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है। ऐसे में कुल भुगतान में डिजिटल ट्रांजेक्शंस की हिस्सेदारी 2016 के 11.26 फीसदी के मुकाबले 2022 में बढ़कर 80 परसेंट पर पहुंच गया है। 2027 तक इसकी हिस्सेदारी 88 फीसदी पर पहुंचने का अनुमान है। ऐसे में डिजिटल पेमेंट सिस्टम के इस कदर लोकप्रिय होने के बावजूद जिस तरह से कैश का इस्तेमाल भी बढ़ा है उसमें कुछ हाथ तो इकॉनमी के विस्तार का है लेकिन दूसरी तरफ लोगों का अभी भी कैश पर भरोसा बने रहना भी इस ग्रोथ की एक बड़ी वजह का संकेत नजर आ रहा है।