AIN NEWS 1: उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। चर्चा यह है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दिल्ली बुलाया जा सकता है। लेकिन सवाल यह है कि अगर उन्हें दिल्ली बुलाया जाता है, तो उन्हें कौन सी जिम्मेदारी मिलेगी? क्या यह कदम योगी को साइडलाइन करने की रणनीति है या बीजेपी में उनकी बढ़ती लोकप्रियता का संकेत?
योगी को हटाने की चर्चाएं कहां से आईं?
योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता लोकसभा चुनाव के बाद और भी बढ़ गई है। उन्होंने यूपी में बीजेपी को शानदार जीत दिलाई और समाजवादी पार्टी को उपचुनाव में करारा जवाब दिया। लेकिन इसी दौरान कुछ बीजेपी नेताओं ने बयान दिया कि योगी को दिल्ली भेजा जाना चाहिए और यूपी की कमान केशव प्रसाद मौर्य को दी जानी चाहिए।
हरदोई से बीजेपी विधायक श्याम प्रकाश ने यह बयान देकर राजनीतिक भूचाल ला दिया कि योगी दिल्ली चले जाएं और यूपी की कमान केशव मौर्य को दी जाए। उनके इस बयान ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है।
बीजेपी और आरएसएस में क्या चल रहा है?
बीजेपी और आरएसएस के अंदर भी इस मुद्दे पर मंथन चल रहा है। नागपुर में हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में योगी आदित्यनाथ को लेकर कुछ बड़े फैसले होने की अटकलें हैं। सूत्रों के मुताबिक, आरएसएस योगी को और बड़ी जिम्मेदारी देने पर विचार कर रहा है।
गुजरात लॉबी और यूपी बीजेपी के कुछ नेता योगी के बढ़ते कद से परेशान हैं। उनका मानना है कि अगर योगी दिल्ली आते हैं, तो उनकी जगह कोई और यूपी में नेतृत्व कर सकता है। हालांकि, बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता इस विचार से सहमत नहीं हैं।
योगी बनाम विरोधी गुट – कौन किस तरफ?
योगी आदित्यनाथ को यूपी में बीजेपी की सबसे ताकतवर शख्सियत माना जाता है। उनके विरोधी गुट कई बार उन्हें कमजोर करने की कोशिश कर चुके हैं, लेकिन हर बार वे और मजबूत होकर उभरे हैं।
केशव प्रसाद मौर्य गुट: यह गुट चाहता है कि योगी को दिल्ली बुलाकर यूपी की राजनीति से दूर किया जाए।
आरएसएस और बीजेपी हाईकमान: नागपुर और दिल्ली में हो रही बैठकों से संकेत मिल रहे हैं कि योगी को लेकर आरएसएस और बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व में मंथन जारी है।
योगी समर्थक गुट: योगी के समर्थकों का कहना है कि यूपी में उनकी लोकप्रियता चरम पर है और उन्हें हटाने की कोई संभावना नहीं है।
योगी के बढ़ते कद से विरोधी परेशान
लोकसभा चुनाव के बाद यूपी में 10 सीटों पर उपचुनाव हुए, जिसमें से 8 सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की। इस जीत का श्रेय सीधे तौर पर योगी आदित्यनाथ को दिया जा रहा है।
यूपी की मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर भी योगी की रणनीति कामयाब रही।
समाजवादी पार्टी का वोट बैंक लगातार कम हो रहा है।
हिंदू वोट बैंक के बीच योगी की मजबूत पकड़ बनी हुई है।
क्या मोदी-शाह योगी को दिल्ली बुलाएंगे?
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह योगी को दिल्ली बुलाने का फैसला लेंगे? अगर हां, तो क्या उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जाएगी, या यह सिर्फ एक राजनीतिक रणनीति है?
कुछ विश्लेषकों का मानना है कि अगर योगी दिल्ली आते हैं, तो उन्हें गृह मंत्रालय या रक्षा मंत्रालय जैसी बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। लेकिन यह भी संभव है कि योगी को यूपी में ही बने रहने दिया जाए, क्योंकि वहां बीजेपी को 2027 में फिर से जीत हासिल करनी है।
योगी अभी यूपी में ही रहेंगे!
हालात को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि योगी आदित्यनाथ फिलहाल यूपी में ही बने रहेंगे। हालांकि, बीजेपी में अंदरखाने कई तरह की चर्चाएं चल रही हैं, लेकिन योगी की मजबूत पकड़ और जनसमर्थन को देखते हुए उन्हें हटाना आसान नहीं होगा।
आरएसएस और बीजेपी हाईकमान इस पर क्या फैसला लेते हैं, यह आने वाले दिनों में साफ होगा, लेकिन एक बात तय है कि योगी की बढ़ती लोकप्रियता से उनके विरोधी बैकफुट पर हैं।
The political landscape in Uttar Pradesh is witnessing a major debate: Will Yogi Adityanath be moved to Delhi? Speculations are rife that BJP and RSS are considering his role at the national level. With UP politics heating up, some BJP leaders suggest that Keshav Prasad Maurya could take over as Chief Minister. However, given Yogi Adityanath’s popularity, especially after BJP’s victory in by-elections, removing him might not be easy. As Narendra Modi and Amit Shah evaluate their strategy, Yogi’s role in BJP’s future politics remains a crucial question. Will he take on a bigger role in Delhi, or continue to strengthen BJP in UP? Only time will tell.