क्या श्रद्धा और आफताब का लिव इन रिलेशन गैरकानूनी था? आखिर किस डेटिंग एप की वजह से 20 लड़कियों से एक संग अफेयर चला रहा था आफताब?

दिल्ली के महरौली में श्रद्धा मर्डर केस में पुलिस अपनी छानबीन कर रही है। हर रोज इस केश मे नए-नए खुलासे भी हो रहे हैं। अब तक दिल्ली पुलिस...

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AIN NEWS 1: बता दें दिल्ली के महरौली में श्रद्धा मर्डर केस में पुलिस अपनी छानबीन कर रही है। हर रोज इस केश मे नए-नए खुलासे भी हो रहे हैं। अब तक दिल्ली पुलिस के अनुसार, श्रद्धा और आफताब लिव-इन-रिलेशनशिप में रह रहे थे। मई 2022 में आफताब ने श्रद्धा के 35 टुकड़े आरी से कर दिए और उन्हें महरौली के जंगल में एक एक करके फेंकता रहा ताकि पकड़ा न जाए।इन सब के बीच एक सवाल ये उठता है कि क्या श्रद्धा और आफताब का लिव-इन-रिलेशनशिप में रहना गैरकानूनी था? या फिर नहीं? तो इस खबर में इसी टॉपिक को करते हैं क्लियर।

पहला सवाल- लिव-इन-रिलेशनशिप का आख़िर मतलब क्या है?

जवाब– लिव-इन-रिलेशनशिप में दो बालिग यानी एडल्ट आपसी सहमति से एक घर मे एक साथ रहते हैं। उनका रिश्ता बिलकुल पति-पत्नी की तरह होता है, लेकिन वो दोनों एक-दूसरे के साथ शादी के बंधन में अभी नहीं बंधे होते हैं।

दूसरा सवाल- भारत में लिव-इन-रिलेशनशिप को लेकर कोई कानून है भी या नहीं?

जवाब– कानून बिल्कुल है। सुप्रीम कोर्ट ने एक केस में फैसला सुनाते हुए कहा था कि व्यस्क होने के बाद कोई भी व्यक्ति किसी के भी साथ रहने या शादी करने के लिए स्वतंत्र होता है। कोर्ट के इस फैसले के बाद भारत में लिव-इन-रिलेशनशिप को कानूनी मान्यता भी मिल गई थी।

तीसरा सवाल- क्या किसी के साथ 15 दिन रहना या 1 महीने, तब भी उसे लिव-इन-रिलेशनशिप ही माना जाएगा, आख़िर कानून में इसकी परिभाषा क्या है?

जवाब– घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 की धारा 2(f) के तहत लिव-इन-रिलेशनशिप को परिभाषित किया गया है। जब दो व्यक्ति बालिक होने के बाद आपसी सहमति से एक दूसरे के साथ पति पत्नी की तरह रहे।

चौथा सवाल- लिव-इन में रहने वाला पुरुष अगर अपनी महिला पार्टनर के साथ मारपीट करे, तो उस स्थिति में क्या होगा?

जवाब– महिला पार्टनर ऐसी सिचुएशन में घरेलू हिंसा एक्ट की धारा-12 के तहत उस पर केस दर्ज भी करा सकती है। इसकी शिकायत डायरेक्ट मजिस्ट्रेट को भी की जा सकती है। इसके अलावा घरेलू हिंसा एक्ट की धारा-18 के तहत महिला पार्टनर प्रोटेक्शन ऑर्डर की भी डिमांड रख सकती है।मजिस्ट्रेट पूरे मामले को सुनकर, जो भी फैसला सुनाते हैं। अगर उस फैसले को पुरुष नहीं मानता है, तो उसे 1 साल की जेल या 20 हजार का जुर्माना या दोनों की पनिशमेंट भी धारा-31 के अंतर्गत दी जा सकती है।

पांचवा सवाल- कई बार लिव-इन में रहने वाले कपल को काफ़ी प्रताड़ित किया जाता है। जैसे- आसपास या पड़ोस के लोग पुलिस बुलाने की धमकी देते हैं, ऐसे रिश्ते को गैरकानूनी बताते हैं। क्या ये वाकई कोई अपराध है?

जवाब– लिव-इन में रहने वाले लोग, उन लोगों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने साफ साफ़ कहा था कि कुछ लोगों की निगाह में अनैतिक माने जाने के बावजूद ऐसे रिश्ते में रहना कोई भी अपराध नहीं है।

छठा सवाल- अगर लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने वाले दोनों पार्टनर में से कोई भी एक पहले से शादीशुदा हो, तब भी क्या उसे लिव-इन में रहने का अधिकार मिल जाता है?

जवाब– लिव-इन में केवल दो ऐसे ही लोग रह सकते हैं, जिनकी पहले से कोई शादी न हुई हो, दो तलाकशुदा लोग या फिर जिनके पार्टनर की मौत हो गई हो।इसका मतलब साफ है कि आफताब और श्रद्धा का लिव-इन में रहना गैरकानूनी बिलकुल भी नहीं था। अब तक आफताब या श्रद्धा की शादी को लेकर कोई भी जानकारी सामने नहीं आई है।और पहले से शादीशुदा पार्टनर लिव-इन में नहीं रह सकता है- इस पर कोर्ट का फैसला जान लें…इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक कपल की तरफ से सुरक्षा याचिका भी लगाई गई थी, जो लिव-इन में रहना चाहते थे। इसमें लड़की पहले से ही शादीशुदा थी। कोर्ट ने इस याचिका को 15 जून साल 2021 को सिरे से ही खारिज कर दिया और अनपर 5 हजार का जुर्माना भी लगा दिया। कोर्ट ने साफ कहा कि अगर दो अविवाहित बालिग लोग लिव-इन में रहने चाहते हैं, तब तो कोई दिक्कत नहीं है।हम एक बात क्लियर कर दें- देश के संसद ने लिव-इन रिलेशनशिप पर कोई भी कानून नहीं बनाया है। केवल सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसलों के जरिए लिव-इन वाले रिश्तों को कानूनी दर्जा दिया है।

जान ले 

पैदा होने वाले बच्चे को सुरक्षा का अधिकार- लिव-इन-रिलेशन से पैदा होने वाले बच्चे को भारतीय न्यायपालिका की तरफ से सुरक्षा का पूरा अधिकार है।इसमें महिला पार्टनर को भरण पोषण का अधिकार- CrPC की धारा-125 के तहत शादीशुदा महिलाओं को भरण-पोषण का अधिकार है। इसी धारा में लिव-इन वाली महिलाओं को भी भरण-पोषण का पूरा अधिकार है।पैदा हुए बच्चे को पैतृक संपत्ति में अधिकार- बालसुब्रमण्यम Vs सुरत्तयन मामले में लिव इन रिलेशनशिप से पैदा हुए बच्चे को पहली बार यह वैधता मिली थी। उस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कोई महिला या पुरुष काफी सालों तक साथ रहते हैं, तो एविडेंस एक्ट की धारा-114 के तहत इसे शादी ही माना जाएगा। इसलिए लिव-इन में पैदा हुए बच्चे को भी वैधता मिलेगी और उसको पैतृक संपत्ति में अधिकार भी मिलेगा।

शातवा सवाल- अगर दोनों में से कोई भी एक पार्टनर पहले से शादीशुदा है और वो तलाक लिए बगैर लिव-इन में रहता है, तो उसका क्या होगा?

जवाब– ऐसा करने पर IPC यानी भारतीय दंड संहिता की धारा-494 के तहत यह एक अपराध माना जाएगा।

आठवा सवाल- क्या कहती है IPC की धारा-494?

जवाब– पति या पत्नी के जिंदा रहते हुए या बगैर तलाक लिए दोबारा शादी करने पर IPC की धारा-494 के तहत अपराध माना जाता है। इसमें अपराधी को 7 साल तक की जेल या जुर्माना या फिर दोनों की सजा मिल सकती है। हालांकि, ये धारा किसी मुस्लिम धर्म के व्यक्ति पर बिलकुल अप्लाई नहीं होगी।

नोवा सवाल- क्या लिव-इन-रिलेशनशिप में रहते हुए कोई बच्चा आप गोद ले सकता है?

जवाब– नहीं, बिल्कुल नहीं। लिव-इन में रहते हुए आपको बच्चे पैदा करने का अधिकार है, लेकिन बच्चे गोद लेने का अधिकार बिलकुल भी नहीं है।

दसवां सवाल- लिव-इन में रहते हुए रिश्ते खराब हो जाएं, तो क्या जबरन रेप का केस दर्ज किया जा सकता है?

जवाब– कुछ सालों पहले सुप्रीम कोर्ट में एक मामला राजस्थान का पहुंचा था। एक महिला और एक पुरुष चार सालों से लिव-इन में रह रहे थे। इस रिश्ते से उन्हें एक बेटी भी है। फिर दोनों के रिश्ते काफ़ी खराब होने लगे। महिला ने पुरुष पर बलात्कार का मुकदमा दर्ज कर दिया। राजस्थान हाई कोर्ट ने पुरुष को जमानत देने से भी इनकार कर दिया।अब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि अगर लंबे समय से दो लोग साथ रह रहे हैं और बाद में उनके रिश्ते खराब हो भी जाते हैं, तो ऐसे में रेप का आरोप लगाना अपने आप में गलत है। यहां महिला अपनी मर्जी से सालों से पुरुष के साथ रह रही थी। इसलिए पुरुष के खिलाफ रेप का केस तो नहीं बनता है।

ये भी जान लीजिए-

2006 में ही पहली बार सुप्रीम कोर्ट ने लिव-इन-रिलेशनशिप को सही बताया था।

सुप्रीम कोर्ट ने साल 2006 के एक केस में फैसला देते हुए कहा था कि, एडल्ट होने के बाद कोई भी व्यक्ति किसी के भी साथ रहने या शादी करने के लिए बिलकुल आजाद है। इसके बाद से ही यह लिव-इन-रिलेशनशिप को कानूनी मान्यता मिल गई।आपको बताते चले एक्टर, खुशबू ने लिव-इन को सही बताया, तो उन पर दर्ज हो गए थे 23 आपराधिक मामलेयह मामला 2010 का है। साउथ फिल्मों की जानी-मानी एक्टर खुशबू ने एक बयान दिया था कि शादी से पहले फिजिकल रिलेशन बनाना और लिव-इन-रिलेशनशिप में रहना गलत बिलकुल नहीं है। उनके इतना कहने भर से काफ़ी ज्यादा विवाद हो गया था, मामला कोर्ट तक भी पहुंच गया था। उनके खिलाफ 23 आपराधिक मामले भी दर्ज हुए थे। फिर काेर्ट ने 2006 के केस का हवाला दिया और इस तरह के रिश्ते को सही बताया।लिव-इन-रिलेशनशिप को कई बार यह बताया गया है कि ये अडल्ट्री की परिभाषा में आता है, इसलिए ये गैर कानूनी है। सुप्रीम कोर्ट के एक के बाद एक फैसले की वजह से लिव-इन में लगा ये दाग भी काफ़ी हद तक हट गया-

2006 में इंडियन पैनल कोड की धारा-497 के तहत अडल्ट्री यानी व्याभिचार गैर-कानूनी था।

शादीशुदा व्यक्ति और अविवाहित व्यक्ति के बीच या फिर दो शादीशुदा लोगों के बीच लिव-इन रिलेशनशिप को कानूनी मान्यता बिलकुल नहीं थी।

2018 में एक जनहित याचिका पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अडल्ट्री कानून को ही रद्द कर दिया।

इस तरह सुप्रीम कोर्ट के साल 2006 और 2018 के फैसले एकदम साफ हैं और संविधान के आर्टिकल-141 के तहत उतने ही मजबूत कानून हैं, जैसे संसद या विधानसभा द्वारा यह पारित कानून होते हैं।

यह भी जान लीजिए-

लिव-इन-रिलेशनशिप की शुरुआत विदेशों में हुई थी। ऐसा माना जाता है कि इसका चलन एडम और ईव ने शुरू किया था। एडम को दुनिया का पहला पुरूष और ईव को पहली ऐसी महिला माना गया है। दोनों बगैर शादी के साथ ही रहे थे। बाइबिल में इस कपल का जिक्र है। दिल्ली-मुंबई जैसे महानगरों में भले ही यह नया ट्रेंड हो, लेकिन भारत के कई राज्यों में बसे आदिवासियों के बीच अब यह बीती बात हो चुकी है। झारखंड में तो इसे ढुकू कहा जाता है। साल 2019 की एक रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में करीब 2 लाख कपल लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं। छत्तीसगढ़ के बस्तर में आदिवासी इसे पैठू कहते हैं। यहां बिना शादी के मां बनी महिला को पूरी इज्जत भी दी जाती है।

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