Ainnews1.com:- नोएडा की ग्रैंड ओमैक्स सोसाइटी में महिला के साथ अभद्रता करने वाला श्रीकांत त्यागी फिलहाल जेल में है, लेकिन उसे लेकर सियासत काफ़ी तेज हो गई है. घटना के बाद से विरोध के जो सुर उठे तो वो थमने का नाम ही नहीं ले रहे हैं. श्रीकांत त्यागी के पक्ष में रविवार को त्यागी समाज की महापंचायत नोएडा के गेझा गांव में सम्पन्न हुई. वहीं, आरएलडी खुलकर श्रीकांत त्यागी के समर्थन में उतर कर आ गई है और पार्टी नेता त्रिलोकनाथ त्यागी ने तो इस मामले को 42 साल पहले हुए ‘माया त्यागी कांड’ से भी जोड़ दिया. ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर क्या था ‘माया त्यागी कांड’, जिससे उस समय की सरकार पूरी तरह हिल गई थी.
माया त्यागी कांड क्या है?
18 जून 1980 की तारीख यानी 42 साल पहले का यह मामला है. गाजियाबाद निवासी ईश्वर त्यागी अपने दो साथियों राजेंद्र दत्त, सुरेंद्र सिंह और पत्नी माया त्यागी के साथ सफेद एंबेसडर कार से एक शादी समारोह में शामिल होने साथ साथ बागपत जा रहे थे. तभी रास्ते में कार पंक्चर हो गई थीं. बागपत के चौपाल रेलवे क्रॉसिंग से पहले वह पंक्चर बनवाने के लिए रुके और अपने दोनों दोस्तों के साथ चाय की दुकान की तरफ चल दिए, लेकिन माया त्यागी कार में ही बैठी रहीं. इस दौरान वहां पर दो लोग आए और माया त्यागी से बेहद बदतमीजी करने लगे. ऐसे में ईश्वर त्यागी अपने दोस्तों के साथ दौड़कर कार के पास आए और दोनों युवकों को थप्पड़ मारकर वहा से भगा दिया.
पंक्चर बनाने वाले दुकानकार ने ईश्वर त्यागी को बताया कि जिनसे झगड़ा हुआ है, वो बागपत थाने के स्टाफ हैं यानी पुलिस कर्मी . इसमें एक सब इंस्पेक्टर नरेंद्र सिंह चौहान है, वो बहुत खतरनाक व्यक्ति है. इसीलिए जितनी जल्दी हो आप लोग यहां से निकल लीजिए. ईश्वर त्यागी फौरन निकलने लगे, लेकिन दुर्भाग्य से कार स्टार्ट ही नहीं हुई. कार को जब तक धक्का दिया जाता, तभी सब इंस्पेक्टर नरेंद्र सिंह चौहान ने 10-12 पुलिस वालों को साथ मे आकर उन्हें घेर लिया. ईश्वर त्यागी, राजेंद्र दत्त और सुरेंद्र सिंह को उन्होंने गोली मार दी और ताकत के नशे में चूर नरेंद्र सिंह ने माया त्यागी को कार से बाहर घसीट लिया. यह मामला काफ़ी चर्चा में रहा था।