भारत को 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के पीएम नरेंद्र मोदी के महत्वकांक्षी लक्ष्य के वक्त पर पूरा होने की उम्मीद कमजोर पड़ती जा रही है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ के डेटा के मुताबिक भारत को 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर वाली इकोनॉमी बनाने का लक्ष्य हासिल होना मुश्किल है। आईएमएफ का कहना है कि भारत को इतनी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने में लक्ष्य के मुकाबले 4 साल की देरी होगी। IMF के हिसाब से 2029 के पहले भारत का 5 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बनना मुश्किल है। आईएमएफ के डेटा के मुताबिक 2025 के लक्ष्य के 4 साल बाद यानी 2028-29 तक भारत 4.92 लाख करोड़ डॉलर की इकोनॉमी बन जाएगा। यानी तबतक भी भारत 5 ट्रिलियन डॉलर के नजदीक ही पहुंच सकेगा और लक्ष्य हासिल करने में कुछ दिन और लग सकते हैं। ऐसे में भारत को अगर IMF के अनुमान को गलत साबित करना है तो फिर ग्रोथ रेट में तेजी के लाने के लिए अतिरिक्त कोशिश करनी होगी। इस कोशिश के तहत स्टार्ट अप जैसे तेजी से उभरते सेक्टर्स के साथ ही कृषि जैसे पारंपरिक सेक्टर्स को भी सरकार को भरपूर मदद करनी होगी। वैसे IMF के अनुमान के अनुमान से पहले फरवरी में मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. वी. अनंत नागेश्वरन ने भरोसा जताया था कि 2025-26 तक भारत 5 लाख करोड़ डॉलर वाली अर्थव्यवस्था बन जाएगा। उन्होंने कहा था कि अगर 8 से 9 फीसदी की ग्रोथ बरकरार रहती है तो भारत तक तक ये उपलब्धि हासिल कर लेगा। फिलहाल भारत डॉलर मूल्य में 3 लाख करोड़ डॉलर की इकोनॉमी के आंकड़े को पार चुका है। हालांकि इस उपलब्धि को वक्त पर पूरा ना होने देने के पीछे कई कारण जिम्मेदार हैं। इनमें शामिल हैं। कोरोना काल में लुढ़की देश की अर्थव्यवस्था महंगाई से परेशान ग्लोबल इकॉनमी। रूस-यूक्रेन युद्ध से उपजे हालात। जाहिर है जब तक जियोपॉलिटिकल हालात सामान्य नहीं होंगे तबतक भारत समेत दुनिया के सभी देशों के लिए तेज तरक्की करना आसान नहीं रहेगा।