कोविड-19 से हुई मौतों को लेकर WHO के आंकड़ों को सरकार ने सिरे से खारिज कर दिया है। सरकार ने कोविड-19 से देश में हुई मौतों को छिपाने के WHO के आरोप को गलत करार दिया है। इन दावों में जो भी सच्चाई हो … इतना तो तय है कि कोरोना भारत के लोगों की सेहत पर भारी पड़ा है.. इसके साथ ही देश की आर्थिक सेहत को भी कोरोना से काफी नुकसान पहुंचा है। इससे भी ज़रुरी बात है कि यूरोप और एशिया के कई देशों में कोरोना की चौथी लहर ने तबाही मचाई हुई है। ऐसे में डर है कि ये अब गर्मियों में ही भारत में भी दस्तक दे सकता है। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि ये बीमारी अभी खत्म नहीं होने वाली और दुनिया जल्द ही कोविड-19 का एक नया प्रकोप देखेगी। साइंस ऑफ द टोटल एनवायरनमेंट जर्नल में पिछले हफ्ते छपे इजराइल के एक मॉडलिंग अध्ययन में बताया गया है कि कोरोना वायरस का ओमीक्रोन वेरिएंट तो कम हो सकता है लेकिन अगले कुछ महीनों में डेल्टा वेरिएंट या कोरोना का कोई नया स्ट्रेन नया प्रकोप ला सकते हैं। स्टडी में बताया गया है कि जब कोई नया स्ट्रेन आता है तो पिछला स्ट्रेन खत्म हो जाता है लेकिन डेल्टा के मामले ऐसा नहीं हुआ है। ओमीक्रोन और उसके सबवेरिएंट आने के बाद भी डेल्टा खत्म नहीं हुआ है। ऐसे में लोगों को वैक्सीन लगवाने में जरा भी देरी नहीं करनी चाहिए। साथ ही बूस्टर लगवाकर भी लोगों को नई लहर से बचने की कोशिश करनी चाहिए। इसके साथ ही अब एक नई स्टडी में दावा किया गया है कि लोग जिन सतहों को छूते हैं उनके मुकाबले सांस में जाने वाली हवा के माध्यम से कोविड-19 के वायरस का संक्रमण होने की आशंका 1,000 गुना ज्यादा होती है। जाहिर है जिस तरह से चीन में एक हफ्ते से घरों में बंद लोगों को भी कोरोना हो रहा है उसकी वजह का खुलासा इस स्टडी से हो रहा है। जानकारों का भी मानना है कि खुली हवा में मास्क के बिना रहने वालों को कोविड ज्यादा परेशान कर सकता है। कुछ ऐसे ही मामले कोविड की पहली और दूसरी लहर के दौरान भारत में भी सामने आए थे। इनमें घर में बंद रहने वाले लोगों को भी कोरोना संक्रमण हो गया था।
By:-
पवन चौधरी
न्यूज़ डायरेक्टर