गाजियाबाद में अतिक्रमण के नाम पर हर महीने खर्च हो रहे हैं 18 लाख, फिर भी नहीं सुधर रहे हालात !

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गाजियाबाद में अतिक्रमण के नाम पर हर महीने खर्च हो रहे हैं 18 लाख, फिर भी नहीं सुधर रहे हालात !
साहिबाबाद नगर निगम क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के नाम पर हर माह सरकारी खजाने से लगभग 18 लाख रुपये खर्च किए जाते है। इनमें प्रवर्तन दल, पुलिसकर्मियों की तनख्वाह और बुलडोजर का डीजल की रकम शामिल है।
अतिक्रमण हटाने के नाम पर नगर निगम खानापूरी कर रहा है। पूरे शहर में अतिक्रमण का मकड़जाल बना हुआ है। बुलडोजर घूंट की तरह पीता है डीजल
बुलडोजर एक घंटे में चार लीटर डीजल पीता है। मिट्टी की खोदाई की जाए तो ज्यादा डीजल की खपत होती है। निगम द्वारा अतिक्रमण के नाम पर ठेली-पटरी वालों को हटा दिया जाता है।
 बलडोजर जाने के बाद फिर से ठेली पटरी वाले उसी स्थान पर आ जाते हैं। प्रत्येक स्थान पर अतिक्रमण हटाने के नाम पर दो से तीन घंटे या इससे अधिक समय तक बुलडोजर को घुमाया जाता है।
 अतिक्रमण हटता नहीं और बुलडोजर में तेल की खपत की जाती है। इससे राजस्व का नुकसान होता है। बुलडोजर चलाने वाले व्यक्ति को भी तनख्वाह दी जाती है।
 अतिक्रमण मुक्त करने के लिए मिली पुलिस
 पूर्व में नगर निगम के पास अतिक्रमण हटाने के लिए केवल प्रवर्तन दल था। प्रवर्तन दल में 10 सेवानिवृत्त फौजी हैं जो अतिक्रमण हटाते वक्त निगम की टीम को सुरक्षा प्रदान करते हैं।
 कमिश्नरेट लागू होने पर निगम को चार पांच दारोगा और 25सिपाही दिए गए, जबकि पूर्व में निगम के अधिकारी थाने से फोर्स साथ लेकर जाते थे। थाने से फोर्स नहीं मिलने पर कार्रवाई का दिन आगे बढ़ा देते थे। अब नगर निगम के पास अतिक्रमण हटाने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं। इसके बाद भी कार्रवाई नहीं की जा रही है।
 पत्र लिखकर टाली जाती है कार्रवाई
 नगर निगम के अधिकारी अतिक्रमण रोकने के लिए पुलिस को पत्र लिख देते हैं। पुलिस अतिक्रमण हटाने को नगर निगम का काम बताते हुए पत्र का संज्ञान नहीं लेती है। निगम के अधिकारी पुलिस को पत्र लिखने की बात कर कार्रवाई करने की तिथि को आगे बढ़ाते रहते हैं।
 इस बारे में नगर आयुक्त डॉ. नितिन गौड़ ने कहा- अतिक्रमण हटाने के लिए सभी जोनल प्रभारियों को निर्देशित किया गया है। सभी स्थानों पर अतिक्रमण हटाया जाएगा।

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