AIN NEWS 1: गाजियाबाद प्रशासन ने एक अनोखी और सराहनीय पहल की है, जो किसानों को आत्मनिर्भर बनाने और शहरवासियों को शुद्ध व देसी उत्पाद उपलब्ध कराने की दिशा में एक बड़ा कदम है। अब विकास भवन केवल सरकारी कामकाज का केंद्र नहीं रहेगा, बल्कि यह किसानों और उपभोक्ताओं के बीच एक नई कड़ी बनकर उभरेगा।
प्रशासन द्वारा विकास भवन परिसर में “ग्रामीण संपदा केंद्र” (Rural Wealth Center) की शुरुआत की गई है, जहां किसान और स्वयं सहायता समूह (SHG) अपने हाथों से तैयार किए गए ऑर्गेनिक उत्पाद सीधे शहर के उपभोक्ताओं को बेच सकेंगे।
किसानों के विकास की नई राह
मुख्य विकास अधिकारी अभिनव गोपाल ने बताया कि इस केंद्र का उद्देश्य ग्रामीण उत्पादों को सीधे बाजार तक पहुंचाना है, ताकि किसानों और महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जा सके। अब तक एफपीओ (FPO) और स्वयं सहायता समूहों को अपने उत्पादों की मार्केटिंग में दिक्कतें आती थीं, लेकिन इस स्थायी मंच के जरिए उनकी समस्या का समाधान हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि यहां केवल ऑर्गेनिक और देसी उत्पाद ही बेचे जाएंगे, जिन्हें किसान प्राकृतिक तरीकों से तैयार करते हैं। यह पहल न केवल किसानों के लिए फायदेमंद है बल्कि उपभोक्ताओं को भी शुद्ध और स्वास्थ्यवर्धक वस्तुएं मिलेगीं।
क्या मिलेगा ग्रामीण संपदा केंद्र पर
शुरुआत में केंद्र पर लगभग दो दर्जन उत्पाद रखे गए हैं, लेकिन अगले कुछ दिनों में यह संख्या बढ़कर 100 से अधिक हो जाएगी। उपभोक्ता यहां से ऑर्गेनिक आटा, चावल, दालें, गुड़, मसाले और खेतों से सीधे आई ताज़ी सब्जियां खरीद सकेंगे।
सबसे खास बात यह है कि इन उत्पादों की सप्लाई सीधे किसानों से की जाएगी, जिससे बिचौलियों की भूमिका पूरी तरह खत्म हो जाएगी। इसका सीधा फायदा किसानों को बेहतर दाम और उपभोक्ताओं को सही मूल्य पर गुणवत्तापूर्ण सामान के रूप में मिलेगा।
किसानों की जुबानी
एफपीओ से जुड़े किसान सुनील चौहान ने बताया कि वे और उनके साथी लंबे समय से ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने में लगे हैं। उन्होंने कहा,
“हमारा मकसद केवल कमाई नहीं, बल्कि लोगों को स्वस्थ जीवन की ओर प्रेरित करना है। जब लोग ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थ अपनाएंगे, तो उनकी सेहत सुधरेगी और मिट्टी भी उपजाऊ बनेगी।”
उन्होंने बताया कि वे तिलक चंदन, चावल, मक्की का आटा और जैगरी (गुड़) जैसे उत्पाद लेकर आए हैं, जो पूरी तरह देसी और रासायनिक रहित हैं।
रोजगार और आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम
एफपीओ के एक अन्य सदस्य गौतम त्यागी ने बताया कि इस पहल से न सिर्फ किसानों को बाजार मिला है, बल्कि ग्रामीण युवाओं को भी रोजगार के अवसर मिल रहे हैं।
उन्होंने कहा,
“हमारे यहां रागी का आटा, ज्वार का आटा, मल्टीग्रेन आटा, हल्दी, धनिया, मिर्च, सरसों का तेल और शहद जैसे शुद्ध उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं। इस योजना से हमारी यूनिट में लगभग 80 लोगों को रोजगार मिला है, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा।”
ऑर्गेनिक जीवनशैली को बढ़ावा
इस पहल का एक बड़ा उद्देश्य ऑर्गेनिक लाइफस्टाइल को बढ़ावा देना भी है। विकास भवन का यह नया केंद्र शहरवासियों को प्राकृतिक और बिना मिलावट वाले उत्पाद उपलब्ध कराएगा। यहां आने वाले ग्राहक भरोसे के साथ ग्रामीण उत्पाद खरीद सकेंगे।
यह केंद्र किसानों और उपभोक्ताओं के बीच विश्वास का पुल साबित हो रहा है — एक तरफ किसानों को सही दाम और बाजार मिल रहा है, वहीं दूसरी ओर शहर के लोगों को शुद्ध और ताज़े उत्पाद।
गांव से शहर तक “ग्रामीण संपदा” की डोर
गाजियाबाद प्रशासन की यह पहल वास्तव में “गांव से शहर तक संपन्नता की डोर” बुनने जैसा है। जहां एक तरफ यह कदम किसानों को आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ा रहा है, वहीं दूसरी ओर शहरवासियों को स्वदेशी उत्पादों के प्रति जागरूक कर रहा है।
यह प्रयास प्रधानमंत्री के “आत्मनिर्भर भारत” और “वोकल फॉर लोकल” के संदेश को भी मजबूत करता है। आने वाले समय में यह मॉडल अन्य जिलों के लिए भी प्रेरणा बन सकता है।
किसानों के लिए फायदे
1. बिचौलियों से मुक्ति: किसान अपने उत्पाद सीधे बेच पाएंगे।
2. बेहतर मूल्य: किसानों को उनके सामान का सही दाम मिलेगा।
3. स्थायी मंच: एफपीओ और स्वयं सहायता समूहों के लिए लगातार बिक्री का माध्यम।
4. रोजगार सृजन: ग्रामीण इलाकों में नए रोजगार के अवसर।
5. ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा: प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन मिलेगा।
गाजियाबाद का यह “ग्रामीण संपदा केंद्र” केवल एक बाजार नहीं, बल्कि एक आर्थिक और सामाजिक क्रांति की शुरुआत है। यह पहल किसानों के परिश्रम को सम्मान दे रही है, और उपभोक्ताओं को प्रकृति के करीब ला रही है।
गांव की मिट्टी से तैयार उत्पाद अब शहर के बीचोंबीच मिल रहे हैं — यह केवल व्यापार नहीं, बल्कि भारत की ग्रामीण आत्मा और शहरी जीवन के बीच नई साझेदारी का प्रतीक है।
Ghaziabad’s Rural Wealth Center at Vikas Bhavan marks a turning point in farmer empowerment and organic food promotion in Uttar Pradesh. Through this initiative, farmers and FPOs will sell organic wheat, rice, pulses, jaggery, and spices directly to urban consumers, eliminating middlemen and ensuring fair prices. The Ghaziabad administration’s model aims to connect rural livelihoods with urban markets, promote sustainable farming, and strengthen the “Vocal for Local” movement in India.