घर में बाँस-पाइप में सब्जियाँ उगाकर ये महिला करती हैं लाखों की कमाई

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Ainnews1.com:–बचपन से सब्जी उगाने का शौक रखती है सुनीता, बर्तनो के टूट जाने पर वह उसमें मिट्टी भरकर कुछ नई सब्जी उगा देती है। एक दिन कबाड़ी बाले के सामान में उन्हें साइकिल पर एक पाइप नजर आया, जिसे उन्होंने खरीदा। पाइप को छत पर रखा। कुछ ही समय में उसमें मिट्टी जम गई। उसके बाद उसमें घास भी निकलकर बाहर आ गई। यह सब देखते ही सुनीता के दिमाग में यह आईडिया आया कि क्यों ना सब्जियों ही पाइप में उगायी जाए!सुनीता प्रसाद भले ही मात्र दसवीं ही पढ़ी हों, लेकिन अपने छोटे-छोटे अभिनव प्रयासों से इन्होनें न सिर्फ खुद को आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि आज वह गाँव के अन्य लोगों के लिए प्रेरणा भी बन चुकी हैं। वह मशरूम लाल से लेकर दूसरी सब्जियां घर पर ही उगाती। और उसे बेचकर पैसा कमाती।उन्हें अभिनव पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका। इतना ही नहीं उन्हें डीडी किसान के ‘महिला किसान अवार्ड शो’ में भी शामिल किया गया था। आइये जाने, आत्मनिभर्र सुनीता की कहानी।

 लॉकडाउन के बाद जब बड़े शहरों से छोटे शहरों की तरफ़ मजदूरों का माइग्रेशन शुरू हुआ तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ की बात कही। जिसका मतलब खुद के पैरो पर खड़ा होना है। इन दिनों कई ऐसे लोगों की स्टोरी सामने आ रही है, जिन्होंने आत्मनिर्भर बनने के लिए बहुत क्रिएटिविटी दिखाई हैं। जिनमें से एक हैं बिहार के सारण जिले के बरेजा गांव की सुनीता प्रसाद।धीरे-धीरे सिल-सिला बढ़ता चला गया और उन्हें जो भी पौधा मिलता उसे लगा देती थी। उनका यह आइडिया काम आया और धीरे धीरे उपज होनी शुरू हो गई।

उसमें बैंगन, भिंडी और गोभी उगने लगी। उनकी क्रिएटिविटी की चर्चा दूर-दूर तक के गांवों में होने लगी। इसके बाद खर्च बचाने के लिए उन्होंने बांस के साथ भी प्रयोग किया, इसमें भी वह सफल हुई। सुनीता ने अपने आईडिया पर अमल किया और अपने पति से ठीक बैसा ही एक और पाइप लाने को कहा।और उनके पति छह फुट लंबा पाइप बाजार से ले कर आये। और फिर सुनीता ने सुरु कर दिया पाइप में सब्जी उगाने का काम, सबसे पहले सुनीता ने पाइप में कुछ छेद किये इसके बाद मिट्टी डालकर उसमें कुछ पौधे लगाए।सुनीता के परिवार का आय का मुख्य स्त्रोत मशरूम है। इसके बारे में वह कहती हैं, “पहले खेती बढ़िया नहीं थी। हम सोचते थे कि हम आखिर क्या करे।उसके बाद उन्होंने पॉल्ट्री फार्म खोला, लेकिन उन्हे उसमे घाटा हुआ। इसके बाद मशरूम लगाया गया। इसके बाद उन्होंने वह पूसा स्थित कृषि विश्वविद्यालय से खेती की ट्रेनिंग लीं। और साइंटिफिक तरीके से खेती करना शुरू किया।तो पैदावर अच्छी होने लगी। अब उनकी अच्छी आमदनी हो रही है। गोभी देख तो किसान विज्ञान केंद्र की एक अधिकारी अचरज में पड़ गईं। उन्हीं की सलाह पर इसकी प्रदर्शनी लगाई और ‘किसान अभिनव सम्मान’ जीत लिया। सुनीता का कहना है कि आबादी बढ़ रही है। जमीन घट रही है। खाने के लिए तो सब्जी चाहिए। घर में सीमेंट और मार्बल लग रहे है। अभी नहीं सोचेंगे तो आगे क्या करेंगे।और उन्होंने कहा कि वर्टिकल खेती शुद्ध जैविक खेती है। लोग घर के किसी भी हिस्से में इसे कर सकते हैं। इससे हर आदमी कम से कम अपने खाने लायक सब्जी तो उगा ही सकता है। वर्टिकल खेती से उगी सब्जियों से लोगों का स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा और पैसे भी बचेंगे। सुनीता ओएस्टर मशरूम उगाती हैं। उन्हें शादी और पार्टी के लिए ऑर्डर मिलते हैं। जो मशरूम बच जाता है, उसे ड्रायर से सुखाकर डीप फ्रीजर में रख देती हैं। इतना ही पैकिंग कर दुकानों को भेजती हैं। सुनीता और उनका परिवार करीब पांच साल से मशरूम की खेती कर रहे है। इससे परिवार को साल में दो से ढाई लाख रुपए की अतरिक्त आमदनी हो जाती है।

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