AIN NEWS 1: गाजियाबाद/मसूरी। बता दें बिजली उपकरण और ट्रांसफार्मर चोरी के मामले में हापुड़ के थाना सिंभावली से कार्रवाई के बाद डासना जेल में बंद दो बंदियों बाबू और ताराचंद ने पुलिस, अदालत और जेल प्रशासन को भी गच्चा दे दिया। दोनों पहले तो नाम बदलकर जेल गए। और अदालत ने 10 जनवरी को जमानत दी बाबू को और रिहा हो गया ताराचंद। अदालत ने जेल में बंद दूसरे बंदी को तलब किया तो उसने अपना कोर्ट को असली नाम बता दिया। इसके बाद यह मामला खुला। अब डिप्टी जेलर ने दोनों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है।
अदालत ने रिहा हुए ताराचंद को फिर से जेल भेजने के आदेश भी दिए हैं। पुलिस ने जल्द आरोपी को गिरफ्तार करने का दावा किया है। जेल अधीक्षक आलोक सिंह ने इस मामले में बताया कि मूलरूप से स्टेशन कॉलोनी कासगंज निवासी और हाल में बृजघाट हापुड़ में रहने वाले ताराचंद और बाबू पुत्र छेम सिंह हाल निवासी रेलवे स्टेशन के पास गढ़मुक्तेश्वर को 17 दिसंबर 2022 को न्यायालय के आदेश पर ही जेल में लाया गया था। उस वक्त सिर्फ वारंट होता है और इसी के आधार पर बंदियों को जेल में प्रवेश भी दिया जाता है। इसके आधार पर ही बंदियों का जेल में रिकॉर्ड भी रखा जाता है। हापुड़ न्यायालय के रिहाई आदेश के बाद 10 जनवरी को जेल रिकॉर्ड के अनुसार पहचान और चिन्ह मिलान करने के बाद बाबू पुत्र छेम सिंह को रिहा कर दिया गया। बंदी ताराचंद पुत्र भूप राम को 11 जनवरी को न्यायालय ने जब तलब किया। इस पर जेल रिकॉर्ड के अनुसार ताराचंद को पेश कर दिया गया। लेकीन वहां बंदी ने अपना नाम बाबू पुत्र छेम सिंह बताया। पूछताछ में उसने बताया कि जेल में जाते समय दोनों ने साजिश करके आपस में अपने नाम बदल लिए थे। जेल में दाखिले के समय पूछताछ में ताराचंद ने अपना नाम बाबू और बाबू ने अपना नाम ताराचंद बताया था। इसी के आधार पर रिकॉर्ड भी दर्ज कर लिया गया। यानी बाबू को रिहा करना था लेकिन नाम बदलकर ताराचंद रिहा हो गया। जेल अधीक्षक का कहना है कि गिरफ्तारी के समय थाने स्तर पर ही आरोपियों के दस्तावेज ले लिए जाते हैं। जेल में तो सिर्फ वारंट भेजा जाता है। वहीं, एसीपी निमिष पाटिल ने बताया कि डिप्टी जेलर की तहरीर पर दोनों बंदियों के खिलाफ फर्जीवाड़ा करने की धारा में अब एफआईआर दर्ज कर ली गई है और मामले की पूरी जांच की जा रही है।
जाने रिहाई के वक्त भी नहीं किया आधार कार्ड से मिलान
बंदी के रिहाई के दौरान जेल प्रशासन की ओर से अपने रिकॉर्ड के साथ बंदी के आधार कार्ड का मिलान भी किया जाता है। बताया गया है कि इस दौरान बाबू के रिहाई के आदेश के साथ उसका आधार कार्ड भी भेजा गया था, इसके बावजूद जेल प्रशासन ने यह गलती कर दी। अब जेल के रिकार्ड में भी संशोधन किया गया है।