जहां लाखों लोग,30 हजार परिवार वर्षो से रह रहे हो उसे ही सरकार ने बताया शत्रु संपत्ति, गलती किसकी सज़ा किसे?

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AIN NEWS 1 गाजियाबाद: हमारे देश के बंटवारे के बाद से पाकिस्तान गए लोगों के नाम की जमीन पर गाजियाबाद के मोदीनगर में बसे हजारों लोग अब परेशान हैं। यहां पर सीकरी खुर्द गांव और उसके आसपास की ही लगभग 1800 बीघा रकबा यानी जमीन पर अब उत्तर प्रदेश सरकार की निगाह अब टेड़ी हो चुकी है। इस पूरी जमीन को खाली कराकर सरकार उस पर अपना कब्जा करने की तैयारी कर रही है। इस पूरे मामले में गौर करने वाली बात यह है कि इस जमीन पर अब तक 27 कॉलोनियां पूरी तरह से बस चुकी हैं, जिनमें लगभग 30 हजार परिवार कई वर्षो से रह रहे हैं। इस पूरी जमीन को ही यहां पर सरकारी सिस्टम की बड़ी लापरवाही के कारण भूमाफियाओं ने फर्जी तरीके से बेच भी दिया। अब यहां पर प्लॉट खरीदने वालों को अपनी यह जमीन जाती हुई दिख रही है। इसके चलते ही वे लोग आंदोलन और कई पंचायत कर रहे हैं। प्रभावित लोगों का साफ़ कहना है कि यहां पर अधिकारियों ने पूरी तरह से अवैधानिक तरीके से ही उनकी इस जमीनों को शत्रु संपत्ति घोषित किया है।

हमारे देश के बंटवारे के समय जो भी लोग पाकिस्तान चले गए थे, उनकी यहां जो भी जमीन थी उसको ही शत्रु संपत्ति घोषित किया गया था। इसी पूरे क्रम में ही मोदीनगर तहसील क्षेत्र में भी सीकरी खुर्द गांव की यह पूरी जमीन शेख अलाउद्दीन और निजामुद्दीन के नाम से दस्तावेजों में बताई गई है। रेकॉर्ड के अनुसार शेख निजामुद्दीन की कोई भी संतान नहीं थी। लेकीन कुछ साल पहले उनके रिश्तेदार मेरठ के लालकुर्ती निवासी मोहउद्दीन ने ही खुद को शेख का रिश्तेदार बताते हुए इस जमीन को तहसील दस्तावेजों में अपने नाम पर दर्ज करा लिया था। तभी से ही इस पूरे प्रकरण को लेकर काफ़ी ज्यादा विवाद चला आ रहा है। इस मामले में प्रभावित लोगों को कहना है कि अधिकारियों ने आपस में सांठगांठ कर मोहउद्दीन को यह लाभ पहुंचाने के मकसद से ही इस प्रकार से सभी दस्तावेज में इस पूरी जमीन को भी शत्रु संपत्ति दाखिल किया है। इस पूरी जमीन पर अब तक सीकरी खुर्द समेत कृष्णानगर, आनंद विहार, कैलाश बस्ती, नंदनगरी सहित लगभग 27 कॉलोनियां पूरी तरह से बसी हुई हैं।

इस मामले में क्या कहते हैं प्रभावित लोग

इस क्षेत्र में ही रहने वाले बबली गुर्जर का साफ़ कहना है, सीकरी खुर्द का कुल 1800 बीघा रकबा बहुत गलत तरीके से शत्रु संपत्ति घोषित किया गया है। इसको लेकर यहां के लोगो ने सभी जनप्रतिनिधियों एवं प्रशासनिक अधिकारियों से अनेक बार अपने दस्तावेज दिखाकर उनसे मदद की गुहार भी लगाई जा चुकी है। कई बार इसके लिए आंदोलन चलाया गया। इसमें कई बार उच्चाधिकारियों ने समाधान करने का भी आश्वासन दिया लेकिन अभी तक इसका कोई भी स्थाई समाधान नहीं किया गया है। इसके चलते ही एक महापंचायत भी की गई है।वहीं एक अन्य के अनुसार, जिस पूरी जमीन को यहां शत्रु संपत्ति बताया गया है उस पर दशकों से ये हजारों लोग रह रहे है। यह पूरा मामला ही करीब 50 हज़ार से ज़्यादा की आबादी से जुड़ा हुआ है। किसी भी कीमत पर इन लोगों को इस मामले में बेघर नहीं होने दिया जाएगा। इसके चलते ही हर प्रकार की लड़ाई लड़ने के लिए इससे प्रभावित लोग पूरी तरह से तैयार हैं। जरूरत पड़ेगी तो यह सभी लोग सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ़ अपने हक के लिए धरना प्रदर्शन भी करेंगे।

हालांकि, इस पूरे मामले में ही एसडीएम मोदीनगर संतोष कुमार राय ने बताया कि इस शत्रु संपत्ति को लेकर शासन स्तर से कोई भी पहली सूची अभी तक जारी नहीं हुई है। दरअसल कुल 362 लोगों ने गृह मंत्रालय में जांच के लिए अपना आवेदन किया था। गृह मंत्रालय से ही इस मामले में मौके पर जाकर जांच करने संबंधी आदेश आया है। वह सूची अभी वही है। बाकी पूरे प्रकरण में ही जांच रिपोर्ट डीएम को भी भेजी जा रही है। डीएम ही सुनवाई करने के बाद आगे कोई भी निर्णय लेंगे।

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