Ainnews1.com:- यू.पी में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद से मदरसों की तस्वीर बदलने की लगातार कोशिशे हो रही हैं। प्रदेश में सिर्फ कागजों पर चल रहे मदरसों को बंद कराया गया तो कभी मदरसों में उर्दू और अरबी के साथ हिंदी, अंग्रेजी, गणित और विज्ञान जैसे विषयों की पढ़ाई शुरू कराई। अब इसी कड़ी में यूपी मदरसा बोर्ड एक नया काम करने जा रहा है. मदरसा बोर्ड के चेयरमैन डॉ. इफ्तिखार अहमद ने बताया कि अब मदरसों से पास होकर देश-दुनिया में अपना नाम कमाने वाले डॉक्टर, इंजीनियर, आईएएस और आईपीएस बनने वाले छात्रों के नाम, उनकी फोटो के साथ होर्डिंग्स मदरसों में लगाई जाएगी. इससे अब मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को एक इंस्पिरेसन मिलेगा। कि उनके सीनियर देश-दुनिया में बड़ा काम कर रहे हैं. इससे उनको भी कुछ अच्छा करने की उम्मीदे जागेगी।यूपी में मदरसों को सुधारने के लिए एक और कदम उठाया गया है।डॉ. इफ्तिखार ने कहा, कि यह मैंने मऊ के दारुल उलूम नाम के एक मदरसे में देखा था,वहां के लोगों ने उस मदरसे से पास होकर डॉक्टर, इंजीनियर बनने वाले बच्चों के नाम नोटिस बोर्ड पर लगाए थे. हालांकि मदरसे में नाम उर्दू में लिखे थे तो मैंने मदरसा संचालकों से कहा है कि उर्दू के साथ-साथ अंग्रेजी में भी उन बच्चों के नाम लिखे जाएं, जिससे सभी लोग आसानी से इन नामों को पढ़ सकें. इसके साथ ही चेयरमैन ने कहा कि हमने यह तय किया कि उत्तर प्रदेश के सभी अनुदानित मदरसों में इसी तरह की प्रक्रिया शुरू की जाये। इससे उन मदरसों से पास होने वाले बच्चों को भी बताया जाएगा कि जिस मदरसे में वो पढ़ाई कर रहे हैं, वहां से उनके सीनियर आज समाज में कुछ बनकर देश और समाज का नाम रौशन कर रहे हैं।साथ ही इफ्तिखार ने यह भी कहा, कि पहले मदरसे में मदरसे के संचालक किसी भी अपने रिश्तेदार को बच्चों को पढ़ाने के लिये नौकरी पर रख लेते थे.. लेकिन अब टीईटी की तर्ज पर मदरसे में एमटीईटी की परीक्षा होगी. परीक्षा पास करने वाले टीचर ही मदरसों में बच्चों को पढ़ा सकेंगे। हम बच्चों को बेहतर तालीम की तरफ बढ़ा रहे हैं. मदरसों में सिर्फ उर्दू और अरबी ही नहीं, बल्कि हिंदी, अंग्रेजी, गणित और विज्ञान जैसे विषयों को भी पढ़ाया जा रहा है.डॉ इफ्तिखार अहमद जावेद ने कहा कि मऊ में मदरसा दारुल उलूम एक मॉडल बना है और अब हम इस मदरसे की तर्ज पर उत्तर प्रदेश के सभी 558 अनुदानित मदरसों में वहां के सफल छात्रों की फोटो और उनके नाम लिखकर लगाएंगे. इससे बड़ा संदेश जाएगा और जो लोग यह कहकर मदरसों पर ताना कसते थे,कि मदरसों से पढ़कर निकलने वाले बच्चे किसी काम के नहीं होते, उनकी पढ़ाई सिर्फ उर्दू और अरबी की ही होती है, वो सामान्य समाज के काबिल नहीं होते, उनको अब मदरसे के बच्चे जवाब दे रहे हैं.