जानें कब है श्री कृष्णा जन्माष्टमी, क्या शुभ मुहूर्त , क्या पूजन करने की विधि
जन्माष्टमी का त्योहार भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप लड्डू गोपाल की पूजा की जाती है। ऐसे में इस दिन आप अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भगवान श्रीकृष्ण के कुछ आसान और प्रभावशाली मंत्रों का जाप कर सकते हैं। माना जाता है कि यह वही दिन है जब भगवान विष्णु ने धरती पर कृष्ण अवतार लिया था. हर साल भाद्रपद माह के कृष्म पक्ष की अष्टमी तिथि पर कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है. इस दिन भक्त पूरे श्रद्धाभाव से अपने आराध्य श्रीकृष्ण के लिए व्रत रखते हैं और पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है. श्रीकृष्ण के लिए विविध आयोजन किए जाते हैं जिनमें पालकी सजाई जाती है और श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की कथा को नाटक या फिल्मों के माध्यम से दर्शाया जाता है. चलिए जानते है कब है कृष्णा जन्माष्टमी , क्या है शुभ मुहुर्त, क्या है पुजा विधि
कब है श्री कृष्ण जन्माष्टमी
कृष्ण जन्माष्टमी हिंदू धर्म का बड़ा पर्व है। भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के के दिन भगवान विष्णु ने भगवान कृष्ण के रूप में अवतार लिया था। जब से ही इस दिन को कृष्ण जन्मोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था। उस समय रोहिणी नक्षत्र था। भगवान कृष्ण के भक्त रात में 12 बजे कान्हा का जन्मोत्सव मनाते हैं। आइए जानते हैं इस साल यानी साल 2023 में जन्माष्टमी कब है।
जन्माष्टमी बनाने की तारीख क्या है
जन्माष्टमी इस साल अष्टमी तिथि का आरंभ 6 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 38 मिनट पर होगा और इसका समापन 7 सितंबर को शाम के समय 4 बजकर 15 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में जन्माष्टमी का व्रत 6 सितंबर को रखा जाएगा। जिसकी तैयारी धूमधाम से चल रही है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन लोग मंदिरों में जाते हैं। जन्माष्टमी के दिन मंदिरों और घरों में भगवान कृष्ण की मूर्ति को सजाया जाता है और विभिन्न प्रकार की पूजा और आराधना की जाती है। यह एक धार्मिक, सामाजिक, और परंपरागत त्योहार है जो भगवान कृष्ण की महिमा और उनके जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं का स्मरण कराता है। लोग इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की सच्चे मन से पूजा अर्चना करते हैं। पूरे दिन व्रत का पालन कर भक्त रात 12 बजे के बाद श्रीकृष्ण जन्म का इंतजार करते हैं। इस खास दिन को और ज्यादा खास बनाने के लिए कई ऐसे पकवान बनाए जाते हैं, जो कान्हा को काफी पसंद हैं। इस लेख में हम आपको कुछ ऐसे ही प्रसादों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनका भोग आप श्रीकृष्ण को लगा सकते हैं।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का क्या है शुभ मुहूर्त
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पूजा का शुभ मुहूर्त रात 11 बजकर 57 मिनट से प्रारंभ है. लड्डू गोपाल का जन्मोत्सव और पूजा मध्य रात्रि 12 बजकर 42 मिनट तक होगा. यह पूजा का शुभ मुहूर्त है. इस समय में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म होगा और उत्सव मनाया जाएगा.
क्या है पूजा विधि
जन्माष्टमी व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें. इसके बाद साफ कपड़े पहन कर घर के मंदिर में दीप जलाएं और सभी देवी-देवताओं की पूजा करें. लड्डू गोपाल का जलाभिषेक करें और भोग लगाएं और धूप-दीप जलाएं. रात्रि में पूजन के लिए तैयारी करें. जन्माष्टमी पर रात्रि पूजन का विशेष महत्व होता है क्योंकि भगवान कृष्ण का जन्म अर्धरात्रि में हुआ था. रात्रि पूजन के लिए श्री कृष्ण के लिए झूला सजाएं. इसके बाद श्रीकृष्ण को पंचामृत या गंगाजल से अभिषेक करें और फिर उनका श्रृंगार करें. इस दिन श्रीकृष्ण का बांसुरी, मोर मुकुट, वैजयंती माला कुंडल, पाजेब, तुलसी दल आदि से श्रृंगार किया जाता है. इसके साथ ही पूजा में उन्हें मक्खन, मिठाई, मेवे,मिश्री और धनिया की पंजीरी का भोग लगाया जाता है. पूजा में श्रीकृष्ण की आरती जरूर करें.