Thursday, February 6, 2025

जाने जेल में नियम विरुद्ध मुलाकात कराने के मामले में सिपाही फंसा ,तो अफसरों का खुला चिट्ठा, अशरफ से मुलाकात कराने पर आरक्षी ने बयां की हकीकत!

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AIN NEWS 1: बता दें माफिया अतीक अहमद के भाई अशरफ से बरेली जेल के अधिकारियों की अनुमति पर आरक्षी शिवहरि मुलाकातियों को कानून के विरुद्ध मिलवाता था। ये मुलाकातें जेल परिसर के मल्टीपरपज हॉल के सामने बने हुए गोदाम में ही होती थीं। जेल अधिकारियों के दिये बयान में ही सामने आया है कि शिवहरि और मनोज गौड़ संदिग्ध प्रवृत्ति के थे और उनकी अपराधियों से काफ़ी साठगांठ भी रहती थी। इस मामले की जांच में कुछ ऐसे नए लोगों के नाम भी अब सामने आए हैं जो अशरफ से मिलने के लिए जेल आए थे। अब इस बात पर बहुत हैरानी जताई जा रही है कि जिन जिन जेल अफसरों को इन गैरकानूनी मुलाकातों को इस प्रकार से रोकना था, उनके खिलाफ कोइ मुकदमा दर्ज कराने के बजाय उनपर केवल निलंबन और विभागीय कार्रवाई की ही सिफारिश की गयी है।जेल में बंद निलंबित आरक्षी शिवहरि ने भी डीआईजी के सामने अपने बयान में कहा कि सभी मुलाकातियों को अशरफ से मिलवाने का काम मैं जेलर राजीव मिश्रा और डिप्टी जेलर दुर्गेश प्रताप सिंह के निर्देश पर ही किया करता था। अधिकारियों के कहने पर ही अशरफ के मुलाकातियों की आईडी मे उनके सम्मुख प्रस्तुत करता था।

तीन-चार आईडी पर ही 6-7 लोगों की गोदाम में मुलाकात भी कराई जाती थी। और इसकी जानकारी समस्त जेल अधिकारियों को थी। मुलाकातियों को सद्दाम और लल्ला गद्दी ही लेकर आते थे, जिनको जेल के सभी अधिकारी पहले से ही जानते थे। लल्ला गद्दी बरेली जेल में पहले भी निरुद्ध रह चुका है।सद्दाम अशरफ के लिए बिल्ली का चारा, नमकीन, बिस्कुट, पान आदि लेकर आता जाता था, जिसे कैंटीन के सामान के साथ ही जेल के अंदर भेजा जाता था। ये सभी सामान मैं लम्बरदार लाला राम को दे देता था। वहीं लालाराम ने अपने बयान में अशरफ तक सामान पहुंचाने की बात भी कबूली है।वहीं शिवहरि के साथ गिरफ्तार किए गये सब्जी विक्रेता दयाराम ने भी अपने बयान में कहा कि उसने तो कभी अशरफ को देखा तक नहीं है। जेल के बाहर ही दुकान लगाने वाले विक्की तथा जेल वार्डर रामनरायन ने ही मेरी पहचान अशरफ के साले सद्दाम से कराई थी।

जाने दो घंटे तक चली थी अशरफ से मुलाकात

जांच में यह भी सामने आया है कि अजहर ने 11 फरवरी को मुलाकात के लिए आवेदन किया था जिसके साथ असद का आधार कार्ड भी पर्ची के साथ मे ही पाया गया। वहीं 11 फरवरी के सीसीटीवी फुटेज देखने से साफ़ पता चला कि दोपहर 1.22 बजे सात-आठ लोग जेल आए थे। और वो करीब दो घंटे बिताने के बाद दोपहर 3.14 बजे सभी जेल से बाहर चले गए।

जाने अशरफ को पहले से नहीं जानते थे राशिद और फुरकान

बरेली पुलिस ने जेल में मुलाकात करने वाले जिस राशिद और फुरकान को अभी गिरफ्तार किया था, वह अशरफ को पहले से बिलकुल नहीं जानते थे।

जाने वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध

डीआईजी जेल बरेली रेंज की रिपोर्ट के मुताबिक वरिष्ठ जेल अधीक्षक राजीव कुमार शुक्ला का अधीनस्थों पर कोई भी नियंत्रण नहीं था। वहीं जेलर राजीव कुमार मिश्रा अशरफ के मुलाकात आवेदनों पर हस्ताक्षर करने से भी बचते रहे। बरेली जेल के दूसरे जेलर अपूर्वव्रत पाठक ने अपने बयान में साफ़ कहा कि 31 अगस्त से बंदियों की मुलाकात कराने का जिम्मा डिप्टी जेलर दुर्गेश प्रताप सिंह का ही था जबकि मुलाकात के पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी जेलर राजीव कुमार मिश्रा संभाल रहे थे।

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।

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