AIN NEWS 1 अयोध्या: बता दें रामचरितमानस को लेकर शुरू हुआ विवाद अभी भी थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. जैसे ही यह विवाद थोड़ा शांत होता दिखाई देता है, महंत या फिर किसी नेता की ओर से बुझते विवाद की आग में फिर से विरोध का देसी घी डाल दिया जाता है. इस बार यह काम अक्सर मीडिया की सुर्खियों में छाए रहने वाले तपस्वी छावनी के पीठाधीश्वर जगदगुरु परमहंस आचार्य जी ने किया है.दरअसल, रामचरितमानस और साधु-संतों पर दिए गए सपा के वरिष्ठ नेता स्वामी प्रसाद मौर्या के बयानों को लेकर तपस्वी छावनी के पीठाधीश्वर जगदगुरु परमहंस आचार्य सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव से एक मुलाकात करना चाह रहे थे, इसके लिए ही परमहंस आचार्य लखनऊ के लिए निकल रहे थे, लेकिन उन्हें अयोध्या के पुलिस-प्रशसन ने मिलने की अनुमति ही नहीं दी.

जाने इसलिए मिलना चाहते थे परमहंस आचार्य

मीडिया को जानकारी देते हुए परमहंस आचार्य ने बताया कि वह सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव से मुलाकात कर उनको धार्मिक ग्रंथ रामचरितमानस को भेंट करना चाहते थे. सपा प्रमुख अखिलेश यादव से वह माफी मंगवाना चाहते हैं. साथ ही साथ परमहंस आचार्य ने ये भी कहा कि भले ही उन्हें इस बार अखिलेष यादव से नहीं मिलने दिया गया है, लेकिन वह सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव से जरूर एक बार मिलेंगा. वहीं परमहंस आचार्य ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मांग की कि यदि कोई भी धार्मिक ग्रंथ पर उंगली उठाता है तो उसे पार्टी के तुरंत बाहर करें. अगर वो ऐसा नहीं करते हैं तो उनकी पार्टी को राक्षसी पार्टी की संज्ञा दी जाएगी.

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जाने जगतगुरु ने स्वामी प्रसाद को दिया चैलेंज

वहीं, जगदगुरु ने कहा- मैं स्वामी प्रसाद को खुला चैलेंज देता हूं कि अन्य ग्रंथों पर वह कुछ बोल कर दिखाएं. दूसरे धर्म की महिलाओं पर कितना अत्याचार हो रहा है, उस पर वो कुछ नहीं कुछ बोलेंगे, क्योंकि स्वामी प्रसाद मौर्या जानते हैं कि वह उनका वोट बैंक है. परमहंस आचार्य ने कहा कि हिंदुओं को जाति के आधार बांटों और अपनी तुच्छ राजनीति को सिद्ध करो, यही हमारे नेताओं का खेल है. वहीं जगदगुरु परमहंस आचार्य ने प्रशासन पर कई आरोप भी लगाए.

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