जिला अस्पताल में नही है बेड खाली, 166 बेड पर भर्ती हैं 205 मरीज !
दिन पर दिन मौसम में बदलाव के साथ ही शहर में बीमारियां भी बढ़ने लगी हैं। कभी बारिश तो कभी गर्मी के चक्कर में लोगो को काफी समस्या का सामना करना पढ़ता है बदलते मौसम के साथ बीमारियां भी बढ़ रही है बता दे कि पिछले एक सप्ताह से एमएमजी अस्पताल में सभी बेड फुल चल रहे हैं। मरीजों को वॉर्ड में पहुंचने के लिए 4 से 6 घंटे इंतजार करना पड़ रहा है। वॉर्ड में भी एक बेड पर 3 मरीजों को लिटाया जा रहा है। हालात इतने खराब है कि कुछ मरीजों का स्ट्रेचर पर ही इलाज किया जा रहा है। बुखार, डायरिया, डेंगू और पेट से जुड़ी तकलीफों के मरीज ज्यादा हैं।
आपको बता दे कि यूपी के गाजियाबाद के एमएमजी अस्पताल मे मरीजों की भीड़ लगी हुई है। मरीज ज्यादा होने के चक्कर में अस्पताल में बेड खाली नहीं हैं दिन पर दिन बुखार के मरीज बढ़ते ही जा रहे है। वहां पर ऐसी हालत हो गई है की 166 बेड वाले एमएमजी अस्पताल में सोमवार को 205 मरीज भर्ती थे। बता दे कि एक बेड पर दो-दो मरीजों को भर्ती किया गया है। सबसे ज्यादा मरीज अस्पताल में उमस और गर्मी से अस्पताल में इस समय सबसे अधिक वायरल बुखार और पेट दर्द के गैस्ट्रोइंटाइटिस के मरीज भर्ती हो रहे हैं। अस्पताल के बाह्य रोगी विभाग ओपीडी में 2009 मरीज आए। इनमें से 970 महिलाएं, 717 पुरुष और 322 बच्चे थे। अस्पताल के सीएमएस के अनुसार अस्पताल में बुखार, डायरिया, पेट संबंधी बीमारियां, डेंगू और अन्य बीमारियों के मरीज भर्ती हैं। मौसम में बदलाव के चलते उमस बढ़ी है और मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। मौसम में बदलाव के चलते वायरल और डिहाइड्रेशन के मामले ज्यादा आ रहे हैं। इसके अलावा डायरिया और पेट संबंधी मरीजों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है। सांस लेने में परेशानी, दिल संबंधी बीमारियों और शुगर के मामलों में भी तेजी वृद्धि देखी जा रही है। ऐसे में रोजाना अस्पताल में 25 से 40 मरीजों को भर्ती करना पड़ रहा है। इसके चलते पिछले एक सप्ताह से सभी वॉर्डों में बेड फुल चल रहे हैं। आपको बता दे कि एक सप्ताह से अस्पताल के इमरजेंसी, बच्चा वार्ड और जनरल वार्ड में एक बेड पर दो-दो मरीज भर्ती हो रहे हैं। कई बार बेड खाली करने के लिए मरीजों को दूसरे दिन ही डिस्चार्ज कर दिया जा रहा है।
डॉक्टर ने दी जानकारी
एमएमजी अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. संतराम वर्मा ने जानकारी देते हुऐ बताया कि कई मरीजों को पांच से सात दिन भी भर्ती करना पड़ता है, लेकिन कुछ मरीजों की तबीयत में दूसरे दिन सुधार होने पर डिस्चार्ज कर दिया जाता है। उन्होंने बताया कि बेड की कमी के कारण मरीजों को भर्ती करने के लिए दो से तीन घंटे तक इंतजार भी करना पड़ता है। ऐसे में उनका इलाज स्ट्रेचर पर ही होता है। वही इसके ऊपर अस्पताल के मुख्य चिकित्या अधीक्षक डॉ. मनोज कुमार चतुर्वेदी का कहना है कि अस्पताल में 166 बेड और 15 बेड इमरजेंसी वार्ड में है। एक सप्ताह से अस्पताल के वार्ड में सभी बेड पर मरीज भर्ती है। साथ ही अधीक्षक डॉ. मनोज कुमार ने बताया कि बुखार के 298 मरीज इलाज कराने के लिए सोमवार को ओपीडी में पहुंचे थे। इनमें से 55 को भर्ती करने की जरुरत पड़ी थी और वही सबसे ज्यादा मरीज 322 बच्चों को आये है और इसमें अधिकाशं बच्चे बुखार उल्टी-दस्त के मरीज थे। जिसमें से 44 बच्चों को अस्पताल में भर्ती करा लिया है और 34 बच्चों को डिस्चार्ज किया गया है।