पेट्रोल-डीजल ने काटी लोगों की जेब
सरकार को मिला झोलीभरकर टैक्स
3 साल से टैक्स से बंपर कमाई
AIN NEWS 1: बता दें महंगे पेट्रोल-डीजल से 2022 में लगातार आम जनता परेशान रही है। इनकी महंगाई ने लोगों के मासिक बजट पर भी बुरा असर डाला है। लेकिन यही पेट्रोल-डीजल सरकार की तिजोरी भरने का काम बिना रुके कर रहे हैं। दरअसल, भारतीय पेट्रोलियम सेक्टर की 15 बड़ी तेल-गैस कंपनियों से 2022-23 ने पहले 9 महीनों यानी अप्रैल-दिसंबर के बीच सरकारी खजाने को टैक्स की रकम से भर दिया है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने राज्यसभा को जानकारी दी है कि अप्रैल-दिसंबर 2022 के बीच पेट्रोल-डीज़ल की बिक्री से 5.45 लाख करोड़ रुपए का टैक्स आया है। इसमें से 3.08 लाख करोड़ रुपए केंद्र सरकार को मिले हैं और बाकी 2.37 लाख करोड़ रुपए राज्य सरकारों को मिले हैं।
पेट्रोल-डीजल ने काटी लोगों की जेब
पेट्रोलियम सेक्टर के इस योगदान में बेसिक एक्साइज ड्यूटी, स्पेशल एडिशनल एक्साइज ड्यूटी, रोड एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर सेस, एग्रीकल्चर और इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट सेस और पेट्रोलियम उत्पादों पर लगे दूसरे सेस और सरचार्ज शामिल हैं। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने मौजूदा साल के अब तक उपलब्ध आंकड़ों के साथ साथ बीते कुछ साल के आंकड़े भी उपलब्ध कराए जिनके मुताबिक 2021-22 में पेट्रोलियम सेक्टर के टैक्स से 7.74 लाख करोड़ रुपए, 2020-21 में 6.72 लाख करोड़ और 2019-20 में 5.55 लाख करोड़ रुपए सरकारी खजाने में आए थे।
सरकार को मिला झोलीभरकर टैक्स
पेट्रोलियम पदार्थों पर भारी भरकम टैक्स के चलते इनके दाम बेस प्राइज से 2 गुना तक बढ़ जाते हैं। फिलहाल पेट्रोल-डीजल का बेस प्राइज 57.16 रुपए है। इस पर केंद्र सरकार 19.90 रुपए एक्साइज ड्यूटी वसूल रही है। इसके बाद राज्य सरकारें इस पर अपने हिसाब से वैट और सेस वसूलती हैं। ऐसे में इन टैक्स के बोझ से देश के ज्यादातार शहरों में पेट्रोल की कीमतें 100 रुपए से कुछ कम या थोड़ी ज्यादा हैं।
3 साल से टैक्स से बंपर कमाई
पिछले साल रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद कच्चे तेल की कीमतों में काफी उछाल आया था। ऐसे में महंगे तेल से राहत दिलाने के लिए केंद्र सरकार ने मई 2022 में पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 8 रुपए और डीजल पर 6 रुपए प्रति लीटर घटाई थी। केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद महाराष्ट्र, केरल और राजस्थान समेत कई राज्यों ने पेट्रोल और डीजल पर वैट में कटौती की थी। हालांकि इसके बाद देश में तेल के दाम कुछेक राज्यों को छोड़कर पिछले करीब 9 महीने से स्थिर हैं।