Ainnews1.com: जितेंद्र कुमार ठाकुर ब्यूरो गाजियाबाद अर्थला में करीब पांच हजार वर्ग गज जमीन पर नगर निगम का नया भवन बनाने के प्रस्ताव पर सवालिया निशान लग गया है। आरटीआई कार्यकर्ता सुशील राघव ने इसे झील की जमीन बताकर अधिकारियों को पशोपेश में डाल दिया है। निर्माण विभाग के अधिकारी अब जमीन के खसरे और खतौनी की दोबारा जांच पड़ताल करने में जुट गए हैं।
नवयुग मार्केट स्थिति नगर निगम मुख्यालय किराए के भवन में चल रहा है। पूर्व नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर ने प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप के तहत अर्थला में खसरा नंबर 1330 में बहुमंजिला नगर निगम का दफ्तर बनाने का प्रस्ताव तैयार कराया था। निगम के संपत्ति विभाग की ओर से यह जमीन बंजर बताई गई है। खसरा नंबर 1313, 1314, 1323 और 1330 नंबर को बंजर बताकर करीब 10 हजार वर्ग गज जमीन खाली बताई गई। निर्माण विभाग की ओर से जमीन की भराई का काम शुरू करा दिया गया। आरटीआई कार्यकर्ता सुशील राघव का कहना है कि जिस जमीन को निगम खाली बता रहा है वहां दो तिहाई क्षेत्र में अवैध कब्जा हो चुका है। 1330 नंबर झील के नाम दर्ज है। तालाब और झील की जमीन पर अवैध अतिक्रमण के खिलाफ वह दो साल पहले एनजीटी में केस कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि एनजीटी में उन्होंने खसरे और खतौनी की कॉपी दाखिल कर रखी है। कोर्ट ने अतिक्रमण हटाने के आदेश भी दे रखे हैं।
कैलाश मानसरोवर भवन भी हो चुका है शिफ्ट
नगर निगम ने चार साल पहले कैलाश मानसरोवर भवन इसी जमीन पर बनाने का प्रस्ताव तैयार किया था। झील की जमीन होने की वजह से बाद में भवन का निर्माण इंदिरापुरम में कराया गया।
कागजों में परती है जमीन, दोबारा कराई जा रही पड़ताल :
नगर निगम निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता एनके चौधरी का कहना है कि निगम के पास जो जमीन के जो कागजात हैं उनमें 1330 नंबर बंजर के नाम दर्ज है। लैंड यूज के लिए जीडीए को लिखा गया है। शिकायत के बाद दोबारा से जमीन की जांच पड़ताल कराई जा रही है।