टू फिंगर टेस्ट पर रोक को SC ने जारी रखा
शारीरिक-मानसिक उत्पीड़न करने वाला टेस्ट बताया
जस्टिस चंद्रचूड़ की अगुआई वाली बेंच ने दिया फैसला
AIN NEWS 1: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को रेप विक्टिम्स के मामले में टू-फिंगर टेस्ट किए जाने पर लगी रोक को बरकरार रखा है। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हेमा कोहली की दो सदस्यीय बेंच ने ऐसा करने वालों को कदाचार का दोषी माने जाने की चेतावनी दी। पीठ ने इस टेस्ट के जारी रहने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को निर्देश दिया कि वो ये तय करे कि किसी भी हालत में यौन उत्पीड़न या बलात्कार पीड़िता का टू फिंगर टेस्ट नहीं होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने टेस्ट के इस तरीके पितृसत्ता की निशानी और रेप पीड़िता पर दोहरा आघात कहा है।
बिना वैज्ञानिक आधार के किया जा रहा है टू फिंगर टेस्ट
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने टू फिंगर टेस्ट मामले में साफ कहा कि पीड़िताओं के साथ ऐसा करने वालों को कानून का दोषी माना जाएगा। कोर्ट ने अपने निर्णय में अफसोस जताया कि मौजूदा दौर में भी टू फिंगर टेस्ट किया जा रहा है। जस्टिस चंद्रचूड़ के नेतृत्व में बेंच ने निर्णय सुनाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने रेप और यौन उत्पीड़न के मामलों में इस टेस्ट के उपयोग की अनेको बार निंदा की है। इस टेस्ट का कोई वैज्ञानिक आधार भी नहीं है। बेंच ने हैरानी जताते हुए पूछा कि यह क्यों जारी है?
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— 𝐀𝐈𝐍 𝐍𝐄𝐖𝐒 𝟏 (@ainnews1_) October 31, 2022
टू फिंगर टेस्ट करने वालों पर चले केस
सुप्रीम कोर्ट ने इस टेस्ट पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा है कि इसका उपयोग करने वालों पर केस चलाया जाना चाहिए। ये टेस्ट रेप पीड़िता को दोबारा आघात पहुंचाता है। इस अवैज्ञानिक टेस्ट सिस्टम को खत्म करना चाहिए। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में लिलु राजेश बनाम हरियाणा राज्य के मामले में टू फिंगर टेस्ट को गैर कानूनी और बलात्कार पीड़िता की निजता और उसके सम्मान का हनन करने वाला करार दिया था। उस दौरान भी सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह टेस्ट रेप पीड़िता को शारीरिक और मानसिक चोट पहुंचाने वाला टेस्ट है।