टैक्स भरने में बेंगलुरु मारेगा बाजी
दिल्ली को दूसरे नंबर से हटाने को तैयार
IT-स्टार्टअप्स ने बढ़ा टैक्स कलेक्शन
AIN NEWS 1: देश का आईटी हब माने जाने वाला बेंगलुरु अब सरकार की झोली भरने में भी अपना दम दिखा रहा है। यहां पर डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन की रफ्तार ऐसी बढ़ी है कि इस मामले में ये दिल्ली को पछाड़कर दूसरे नंबर पर पहुंचने के लिए तैयार है। दरअसल, 2022-23 के दौरान मुंबई से सबसे ज्यादा 4.95 लाख करोड़, दिल्ली से 2.07 लाख करोड़ और बेंगलुरु से 2.04 लाख करोड़ रुपए आयकर विभाग को बतौर डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन हासिल हुए हैं।
टैक्स भरने में बेंगलुरु मारेगा बाजी
ऐसे में मुमकिन है कि बेंगलुरु इस साल दिल्ली को पीछे छोड़कर दूसरे नंबर पर आ सकता है। बेंगलुरु के टैक्स योगदान की रफ्तार में बीते 15 साल में जबरदस्त उछाल आया है। इनकम टैक्स विभाग के आंकड़ों के मुताबिक बेंगलूरु ने 2007-08 में डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में 32 हजार 692 करोड़ रुपये का योगदान किया था। वहीं 2022-23 में ये आंकड़ा बढ़कर 625 फीसदी बढ़कर 2.04 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। जबकि 2007-08 में मुंबई से 1.14 लाख करोड़ रुपये और दिल्ली से 47,639 करोड़ रुपये प्रत्यक्ष कर आया था।
दिल्ली को दूसरे नंबर से हटाने को तैयार
मुंबई लिस्ट में भले ही काफी आगे हो लेकिन कुल टैक्स में इसकी भागीदारी घट गई है। 2007-08 में कुल डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में जहां मुंबई की हिस्सेदारी 37 फीसदी थी। वहीं 2022-23 में ये घटकर 31 फीसदी हो गई है। इसकी वजह है कि अब कंपनियां पैन इंडिया विस्तार कर रही हैं जिससे उनके दफ्तर मुंबई के अलावा भी कई शहरों में खुल गए हैं। बहरहाल बात करें बेंगलूरु की तो यहां पर टैक्स कलेक्शन बढ़ाने में स्टार्ट-अप इकोसिस्टम का हाथ है जिससे पर्सनल इनकम टैक्स कलेक्शन में इजाफा हुआ है।
IT-स्टार्टअप्स ने बढ़ाा टैक्स कलेक्शन
इसके साथ ही आईटी कंपनियों ने भी पिछले कुछ बरसों में एडवांस टैक्स जमा करने की रफ्तार बढ़ाई है। इन्फोसिस और विप्रो सबसे ज्यादा एडवांस टैक्स देने वाली कंपनियों में शामिल हैं। अगर बाकी बड़े शहरों से मिले डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन पर नजर डालें तो 2022-23 में चेन्नई से 1.05 लाख करोड़ रुपये, पुणे से 91,973 करोड़ रुपये और हैदराबाद से 88,483 करोड़ रुपये मिले हैं। इस तरह दिल्ली, बेंगलूरु, हैदराबाद, पुणे और चेन्नई की कुल हिस्सेदारी 2022-23 में बढ़कर 44 फीसदी हो गई है। अब इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की कोशिश है कि उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्य भी बेंगलूरु का मॉडल अपनाकर अपना योगदान बढ़ाएं। इस कोशिश की वजह है कि 2007-08 में 2,368 करोड़ रुपये का योगदान करने वाला पटना 2022-23 में 15 हजार करोड़ और लखनऊ 2007-08 के 2,246 करोड़ रुपये से बढ़कर 2022-23 में 13,823 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। ऐसे में इन शहरों की ग्रोथ इनमें छिपी संभावनाओं का संकेत दे रही है।