यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद से ताइवान को लेकर चीन की योजनाओं पर चिंताएं बढ़ गई हैं। चीन ने लगातार ताइवान पर आक्रमण की धमकी दी है। ऐसे में कुछ लोगों का मानना है कि आक्रमण की आशंका बढ़ गई है। दूसरी ओर एक और तर्क दिया जा रहा है कि यूक्रेन को लेकर चीनी सैन्य विफलताओं को देखते हुए चीन सावधानी बरत सकता है। आइए जानते हैं कि चीन क्या सोच रहा है।
चीन को हो सकता है अधिक आर्थिक नुकसान
यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद मॉस्को पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं। ऐसे में चीन अगर ताइवान के खिलाफ सैन्य आक्रमण करता है तो चीन पर भी कड़े प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि बीजिंग को यह बेहतर तरीके से पता है कि ताइवान के खिलाफ सैन्य बल का इस्तेमाल करने के लिए चीन को आर्थिक नुकसान रूस से भी अधिक हो सकती है। हालांकि चीन का आर्थिक और वित्तीय भार रूस से काफी अधिक है लेकिन उसके बावजूद चीन को प्रतिबंध भारी पड़ सकता है।
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यूक्रेन नहीं है ताइवान
पिछले कुछ सालों से दुनिया के कई देशों को ताइवान से सपोर्ट मिल रहा है। इसके साथ ही ताइवान के लोगों के बीच भी जागरूकता पहले के मुकाबले बढ़ी है। यह चीन के लिए चिंता का कारण है। मौजूदा वक्त में अमेरिका ताइवान पर उतना फोकस नहीं कर पा रहा है लेकिन यूक्रेन संघर्ष के बाद अमेरिका वापस से ताइवान पर अपना ध्यान केंद्रित कर सकता है। हालांकि चीन यह मानता है कि ताइवान यूक्रेन नहीं है और अमेरिका ताइवान की रक्षा के लिए बल का इस्तेमाल करने के लिए अधिक इच्छुक है।
ताइवान अमेरिकी मोहरा नहीं बनना चाहता!
रिपोर्ट्स बताती हैं कि ताइवान के लोग यह भी देख रहे हैं कि अमेरिका ने कैसे यूक्रेन को ‘धोखा’ दिया है। ऐसे में ताइवान के लोग अमेरिकी ‘मोहरा’ नहीं बनना चाहते हैं। ताइवान पर नजर रखने वाले एक्सपर्ट्स का मानना है कि ताइवान को जंग से बचना चाहिए और बीजिंग से बातचीत कर मसले को सुलझाएं। युद्ध के हालात में दोनों ही पक्ष भारी कीमत चुकाएंगे ऐसे में ताइवान लड़ाई नहीं चाहेगा।
चीन की सैन्य क्षमता ताइवान से कई गुना बेहतर
जानकार बताते हैं कि यूक्रेन के प्रतिरोध को देखते हुए पीपल्स लिबरेशन आर्मी को भी अपने आकलन पर विचार-विमर्श करने की जरूरत है। हालांकि चीनी सैन्य नेताओं का मानना है कि चीन की सैन्य क्षमता ताइवान से कई गुना बेहतर है, ऐसे में चीन ताइवान पर तेजी से जीत हासिल कर सकती है। लेकिन ताइवान भी यूक्रेन और नजर रखे हुए हैं कि क्या चीन ताइवान पर सैन्य बल के जरिए नियंत्रण कर सकता है। क्या रूसी सेना का खराब प्रदर्शन चीनी सेना के लिए और भी अधिक जोखिम भरा हो सकता है जिसने आखिरी बार 1979 में युद्ध लड़ा था?