त्योहारों की 2.5 लाख करोड़ की बंपर शॉपिंग के बाद अब शादियों में होगा जमकर खर्च! 32 लाख शादियों में 3.75 लाख करोड़ के खर्च से इकॉनमी को मिलेगी रफ्तार!

इस साल अक्टूबर में गाड़ियों से लेकर गैजेट्स और घरों तक हर छोटे बड़े सामान की बिक्री ने जोरदार रफ्तार पकड़ी थी. व्यापारी संगठनों ने दिवाली तक के...

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AIN NEWS 1: इस साल अक्टूबर में गाड़ियों से लेकर गैजेट्स और घरों तक हर छोटे बड़े सामान की बिक्री ने जोरदार रफ्तार पकड़ी थी. व्यापारी संगठनों ने दिवाली तक के फेस्टिव सीजन में मार्केट में 2.5 लाख करोड़ खर्च होने का दावा किया था. इससे देश की अर्थव्यवस्था को बड़ा बूस्ट मिलने का भरोसा भी जताया गया है. लेकिन लोगों के खर्च का ये सिलसिला त्योहारों का मौसम खत्म हो जाने के साथ थमने वाला नहीं है. अब 4 नवंबर से शुरु होकर 14 दिसंबर तक चलने वाले वेडिंग सीजन में भी जिन घरों में शादियां हैं वहां से लेकर आमंत्रित किए जाने वाले मेहमानों तक हर कोई दिल खोलकर खर्च करने को तैयार है. ऐसे में एक सर्वे में दावा किया गया है कि इस दौरान देशभर में 32 लाख शादियां होंगी जिनमें 3.75 लाख करोड़ खर्च किए जाने का अनुमान है.

दिल्ली में 3.5 लाख शादियां होंगी

अनुमान है कि इन 40 दिनों में अकेले दिल्ली में ही 3.5 लाख शादियां होंगी. इन शादियों पर 75 हजार करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान व्यापारी संगठन कैट ने किया है. देशभर में किए गए इस सर्वे में 35 शहरों के 4032 व्यापारियों और सर्विस प्रोवाइडर्स को शामिल किया गया है. सर्वे में शामिल व्यापारी त्योहारी सीजन के कारोबार से उत्साहित होने के बाद अब वेडिंग सीजन में खरीदारी को लेकर भरोसेमंद हैं. द कंफडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने इस सर्वे के ज़रिए अर्थव्यवस्था को बड़ा फायदा मिलने का दावा किया है.

पिछले साल 25 लाख शादियों में 3 लाख करोड़ खर्च हुए

पिछले साल देवोत्थान एकादशी से लेकर दिसंबर में पड़ने वाले सर्दियों के आखिरी साए तक देशभर में 25 लाख शादियां हुई थीं. कैट का दावा है कि पिछले साल इन शादियों में तीन लाख करोड़ रुपये खर्च हुए थे. कैट के मुताबिक इस सर्वे से व्यापारियों को भी कारोबार के आकार का अंदाजा मिलता है और वो इसी हिसाब से अपनी तैयारियां करते हैं जिससे ना तो ग्राहक खाली हाथ जाए और ना ही उन्हें किसी तरह का नुकसान हो.

कई हाथों तक पहुंचता है पैसा

कैट के मुताबिक, शादी में कुल रकम का 20 फीसदी खर्च दूल्हा और दुल्हन पक्ष के लोग करते हैं. जबकि वैवाहिक आयोजन में खर्च होने वाली 80 फीसदी रकम उन एजेंसियों के पास जाती है, जो इसका प्रबंधन करती हैं. शादी के मौसम से पहले एक बड़ी रकम घरों के रेनोवेशन के तौर पर सबसे पहले खर्च की जाती है. इसके अलावा ज्वैलरी, साड़ी, लहंगा, सूट, शेरवानी समेत सभी तरह के कपड़े, फर्नीचर, ड्राई फ्रूट्स, मिठाई, पूजा का सामान, किराना, खाद्यान्न, सजावट के सामान की भी बेहतर डिमांड रहने की उम्मीद है. देशभर में बेंक्वेट हॉल, होटल, मैरिज गार्डन, कम्युनिटी सेंटर, सार्वजनिक पार्क, फार्म हाउस शादियों के लिए एकदम तैयार हैं

कोरोना के बाद कई सेगमेंट्स को मिलेगा फायदा

कैट के मुताबिक शादियों में सामान की खरीदारी के अलावा टेंट डेकोरेटर, फूलों की सजावट, क्रॉकरी, कैटरिंग, ट्रांसपोर्ट, सब्जी विक्रेताओं, फोटो और वीडियोग्राफर, आर्केस्ट्रा समेत कई तरह की सर्विसेज को पैसा मिलता है. डीजे, बारात के लिए घोड़े, लाइट और दूसरी तरह की सेवाओं से इस बार बड़ा कारोबार होने का अनुमान है. इवेंट मैनेजमेंट भी एक बड़े बिजनेस सेक्टर के तौर पर उभरा है.

शादियों में अलग अलग होगा बजट

कैट ने विस्तारपूर्वक इस बात का भी ब्यौरा जारी किया है कि किस शादी में कितनी रकम खर्च होने का अनुमान है. कैट के मुताबिक 5 लाख शादियों पर अनुमानित तीन लाख रुपये खर्च होंगे, 10 लाख शादियों में हरेक पर करीब पांच लाख रुपये खर्च होंगे, 10 लाख शादियों पर 10 लाख रुपये तक खर्च होंगे, 5 लाख शादियों पर 25 लाख रुपये से ज्यादा खर्च होने की उम्मीद है जबकि 50 हज़ार शादियों पर 50 लाख रुपये से एक करोड़ तक की रकम खर्च होगी, वहीं 50 हजार शादियां ऐसी होंगी जिनपर एक करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम खर्च की जाएगी.

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