AIN NEWS 1: दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुख-योल को शनिवार को महाभियोग का सामना करना पड़ा। यह महाभियोग विपक्षी दलों के नेतृत्व वाली संसद ने उस समय पास किया, जब राष्ट्रपति ने पिछले हफ्ते आंशिक रूप से मार्शल लॉ लगाने का प्रयास किया था। इस कदम ने न केवल देश को हिलाकर रख दिया, बल्कि राष्ट्रपति की पार्टी में भी गंभीर मतभेद पैदा कर दिए थे।
महाभियोग का कारण
पिछले हफ्ते यून ने देश में गंभीर संकट के बीच मार्शल लॉ लागू करने की कोशिश की थी, जिससे नागरिकों के अधिकारों पर गंभीर संकट मंडरा रहा था। इस निर्णय के बाद विपक्षी दलों ने उन्हें घेर लिया और यह आरोप लगाया कि राष्ट्रपति ने संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन किया है। संसद ने योन के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू की, जो शनिवार को सफल रही।
महाभियोग के बाद क्या होगा?
दक्षिण कोरिया के संविधान के अनुसार, महाभियोग के बाद प्रधानमंत्री, जो योन द्वारा नियुक्त किए गए थे, कार्यवाहक राष्ट्रपति बनेंगे। प्रधानमंत्री हान डक-सू अब योन के सत्ता से निलंबन के बाद राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालेंगे। हालांकि, योन राष्ट्रपति के पद पर बने रहेंगे, लेकिन उन्हें उनके अधिकारों से वंचित कर दिया जाएगा।
योन और उनकी पार्टी के भीतर के मतभेद
मार्शल लॉ लगाने का योन का प्रयास पार्टी के भीतर गंभीर विरोध का कारण बना। कई सदस्य इसे अत्यधिक कठोर कदम मानते हुए राष्ट्रपति से असहमत हो गए। पार्टी में गहरे मतभेद और आंतरिक संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हुई। इसके अलावा, विपक्षी दलों ने इस कदम को देश में लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला मानते हुए उनकी आलोचना की।
आगे की राह
महाभियोग की प्रक्रिया पूरी होने के बाद दक्षिण कोरिया में एक राजनीतिक संकट की स्थिति बन गई है। अब देखना होगा कि प्रधानमंत्री हान डक-सू इस संकट से कैसे निपटते हैं और योन की पार्टी और विपक्ष किस दिशा में बढ़ते हैं। हालांकि, यह घटना दक्षिण कोरिया की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ का संकेत देती है, जहां सत्ता संघर्ष और पार्टी में टूट-फूट की संभावना को नकारा नहीं जा सकता।
इस घटनाक्रम से यह भी स्पष्ट होता है कि दक्षिण कोरिया में राष्ट्रपति पद की शक्तियों का अत्यधिक प्रयोग कभी-कभी राजनीतिक और सामाजिक अस्थिरता का कारण बन सकता है, जैसा कि योन के मामले में हुआ।