Tuesday, December 24, 2024

दरोगा के बेटे ने सैकड़ों गरीबों के हक पर डाला डाका,लखनऊ में खुलवाए क़रीब 800 फर्जी बैंक खाते, छात्रवृत्ति घोटाले के मिले सबूत!

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AIN NEWS 1: लखनऊ में छात्रवृति घोटाले में फिनो बैंक के एजेंट दरोगा के पुत्र ने करीब 800 फर्जी बैंक खाते खुलवाए थे। लखनऊ में तैनात दरोगा के पुत्र अमित कुमार मौर्या ने खाते खुलवाने पर ज्यादा से ज्यादा कमीशन मिलने के लालच में गरीबों की छात्रवृत्ति पर डाका डाल दिया। वहीं लखनऊ केहाईिजया और फर्रुखाबाद के ओमप्रकाश गुप्ता इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी के संचालकों ने कई अन्य राज्यों में घोटाले की रकम से बेशकीमती संपत्तियों भी खरीद ली है । जिसमें से कई सम्पत्ति तो बेनामी होने के सुराग ईडी को मिले है।लखनऊ के एक कॉलेज संचालक ने गुवाहाटी में फॉर्मेसी कॉलेज बनाने के लिए करोड़ों रुपये की भूमि भी खरीदी है। उसकी तमाम संपत्तियां मुंबई, दिल्ली, नोएडा, बलरामपुर, बाराबंकी और उत्तराखंड में भी होने के बहुत सारे प्रमाण मिले है। ईडी ने छापेमारी की जद में आए कॉलेज संचालकों को अगले हफ्ते से पूछताछ के लिए तलब भी किया है।

संचालकों को उनके परिजनों और करीबियों के बैंक खातों, बीते दस वर्षों के दौरान खरीदी गयी संपत्तियांे के दस्तावेज आदि के ही साथ बुलाया गया है। संचालक, एजेंट्स आदि 110 लोगों को नोटिस भेजने की कवायद शनिवार को जारी हुई थी।

जाने खातों में घुमाते रहे रकम

छापेमारी में सामने आया है कि घोटाले की काली कमाई को जांच एजेंसियों की नजरों से बचाने के लिए कॉलेज संचालकों ने इसे कई बैंक खातों का इस्तेमाल किया। उन्होंने अपने परिजनों और करीबियों के बैंक खातों में नगदी जमा की और उसे दूसरे खातों में कई बार ट्रांसफर करते रहे। बाद में उसे वह अपने खाते में वापस लेकर संपत्तियों में निवेश कर दिया।

जाने निजी बैंकों के लिए खाते खोलता था फिनो

फिनो पेमेंट बैंक पहले तो फिनो पे-टेक लिमिटेड कंपनी थी। ये निजी बैंकों केलिए ग्रामीण इलाकों में खाते खोलने और अन्य बैंकिंग सुविधाएं दिलाने का ही काम करती थी। ग्रामीणों को घर पर ही पैसा जमा कराने और भुगतान पाने की सुविधा भी देती थी। इसे वर्ष 2006 में रिषी गुप्ता ने शुरू किया था। जून, 2017 में इसे पेमेंट्स बैंक का लाइसेंस भी मिल गया।

वर्तमान में फिनो बैंक बचत खाता, चालू खाता, आरडी और एफडी जैसी कई और सुविधाएं देता है। इसके एजेंट्स की ग्रामीण इलाकों में काफ़ी अच्छी पकड़ है। छात्रवृत्ति घोटाले में एजेंट्स ने ग्रामीण इलाकों को लेकर केवाईसी के नियमों में बरती जाने वाली शिथिलता का भी काफ़ी जमकर फायदा उठाया।

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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