Sunday, December 22, 2024

दिल्ली के प्राइवेट स्कूल में हो रहा है वसूली का खेल, EWS कैटेगिरी के बच्चों को थमाया जा रहा है ये नोटिस

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Ainnews1.Com : दिल्ली के मॉडर्न स्कूल में एक बेहद हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. दरअसल दिल्ली के सभी प्राइवेट स्कूलों में ईडब्ल्यूएस और डिसएडवांटेज ग्रुप के बच्चों के लिए 25 फीसदी सीटें सरकार ने आरक्षित की हैं. जहां उनके के लिए निशुल्क शिक्षा का प्रावधान होता है. मगर बीते 15 जून को दिल्ली के बारखंभा स्थित मॉर्डन स्कूल ने अपने यहां ईडब्ल्यूएस/डीए नियमों के तहत पढ़ रहे 14 छात्रों को बकाया फीस के भुगतान का नोटिस देते हुए ऐसा न करने पर टीसी काटकर घर भेजने की धमकी तक दे डाली .

आपको बता दें कि फीस बकाया होने का अमाउंट कोई छोटा मोटा नहीं बल्कि टोटल क्वाटर्ली करीबन 68000 रुपये था. ये नोटिस देखते ही पेरेंट्स के होश उड़ने लाजमी थे . आपको बता दें नोटिस में फीस भुगतान ना करने की स्थिति में बच्चे का ट्रांसफर सार्टिफिकेट ले जाने और स्कूल ना आने की बात कही गई थी. स्कूल के मुताबिक पढ़ाई को आगे जारी रखने के लिए फीस का भुगतान करना बेहद आवश्यक है . आपको बता दें कि जिन बच्चों को ये नोटिस भेजा गया था वो बच्चे नर्सरी से ही इसी स्कूल में पढ़ाई करते आ रहे थे. और इस साल दसवीं की परीक्षा दे रिजल्ट का इंतजार ही कर रहे हैं. वही इस मामले में 20 जुलाई को इन सभी पेरेंट्स की तरफ से स्कूल को लीगल नोटिस भी भेज दिया गया है. हालांकि स्कूल की तरफ से अब तक इसका कोई जवाब लिखित मे नही आया है.शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत, दिल्ली के सभी प्राइवेट स्कूलों  25 फीसदी सीटों पर नर्सरी, केजी, एलकेजी या कक्षा पहली में कमजोर आर्थिक स्थिति वाले परिवार के बच्चों का दाखिला निशुल्क किया जाता है. इस तरह आठवीं क्लास तक निशुल्क पढ़ाई कराई जाती है. इसी एक्ट में सरकारी जमीन पर बने स्कूलों को लेकर एक प्रावधान ये भी है कि जो प्राइवेट स्कूल सरकारी जमीनों पर खड़े किए गए हैं उन्हें ईडब्ल्यूएस/डीए कैटेगरी के तहत दाखिल बच्चों को 12वीं तक ही निशुल्क शिक्षा देनी होगी. लेकिन दिल्ली के मॉर्डन स्कूल ने इसी नियम को धता बताते हुए न सिर्फ गरीब परिवारों का मजाक बनाया बल्कि कमजोर आय वर्ग के बच्चों को फीस भरने का नोटिस थमा दिया और उन्हें स्कूल से निकालने तक की धमकी दे डाली .बकाया फीस भुगतान का मैसेज मिलते पेरेंट्स के पैरों तले जमीन ही खिसक गई. पेरेंट्स के मुताबिक इतनी बड़ी कीमत चुका पाना उनके लिए सपने जैसा है. दरअसल इन बच्चों के पेरेंट्स में कोई सामान सप्लाई का काम करता है तो कोई सिंगल पैरेंट सिलाई का काम कर के अपना गुजारा करता हैं. ऐसे मां-बाप बड़ी मुश्किलों से ज्यादा से ज्यादा 10000 रुपए मात्र कमा पाते हैं. अब इन पैरेंट्स का कहना है कि या तो हम बच्चों को खिला लें या फिर इतनी फीस दे कर पढ़ा लें. ऐसे में पैरेंट्स स्कूल से अपना ये फैसला अब वापस लेने की अपील कर रहे हैं.

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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