AIN NEWS 1: दिल्ली के लाल किले के पास हुई कार धमाके की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे नए खुलासे सामने आ रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने हाल ही में जिन संदिग्धों को गिरफ्तार किया है, उनमें कुछ नाम ऐसे हैं जो पेशे से डॉक्टर या पढ़े-लिखे लोग हैं। इस खुलासे के बाद पूरे देश में चर्चा तेज हो गई है कि आखिर पढ़े-लिखे नौजवान कैसे आतंक के रास्ते पर जा रहे हैं।
इसी बीच जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी (पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने इस मामले पर एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि,
“अब यह बहुत दर्दनाक है कि आतंकवाद से जुड़ी घटनाओं में शिक्षित युवाओं, डॉक्टरों और प्रोफेशनल लोगों के नाम सामने आ रहे हैं। इससे पूरी हमारी कौम पर उंगली उठती है। एक बार फिर मुस्लिम समाज को बदनाम किया जा रहा है।”
दिल्ली धमाके से जुड़ा ‘डॉक्टर नेटवर्क’
दिल्ली पुलिस और एनआईए की संयुक्त जांच में यह बात सामने आई कि धमाके की साजिश में शामिल कुछ लोग मेडिकल पृष्ठभूमि से थे। जांच एजेंसियों का मानना है कि ये सभी लोग विदेश से या कश्मीर से जुड़े ऑनलाइन नेटवर्क से प्रेरित थे। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और एन्क्रिप्टेड चैट ग्रुप्स के ज़रिए इन युवाओं को कट्टरपंथ की ओर धकेला गया।
जांच में यह भी सामने आया कि यह नेटवर्क केवल दिल्ली तक सीमित नहीं था, बल्कि इसकी जड़ें जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र तक फैली हुई थीं। इस नेटवर्क का उद्देश्य शिक्षित युवाओं को आतंक के वैचारिक प्रचार से जोड़ना था ताकि वे “संगठित और प्रभावशाली आतंक मॉड्यूल” तैयार कर सकें।
महबूबा मुफ्ती का दर्द
महबूबा मुफ्ती ने कहा कि ऐसे मामलों से समाज में एक गलत संदेश जाता है। उन्होंने कहा,
“हर बार जब कोई आतंकी घटना होती है और उसमें किसी मुस्लिम युवक का नाम आता है, तो पूरी कौम को शक की निगाह से देखा जाने लगता है। हमें यह सोचने की जरूरत है कि ऐसा क्यों हो रहा है। यह हमारे समाज के लिए आत्ममंथन का समय है।”
उन्होंने आगे कहा कि, “सरकारों को भी यह समझना चाहिए कि हर मुसलमान को एक ही नज़र से देखना अन्याय है। ऐसे समय में जब देश को एकता और भाईचारे की जरूरत है, कुछ ताकतें इस माहौल को खराब करने में लगी हैं।”
शिक्षित युवाओं का कट्टरपंथ की ओर झुकाव
हाल के वर्षों में यह देखा गया है कि आतंकवादी संगठनों ने अब गरीब या अशिक्षित युवाओं के बजाय पढ़े-लिखे वर्ग को निशाना बनाना शुरू किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह रणनीति इसलिए अपनाई जा रही है ताकि आतंकी नेटवर्क को “बौद्धिक और तकनीकी” समर्थन मिल सके।
कई मामलों में पाया गया कि इन युवाओं को इंटरनेट पर झूठी जानकारी, भावनात्मक वीडियो और धार्मिक रूप से भड़काने वाले कंटेंट के ज़रिए प्रभावित किया गया। उन्हें यह एहसास दिलाया गया कि वे किसी “धर्म की रक्षा” या “न्याय की लड़ाई” लड़ रहे हैं, जबकि असल में वे हिंसा के रास्ते पर चल रहे होते हैं।
महबूबा ने समाज से की अपील
महबूबा मुफ्ती ने मुस्लिम समुदाय से भी एक गंभीर अपील की। उन्होंने कहा कि माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों की संगत और ऑनलाइन गतिविधियों पर नज़र रखें। उन्होंने कहा,
“आज की पीढ़ी इंटरनेट पर बहुत समय बिताती है। हमें यह देखना होगा कि हमारे बच्चे क्या देख रहे हैं, क्या पढ़ रहे हैं, और किन लोगों से जुड़ रहे हैं। अगर समाज जागरूक रहेगा, तो ऐसे रास्ते पर जाने से पहले हम अपने बच्चों को रोक सकते हैं।”
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ भी तेज
महबूबा के इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में भी बहस छिड़ गई है। बीजेपी के कुछ नेताओं ने कहा कि आतंकवाद को किसी धर्म से जोड़ना गलत है, जबकि विपक्षी दलों ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस के एक प्रवक्ता ने कहा कि “देश में नफरत का माहौल बढ़ रहा है, और यही माहौल युवाओं को गलत दिशा में धकेल रहा है।”
वहीं सोशल मीडिया पर भी लोग इस मुद्दे पर दो हिस्सों में बंट गए हैं। कुछ लोग महबूबा मुफ्ती के बयान का समर्थन कर रहे हैं, तो कुछ उन्हें ‘बचाव की राजनीति’ करने का आरोप लगा रहे हैं।
दिल्ली धमाके की जांच में आगे क्या?
दिल्ली पुलिस ने कहा है कि धमाके के पीछे की साजिश को पूरी तरह उजागर किया जाएगा। जांच एजेंसियाँ अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि इस नेटवर्क को फंडिंग कहां से मिल रही थी और किन-किन राज्यों में इसके तार फैले हैं। एनआईए ने इस मामले में विदेशी फंडिंग के एंगल की भी जांच शुरू कर दी है।
सुरक्षा एजेंसियों ने कई डिजिटल डिवाइस, लैपटॉप और मोबाइल डेटा भी जब्त किए हैं, जिनसे यह पता लगाया जा सके कि “डॉक्टर नेटवर्क” किन संपर्कों से जुड़ा हुआ था।
महबूबा मुफ्ती का यह बयान ऐसे समय में आया है जब देश में आतंक और धार्मिक पहचान को लेकर चर्चा चरम पर है। उनका कहना है कि समाज को मिलकर यह सोचना होगा कि क्यों कुछ पढ़े-लिखे युवा हिंसा की राह पर जा रहे हैं, और कैसे हम उन्हें वापस सकारात्मक दिशा में ला सकते हैं।
उन्होंने अपने बयान के अंत में कहा,
“हमारा धर्म अमन और इंसानियत की शिक्षा देता है। अगर कोई भी इस रास्ते से भटकता है, तो हमें उसे रोकना चाहिए — न सिर्फ कानून से, बल्कि प्यार और समझदारी से भी।”
Mehbooba Mufti, the former Chief Minister of Jammu and Kashmir, reacted to the recent Delhi Red Fort car blast, expressing deep concern over reports linking educated individuals, including doctors, to terror networks. She stated that incidents like these not only damage India’s social fabric but also defame the Muslim community once again. The Delhi blast investigation has exposed what authorities call a “doctor terror network,” prompting sharp political and social reactions nationwide.



















