दिल्ली समेत चार राज्यों में बनाए जाएंगे 333 पराली संग्रह डिपो, प्रबंधन के दिशानिर्देश बदले!
सरकार ने पराली को लेकर राज्यवार दिशा-निर्देशों में बदलाव किया है। इसके तहत पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में 4,500 टन क्षमता के लगभग 333 पराली संग्रह डिपो बनाए जाएंगे।
इससे वायु प्रदूषण में कमी आएगी और नौ लाख मानव दिवस के बराबर रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इन चारों राज्यों में धान से निकलने वाली पराली का क्षेत्रीय स्थितियों के अनुसार प्रबंधन करने से किसानों की आय में वृद्धि होगी।
कृषि मंत्रालय ने एक बयान में कहा, अब लाभार्थी, संग्रहकर्ता किसान, ग्रामीण उद्यमी, किसानों की सहकारी समितियां, किसान उत्पादक संगठन और पंचायतें पराली का उपयोग करने वाले उद्योगों के साथ द्विपक्षीय समझौते कर सकेंगी। साथ ही, वे तकनीकी वाणिज्यिक पायलट परियोजनाएं भी स्थापित कर सकेंगी। उन्हें सरकारी मशीनरी और उपकरणों की लागत पर वित्तीय सहायता दी जाएगी।
मशीनों के लिए वित्तीय सहायता
पराली के भंडारण के लिए भूमि की व्यवस्था लाभार्थी करेगा या फिर अंतिम उपयोगकर्ता की ओर से निर्देशित किया जा सकेगा। केंद्र व राज्य सरकारें परियोजना लागत का 65% वित्तीय सहायता प्रदान करेंगी, जबकि उद्योग 25% का योगदान देगा। किसान या जमाकर्ता शेष 10% का योगदान देगा। इससे 3 साल में 15 लाख मीट्रिक टन पराली के एकत्र होने की उम्मीद है।
जैव विविधता का संरक्षण सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता : भूपेंद्र
इधर, केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि जैव विविधता का संरक्षण नरेंद्र मोदी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने यहां भारतीय प्राणी सर्वेक्षण के 108वें स्थापना दिवस के मौके पर कहा कि पिछले 10 सालों में 45 आर्द्र भूमि को रामसर स्थल घोषित किया गया, जिनमें 11 स्थल 2022 में ही घोषित किए गए। केंद्रीय मंत्री ने कहा, मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीता के हमारे हालिया अंतर-महाद्वीपीय स्थानांतरण को वैश्विक प्रशंसा मिली है। भारत में चीतों के विलुप्त होने के सात दशक बाद केंद्र नामीबिया से इस प्रजाति के आठ चीतों को देश में लाया और उन्हें कूनो में छोड़ दिया। इस तरह के दूसरे स्थानान्तरण में 12 चीतों को दक्षिण अफ्रीका से लाया गया और उसी राष्ट्रीय उद्यान में छोड़ा गया। हालांकि, बाद में तीन चीतों की मौत हो गई। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्रियों की उपस्थिति में लुप्तप्राय लाल पांडा के संरक्षण और सहयोगात्मक अनुसंधान के लिए भूटान सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किया गया।