AIN NEWS 1 नई दिल्ली, 7 नवंबर 2025: आज राजधानी दिल्ली के पवित्र छतरपुर मंदिर परिसर से ‘सनातन हिंदू एकता पदयात्रा 2025’ का शुभारंभ हुआ। यह पदयात्रा धर्म, संस्कृति और एकता के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से निकाली जा रही है। यात्रा की शुरुआत भव्य वैदिक मंत्रोच्चारण, हवन और पूजा-अर्चना के साथ हुई, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं और कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।

यह यात्रा दिल्ली से वृंदावन तक लगभग 160 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। दस दिनों तक चलने वाली यह यात्रा न केवल धार्मिक भावना का प्रतीक है, बल्कि यह समाज में सनातन धर्म के सिद्धांतों, आस्था, और मानवता के संदेश को पुनर्जीवित करने का अभियान भी है।
यात्रा का उद्देश्य और संदेश
‘सनातन हिंदू एकता पदयात्रा’ का मुख्य उद्देश्य समाज में आपसी भाईचारे, एकता और धर्म के प्रति समर्पण को बढ़ावा देना है। आयोजकों के अनुसार, आज के समय में जब लोग भौतिकता और व्यक्तिगत स्वार्थ में उलझे हुए हैं, ऐसे में यह यात्रा सनातन धर्म के मूल विचार – “वसुधैव कुटुंबकम्” (संपूर्ण विश्व एक परिवार है) – की याद दिलाती है।
सत्य सनातन युवा वाहिनी और विभिन्न धार्मिक-सांस्कृतिक संगठनों ने इस यात्रा का नेतृत्व किया है। इस यात्रा में साधु-संतों, युवाओं, महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों का जोश देखने लायक था। लोग हाथों में भगवा ध्वज, पोस्टर और नारे लेकर आगे बढ़ रहे थे – “धर्म से बड़ी कोई जाति नहीं, सनातन हमारी शक्ति है।”
पहले दिन का कार्यक्रम: भक्ति और उत्साह का संगम
यात्रा का शुभारंभ सुबह 7 बजे छतरपुर मंदिर से हुआ। पूजा-पाठ और भजन संध्या के बाद, बाबा बागेश्वर धाम सरकार के आशीर्वचन से यात्रा को रवाना किया गया। हजारों भक्तों ने “जय श्री राम” और “हर हर महादेव” के जयघोष के साथ कदम बढ़ाए।
पहले दिन यात्रा जीरखोद मंदिर (दिल्ली) तक पहुंची, जहां रात्रि विश्राम का प्रबंध किया गया। मार्ग में जगह-जगह स्थानीय लोगों ने यात्रियों का स्वागत फूल-मालाओं, जलपान और प्रसाद वितरण से किया। छोटे बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग सभी यात्रा का हिस्सा बने, जिससे यह आयोजन किसी पर्व से कम नहीं लगा।
यात्रा का मार्ग और पड़ाव
‘सनातन हिंदू एकता पदयात्रा’ दिल्ली से शुरू होकर मथुरा, गोवर्धन और अंत में वृंदावन धाम पहुंचेगी।
यात्रा के प्रमुख पड़ाव इस प्रकार हैं:
छतरपुर मंदिर, दिल्ली (प्रारंभ बिंदु)
जीरखोद मंदिर
फरीदाबाद
बल्लभगढ़
होडल
कोसीकलां
मथुरा
वृंदावन (समापन स्थल)
हर पड़ाव पर यात्रियों के लिए भोजन, विश्राम और भक्ति कार्यक्रमों की व्यवस्था की गई है। यात्रा के दौरान संत प्रवचन, सांस्कृतिक कार्यक्रम, भजन संध्या और समाज जागरण सभा का आयोजन होगा।
सामाजिक और आध्यात्मिक पहलू
यह यात्रा सिर्फ धार्मिक नहीं बल्कि सामाजिक जागरूकता का भी माध्यम है। आयोजकों ने बताया कि यात्रा के दौरान स्वच्छता अभियान, जल संरक्षण, गौ-संरक्षण, और भारतीय संस्कृति पर आधारित शिक्षा के प्रचार पर भी जोर दिया जाएगा।
इस यात्रा के माध्यम से लोगों को यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि सनातन धर्म केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन जीने की एक पूर्ण पद्धति है जो करुणा, प्रेम और सेवा के सिद्धांतों पर आधारित है।
लोगों की भावनाएं
एक युवा यात्री ने कहा,
“हम सब इस यात्रा में इसलिए शामिल हुए हैं ताकि दुनिया को दिखा सकें कि सनातन धर्म केवल प्राचीन नहीं, बल्कि आधुनिक समाज की आत्मा है।”
वहीं एक बुजुर्ग महिला श्रद्धालु ने भावुक होकर कहा,
“यह यात्रा हमारे लिए तीर्थ के समान है। दिल्ली से वृंदावन तक हर कदम भगवान की भक्ति में उठाया गया है।”
यात्रा का समापन और संदेश
16 नवंबर को यह यात्रा वृंदावन पहुंचकर समाप्त होगी, जहां विशाल ‘सनातन धर्म एकता सम्मेलन’ आयोजित किया जाएगा। देशभर से साधु-संत, विद्वान और धर्मप्रेमी इसमें शामिल होंगे।
समापन पर सामूहिक भंडारा और भक्ति संध्या का आयोजन होगा। इस अवसर पर सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार से जुड़े महत्वपूर्ण घोषणाएं भी की जाएंगी।
‘सनातन हिंदू एकता पदयात्रा 2025’ सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की आत्मा को पुनः जाग्रत करने का एक अभियान है। यह यात्रा बताती है कि सनातन धर्म किसी एक व्यक्ति, क्षेत्र या जाति का नहीं, बल्कि पूरे मानव समाज का धर्म है — जो प्रेम, एकता और शांति का संदेश देता है।
The Sanatan Hindu Ekta Padyatra 2025 has officially begun from Chhatarpur Temple in Delhi, marking the start of a grand spiritual movement towards Vrindavan. Organized by the Satya Sanatan Yuva Vahini, this sacred journey celebrates Hindu unity, devotion, and cultural pride. Thousands of devotees joined the padyatra chanting “Jai Shri Ram” and “Har Har Mahadev” as they walked with saffron flags towards their destination. The Delhi to Vrindavan yatra aims to promote Sanatan Dharma values, social harmony, and spiritual awakening across India.



















