AIN NEWS 1: दिल्ली के निजी स्कूलों में काम करने वाले शिक्षकों के लिए एक बड़ा अपडेट सामने आया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने उस फैसले को रद्द कर दिया है जिसमें सिंगल बेंच ने प्राइवेट स्कूलों को अपने शिक्षकों को सरकारी कर्मचारियों की तरह सैलरी और अन्य लाभ देने का आदेश दिया था। अब इस मामले पर फिर से सुनवाई होगी, यानी यह साफ नहीं है कि फिलहाल प्राइवेट स्कूल टीचर्स को सरकारी शिक्षकों के समान वेतन मिलेगा या नहीं।
सिंगल बेंच का आदेश हुआ रद्द
दरअसल, नवंबर 2023 में दिल्ली हाईकोर्ट की एक सिंगल बेंच ने फैसला दिया था कि दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट की धारा 10 के तहत, निजी स्कूलों को अपने शिक्षकों और अन्य स्टाफ को छठे और सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार वेतन देना चाहिए। इसके साथ ही, सिंगल बेंच ने यह भी कहा था कि शिक्षकों को प्रमोशन, रिटायरमेंट बेनिफिट्स और अन्य सुविधाएं भी उसी आधार पर दी जाएं, जैसे सरकारी स्कूलों में दी जाती हैं।
लेकिन अब हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच, जिसमें जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और जस्टिस विमल कुमार यादव शामिल थे, ने इस आदेश को रद्द कर दिया है। अदालत ने कहा कि सिंगल बेंच ने अपनी सीमा से बाहर जाकर ऐसा फैसला दिया था, जो कानूनी रूप से उचित नहीं था।
अदालत ने क्या कहा?
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि न्यायिक शक्तियों का इस्तेमाल केवल अदालतें कर सकती हैं। कोई भी समिति (Committee) न्यायिक निर्णय नहीं ले सकती। अदालतें केवल तथ्यों की जांच के लिए समितियां बना सकती हैं, लेकिन वेतन या फीस से जुड़े फैसले देने का अधिकार केवल अदालत के पास होता है।
डिवीजन बेंच ने कहा कि सिंगल जज ने जिन जोनल और सेंट्रल समितियों का गठन किया था ताकि वे फीस बढ़ोतरी और सैलरी के मामलों को देखें — वह पूरी तरह गलत था। संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत अदालतों को कुछ शक्तियां दी गई हैं, लेकिन उनका इस्तेमाल केवल फैक्ट फाइंडिंग यानी तथ्यों की जांच के लिए किया जा सकता है, न कि किसी निर्णय को लागू करने के लिए।
मामला कैसे शुरू हुआ?
यह विवाद तब शुरू हुआ जब कई निजी स्कूलों ने सिंगल बेंच के 17 नवंबर 2023 के आदेश को चुनौती दी। इन स्कूलों का कहना था कि वे सरकार से आर्थिक सहायता नहीं लेते, इसलिए उन्हें सरकारी वेतनमान लागू करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
दूसरी ओर, 50 से ज्यादा शिक्षकों ने याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने मांग की थी कि उन्हें भी सरकारी शिक्षकों की तरह वेतन, प्रमोशन और पेंशन जैसी सुविधाएं दी जाएं।
दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट का सेक्शन 10 क्या कहता है?
इस कानून के सेक्शन 10 में कहा गया है कि दिल्ली के सभी निजी स्कूलों को अपने शिक्षकों और स्टाफ को “सरकारी स्कूलों के समान वेतन और सुविधाएं” देनी होंगी। हालांकि, इस प्रावधान की व्याख्या को लेकर वर्षों से विवाद चला आ रहा है। कई स्कूलों का कहना है कि यह नियम केवल उन्हीं स्कूलों पर लागू होता है जिन्हें सरकार से अनुदान मिलता है, जबकि गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों पर इसका दबाव नहीं होना चाहिए।
अब आगे क्या होगा?
दिल्ली हाईकोर्ट ने यह मामला अब “रोस्टर बेंच” को वापस भेज दिया है। इसका मतलब है कि एक नई बेंच इस पर दोबारा सुनवाई करेगी। नई बेंच तय करेगी कि प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों को सरकारी शिक्षकों की तरह सैलरी और लाभ मिलेंगे या नहीं।
यह फैसला आने वाले समय में न केवल दिल्ली बल्कि पूरे देश के निजी शिक्षकों के लिए मिसाल साबित हो सकता है।
दोनों पक्षों की दलीलें
शिक्षकों का पक्ष:
शिक्षकों का कहना है कि वे भी समाज में वही भूमिका निभाते हैं जो सरकारी स्कूलों के शिक्षक निभाते हैं। इसलिए उन्हें समान वेतन और सुविधाएं मिलनी चाहिए। साथ ही, कई निजी स्कूल ऊंची फीस वसूलते हैं, फिर भी शिक्षकों को कम वेतन देते हैं।
स्कूलों का पक्ष:
वहीं, स्कूल प्रबंधन का कहना है कि उनके पास सरकारी स्कूलों जितना बजट नहीं होता। अगर उन्हें सरकारी वेतन देना पड़ा, तो फीस बढ़ानी पड़ेगी, जिससे अभिभावकों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
क्या इससे अन्य राज्यों पर भी असर पड़ेगा?
अगर आगे चलकर कोर्ट यह तय करता है कि दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों में सरकारी वेतनमान लागू होगा, तो अन्य राज्यों में भी इसी तरह के कानूनी कदम उठ सकते हैं। पहले भी तमिलनाडु, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में इस मुद्दे को लेकर कई याचिकाएं दाखिल की जा चुकी हैं।
फिलहाल, दिल्ली हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद स्थिति पहले जैसी ही बनी हुई है। प्राइवेट स्कूलों को अभी सरकारी शिक्षकों की तरह वेतन देने की बाध्यता नहीं है। लेकिन आने वाले समय में जब इस मामले पर फिर से सुनवाई होगी, तब इसका अंतिम फैसला तय करेगा कि निजी स्कूलों के शिक्षकों को सरकारी वेतनमान का लाभ मिलेगा या नहीं।
The Delhi High Court has overturned the single bench order that required private schools to pay their teachers and staff according to the 6th and 7th Pay Commission recommendations. The case, involving Section 10 of the Delhi Education Act, has been sent back to the roster bench for fresh hearing. This decision will determine whether private school teachers in Delhi will receive government-level salary and benefits, impacting thousands of educators and schools across the capital.



















