AIN NEWS 1 नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने पिता और बेटे के बीच संपत्ति विवाद में एक बहुत महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने एक 97 साल के एक बुजुर्ग की याचिका को ही खारिज कर दिया। बुजुर्ग ने याचिका में अपने दो बेटों पर धोखे से संपत्ति गिफ्ट के रूप में अपने नाम करने और प्रताड़ित करने का गम्भीर आरोप लगाया था। लेकिन हाईकोर्ट ने पिता की देखरेख न करने और प्रताड़ित करने के आधार पर बेटों के नाम उपहार स्वरूप करोड़ों की प्रॉपर्टी के ट्रांसफर को ही रद्द करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा है कि माता-पिता, वरिष्ठ नागरिकों को भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम 2007 की धारा 23 के प्रावधानों को अधिसूचना के जारी होने से पहले की तारीख से लागू नहीं किया जा सकता है। इस कानून को तो 2008 से लागू किया गया था।

जाने इस बुजर्ग का आरोप- बेटों ने धोखे से अपने नाम की संपत्ति

बता दें कि वकील के माध्यम से यह दाखिल याचिका में 97 वर्षीय बुजुर्ग ने आरोप लगाया कि उनके दो बेटों ने लाजपत नगर इलाके में स्थिति एक संपत्ति के बेसमेंट, ग्राउंड फ्लोर और पहली मंजिल को धोखे से गिफ्ट देखाकर अपने नाम करवा लिया। उस वक्त हर फ्लोर का रेट लगभग 10 लाख से ज्यादा ही किराया आता था। बुजुर्ग ने अपने दोनों बेटों पर प्रताड़ित करने का गम्भीर आरोप भी लगाया है इसी वजह से वह मई, 2007 में की गई इस गिफ्ट डीड को रद्द करना चाहते हैं।चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्ना और जस्टि सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने इस कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी जिसमें साफ़ कहा गया है कि माता-पिता की मूलभूत जरूरतों को पूरा करने में विफल रहने और उन्हें प्रताड़ित करने पर उनके द्वारा संतानों के नाम से गिफ्ट या किसी भी तरह से की गई संपत्ति के ट्रांसफर को पूरी तरह से अमान्य माना जाएगा। हाईकोर्ट ने इसपर अपनी टिप्पणी करते हुए कहा है कि याचिकाकर्ता द्वारा बेटों के नाम गिफ्ट के तौर पर दी गई संपत्ति को अमान्य घोषित करने के लिए विशेषाधिकार का इस्तेमाल अभी नहीं किया जा सकता है। हालांकि कोर्ट ने बुजुर्ग को बेटों के खिलाफ समुचित फोरम में शिकायत करने की पूरी छूट दी है।

जाने क्या गिफ्ट की गई संपत्ति वापस ली जा सकती है?

कानूनी तौर पर तो किसी संपत्ति को गिफ्ट करने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद इसे पूरी तरह से खारिज नहीं किया जा सकता, लेकिन प्रॉपर्टी ट्रांसफर एक्ट की धारा 126 में कुछ विशेष परिस्थितियों का जिक्र भी किया गया है, जिनमें इस प्रकार की गिफ्ट डीड को रद्द किया जा सकता है। जैसे- आप जिस मकसद से संपत्ति को गिफ्ट कर रहे हैं, यादि वो मकसद पूरा न हो तो आप गिफ्ट के तौर पर दी गई प्रॉपर्टी को वापस ले सकते हैं। उदाहरण के तौर पर मान लीजिए‍ कि आपने अपनी किसी जमीन को अनाथालय बनवाने के लिए उपहार में दिया, लेकिन आपकी उस जमीन का इस्‍तेमाल किसी कॉमर्शियल काम के लिए हो रहा हो, तो आप वह गिफ्ट की प्रॉपर्टी को आराम से चैलेंज कर सकते हैं। इसके अलावा मान लीजिए कोई बुजुर्ग पिता अपनी संतान को इस शर्त पर प्रॉपर्टी गिफ्ट करते हैं कि वो ताउम्र उनकी अच्छे से देखरेख करेगी, लेकिन वह संतान अपनी जिम्‍मेदारी को पूरा नहीं करती, तो पिता अपनी गिफ्ट डीड को आराम से रद्द करके प्रॉपर्टी वापस लेने का दावा कर सकता है।

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