AIN NEWS 1: भारत सरकार ने राजीव गांधी फाउंडेशन (RGF) के फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन रेगुलेशन एक्ट (FCRA) लाइसेंस को रद्द कर दिया है। RGF गैर-सरकारी संस्था है जिसका गांधी परिवार से संबंध हैं। फॉरेन फंडिंग लॉ के उल्लंघन का दोषी पाए जाने पर NGO पर ये एक्शन लिया गया है। लाइसेंस रद्द करने का फैसला अंतर-मंत्रालयी समिति की जांच के बाद हुआ है। इस कमेटी का गठन जुलाई, 2020 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने किया था। FCRA लाइसेंस के रद्द होने का नोटिस RGF कार्यालय को भेज दिया गया है। NGO ने अभी इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
सोनिया गांधी हैं RGF की अध्यक्ष
कांग्रेस की पूर्व प्रेसिडेंट सोनिया गांधी RGF की अध्यक्ष हैं। इसमें ट्रस्टी के तौर पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम, सांसद राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा भी मिल हैं। RGF की वेबसाइट के अनुसार राजीव गांधी फाउंडेशन का गठन 1991 में हुआ था। RGF ने 1991 से 2009 तक हेल्थ, तकनीक और साइंस, महिलाओं और बच्चों, विकलांगता मजजा जैसे कई बड़े मुद्दों पर काम किया है। 2010 में फाउंडेशन ने एजुकेशन से जुड़े मामलों पर भी काम करने का निर्णय लिया।
2020 में शुरू हुई जांच
RGF 2020 में जांच के दायरे में आया था जब गृह मंत्रालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) अधिकारी की अध्यक्षता में इंटर-मिनिस्ट्रियल कमेटी समिति का गठन किया। इस कमेटी को गांधी परिवार के 3 फाउंडेशन – राजीव गांधी फाउंडेशन (RGF), राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट (RGCT) और इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट की जांच का जिम्मा सौंपा गया था। इन पर आयकर कानून और FCRA के उल्लंघन का आरोप था।
चीन से मिले चंदे पर हुआ था घमासान
बीजेपी ने RGF को मिले चंदे को लेकर सवाल खड़े किए थे। चीन से चल रही टेंशन के बीच भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने आरोप लगाया कि चीन से राजीव गांधी फाउंडेशन ने डोनेशन ली है। उन्होंने 25 जून 2020 को एक वर्चुअल रैली के दौरान कहा था कि 2005-06 में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना और चीनी एम्बैसी से 3 लाख डॉलर लिए थे। जेपी नड्डा ने कांग्रेस और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के बीच नजदीकी संबंध के आरोप लगाए थे। उन्होंने पूछा कि दोनों के बीच हस्ताक्षरित और अहस्ताक्षरित एमओयू क्या है? आरजीएफ ने इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर इंटरनेशनल फ्रैंडली कांटैक्ट के साथ काम किया। यह संगठन चीन के सेंट्रल मिलिट्री कमीशन ऑफ चाइना से जुड़ा है। इसका मकसद दूसरे देशों के नेताओं की आवाजों को दबाना है।