AIN NEWS 1: जैसा कि आप जानते है जम्मू कश्‍मीर में बना हुआ वैष्णो देवी मंदिर हिंदुओं की आस्‍था का एक बहुत प्रमुख तीर्थ स्थल है। लोग यहां पर अपनी कामना लेकर मां के द्वार पर पहुंचते हैं और मां भी अपने भक्तो की हर मनोकामना को पूरी करती है। कई सारे लोग किसी अपने नए काम की शुरुआत से पहले भी मां वैष्णो देवी जाते हैं। ओर इन आम लोगों की तरह ही सेलिब्रिटीज में भी किसी अपने बड़े काम को शुरू करने से पहले मां के मंदिर में माथा टेकने का जाते रहते है।

इसी दौरान बॉलीवुड के किंग खान यानी कि शाहरुख खान भी अपनी फिल्म जवान रिलीज की तैयारी में लगे हुए है। इस मूवी के रिलीज से पहले हाल ही में इस एक्‍टर को वैष्णो देवी मंदिर में देखा गया है। उन्होंने वहा पर माता के दर्शन ही नहीं किए, बल्कि उन्होने मां से अपने लिए आर्शीवाद भी मांगा। कहते तो यह हैं कि माता वैष्णो देवी के दर्शन करने भर से ही व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होती है। आइए आज चर्चा करते हैं मां के मंदिर के इतिहास, महत्‍व और इसकी महिमा के बारे में।

जान ले माता के मंदिर का इतिहास

देश के कई बड़े इतिहासकारों की मानें, तो माता वैष्‍णोदेवी का मंदिर लगभग 700 साल पुराना है। इसका निर्माण यहां पर पंडित श्रीधर ने कराया था। वे माता के एक बहुत बड़े भक्‍त थे। ओर उनकी भक्ति से मां भी बेहद प्रसन्‍न थी। एक दिन मां श्रीधर के सपने में आईं और उनसे बोलीं, कि तुम यहां माता वैष्णो का एक भंडारा करो। इतना कहकर ही मां र्अतध्‍यान हो गईं। चूंकि श्रीधर बहुत ही गरीब थे। भंडारों में लोगो की बढ़ती भीड़ को देखकर ही वह काफ़ी चिंतित हो गए थे। इस भंडारे में ही एक बालिका थी, जो वहा सभी भक्तों को प्रसाद बांट रही थी।लोगों ने जब उनका नाम पूछा तो उन्होंने बताया कि उनका नाम वैष्‍णवी है और वह गायब हो गर्ईं। इस पर पंडित श्रीधर ने लोगों से पूछा कहां गईं मां वैष्‍णवी। तो किसी ने उन्हे कोई जवाब नहीं दिया। फिर एक दिन माता पंडित श्रीधर के सपने में आकर बोली, मैं ही माता वैष्णवी हूं। सपने में उन्होंने त्रिकूट पर्वत पर स्थित गुफा के बारे में उन्हे बताया। पंडित श्रीधर ने गुफा ढूंढकर पूरे ही विधि विधान से यहां माता वैष्णो की स्‍थापना की। आज यही गुफा मां वैष्णो देवी की प्रसिद्ध गुफा कहलाती है।

जान ले माता श्रीधर के सपने में आई थी

वैसे तो पौराणिक कथा के अनुसार, माता वैष्‍णो का जन्‍म दक्षिण भारत में रत्नाकर के घर में ही हुआ था। माता के जन्‍म से पहले उनके माता-पिता के कोई भी ओर संतान नहीं थी। बचपन में ही माता का नाम त्रिकुटा था। बाद में जब उनका जन्म भगवान विष्‍णु के वंश में हुआ था, तब उनका नाम वैष्‍णवी पड़ गया और लोग उन्‍हें मां वैष्णो देवी के नाम से ही जानने लगे।

यहां भैरो बाबा के दर्शन भी है बहुत जरूरी

माना तो यह जाता है कि मां वैष्णो देवी के दरबार में आने वाले सभी भक्तों की यात्रा तब तक पूरी नहीं मानी जाती, जब तक की वो भैरो बाबा के दर्शन उनके मन्दिर में न कर लें। कहते हैं कि मां की तपस्या के बाद भैरवनाथ ने उनसे युद्ध किया। लेकिन भैरवनाथ ने उनसे क्षमा भी मांग ली थी जिस पर मां ने उसे माफ करते हुए उन्हे वरदान दिया था मेरे भक्‍तों की पूजा तुम्‍हारे दर्शन के बिना पूरी नहीं होगी। इसलिए मंदिर में जाने वाले सभी श्रद्धालु माता के दर्शन के बाद भैरो बाबा के दर्शन के लिए जरूर जाते हैं।

जान ले 5200 फीट की ऊंचाई पर बनी है माता की यह गुफा

बता दें त्रिकुटा पर्वत की पहाड़ियों पर माता की गुफा 5200 फीट की ऊंचाई पर बनी हुई है। कहते हैं कि तीर्थ यात्रा करते समय मां को आशीर्वाद अपने भक्‍तों पर हमेशा ही बना रहता है, इसलिए कठिन से कठिन चढ़ाई को भी लोग काफ़ी आसानी से पार कर जाते हैं। बता दें कि इस गुफा के अंदर माता वैष्‍णो की कोई प्रतिमा स्‍थापित नहीं है। यहां पर तीन प्राकृतिक पत्‍थरों के रूप में माता को पूजा जाता है। मंदिर तक पहुंचने के लिए यात्रियों को कटरा के बेस कैंप से लगभग 13 किमी की चढ़ाई चढ़नी पड़ती है।

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