(देखे विडियो)Jaya Kishori ने समझाया प्यार का असली मतलब, बता दी सबसे महत्वपूर्ण बात?

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AIN NEWS 1 Jaya Kishori: हमारे देश में कथावाचक जया किशोरी (Jaya Kishori) को आखिर कौन नहीं जानता? करोड़ों लोग जया किशोरी को अलग अलग शोशल प्लेटफार्म पर फॉलो करते हैं. जया किशोरी की कथा और भजन भी लोगों को खूब पसंद आते हैं. वैसे तो जया किशोरी कथावाचक होने के साथ ही एक बहुत अच्छी मोटिवेशनल स्पीकर भी हैं. जिंदगी से जुड़े तमाम मुद्दों पर अपने अंदाज़ में जया किशोरी अपनी बातें रखती रहती हैं और इससे जुड़े हुए वीडियो भी वह सोशल मीडिया पर शेयर करती हैं. हाल ही के एक नए वीडियो में जया किशोरी ने लोगो को प्यार का असली मतलब समझाया है. जया किशोरी ने इस विडियो में ये भी बताया कि प्यार में किन बातों का हमेशा ही ध्यान रखना चाहिए वरना आपकी लव लाइफ खराब हो सकती है.

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उन्होने बताया कि अपनों से कैसे करनी चाहिए बात?

जया किशोरी ने इस विडियो में कहा कि मैं हमेशा कहता हूं कि मुझे ये बात कभी भी समझ में नहीं आई कि अपने ही नहीं बोलेंगे तो कौन बोलेगा? जो अपने होते हैं ना वो कभी सोच-समझकर नहीं बोलते हैं. क्यों नहीं बोलते? आपको अपनों के साथ ही तो ओर ज्यादा सोच-समझकर बोलना पड़ता है. सभी बाहर वालों के लिए तो आप थोड़ी बहुत बात इधर-उधर कर भी दें तो क्या है क्योंकि एक बार मिलेंगे और शायद दोबारा कभी ना भी मिलें.

उन्होने बताया लव लाइफ को कैसे करें अच्छा?

जान ले मोटिवेशनल स्पीकर जया किशोरी ने बताया कि लेकिन जो भी आपके साथ रह रहा है, जो आपसे प्रेम भी करता है, ओर जो आपके लिए हर कोई काम कर रहा है, आप उसको ही बोलते वक्त ध्यान नहीं रख रहे कि आखिर क्या बोलना है और क्या नहीं बोलना है. इतना ही नहीं लोग तो ये भी कह देते कि तुम तो अपने ही हो और अब तुम्हारे सामने भी हम सोचकर बोलें क्या? अरे मेरे ही सामने सोचकर बोलो क्योंकि आप दोनो एक-दूसरे का साथ दे रहे हैं.

उन्होने बताया तकलीफ देना नहीं है प्यार

जया किशोरी ने अपनी बात मे आगे कहा कि आपको सबसे ज्यादा ध्यान रखना ही चाहिए कि पूरी दुनिया थोड़े ही मेरे साथ खड़ी हो जाती है. ये जो मेरा अपना है ये ही तो मेरे साथ खड़ा है. हमें ये भी ध्यान रखना है कि इसकी भावनाएं बिलकुल आहत नहीं होनी चाहिए. इसे किसी भी प्रकार की तकलीफ नहीं होनी चाहिए. इसीलिए ही दुनिया के सामने सोचकर बोलो या मत बोलो. कम से कम अपनों के सामने तो बोलने से पहले दो बार सोच लो. और अक्सर लोग इसी का उलटा करते हैं. बाहर वालों को तो बड़ा खुश रख रहे हैं. उससे सोच-समझकर बाते करते हैं, लेकिन घरवालों को वह सताते हैं और फिर उसको वह प्यार का नाम देते हैं. मतलब बेइज्जती करना, गुस्सा करना, बुरी बातें सुनाना और तकलीफ देना, ये ही प्यार है क्या?

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