मौसमी समस्याओं से बढ़ी महंगाई

वित्त मंत्री ने मौसम को दिया दोष

सरकार का महंगाई कंट्रोल करने का दावा

AIN NEWS 1:देश में बढ़ती महंगाई के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मौसमी समस्याओं को दोषी ठहराया है। वित्त मंत्री के मुताबिक मौसमी समस्याओं की वजह से सप्लाई कम हुई है जिससे महंगाई बढ़ी है। हालांकि सीतारमण ने भरोसा दिया है कि जरूरी सामान की कीमतों को कंट्रोल करने की कोशिशों के साथ ही उन पर लगातार नजर भी रखी जा रही है।

मौसमी समस्याओं से बढ़ी महंगाई

सीतारमण ने इसके लिए फ्यूल और नेचुरल गैस की कीमतों में कमी लाने की कोशिशों का भी जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि देश में इनका इम्पोर्ट किया जाता है और कोविड के बाद रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते वैश्विक बाजार में ईंधन के दाम ऊंचे स्तर पर बने हुए हैं। वित्त मंत्री के मुताबिक हालात के मुताबिक अतिरिक्त स्टॉक जारी करके कीमतों में कमी की कामयाब कोशिश समय समय पर की गई है। चावल की कीमतें बढ़ने पर बफर स्टॉक से चावल जारी करके इनके दाम काबू किए गए थे। इन सब कोशिशों के चलते रिटेल महंगाई दर अब 6 फीसदी से नीचे आ गई है।

वित्त मंत्री ने मौसम को दिया दोष

वित्त मंत्री का कहना है कि केंद्र सरकार पूरी कोशिश कर रही है कि ईंधन के दाम तर्कसंगत स्तर पर बने रहें। गेहूं की बढ़ती कीमतों को कंट्रोल में रखने के लिए सरकार ने गेहूं की खरीदारी भी तेज कर दी है। इस साल सरकार का लक्ष्य 3.41 करोड़ टन गेहूं की खरीद का है। अब तक 1.70 करोड़ टन गेहूं की खरीदारी की गई है। गेहूं की खरीद में तेजी इसलिए जरूरी है ताकि सप्लाई के हिसाब से रिटेल मार्केट में गेहूं की सप्लाई हो सके। अगर सप्लाई को लेकर कुछ गड़बड़ी हुई तो इससे गेहूं की कीमत में तेजी आ सकती है।

सरकार का महंगाई कंट्रोल करने का दावा

लेकिन इस बार चीनी के दाम में तेजी आने की आशंका इंडियन शुगर मिल एसोसिएशन ने जताई है। ISMA के मुताबिक 2022-23 के लिए चीनी उत्पादन का अनुमान 3.40 करोड़ टन से घटाकर 3.28 करोड़ टन कर दिया है। ISMA का कहना है कि भारत के अलावा थाइलैंड, चीन, पाकिस्तान में चीनी का उत्पादन घटा है। उत्पादन कम होने से इसका इम्पोर्ट भी महंगा हो सकता है। ऐसे में अगर देश में चीनी की डिमांड बढ़ी और सप्लाई कम हुई तो रिटेल दाम बढ़ सकते हैं।

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