AIN NEWS 1: भारत में किराए पर घर लेना या देना वर्षों से एक जटिल प्रक्रिया माना जाता रहा है। मौखिक समझौते, अस्पष्ट कागजी कॉन्ट्रैक्ट, जमा राशि को लेकर विवाद, अचानक किराया बढ़ाने जैसी समस्याएँ आम थीं। लेकिन अब केंद्र सरकार ने रेंट सिस्टम को आधुनिक, पारदर्शी और सुरक्षित बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। चर्चा में चल रहे नए किराया समझौता अधिनियम 2025 में ऐसी कई व्यवस्थाएँ प्रस्तावित हैं, जो आने वाले समय में मकान मालिक और किरायेदार दोनों के लिए राहत लेकर आ सकती हैं।
नीचे इस अधिनियम में बताए गए प्रमुख नियमों को सरल भाषा में समझाया गया है, ताकि आप जान सकें कि यह बदलाव आपके लिए कितने महत्वपूर्ण हो सकते हैं।
1. किराया समझौता अब डिजिटल होगा – कागजों की झंझट खत्म
सबसे बड़ा बदलाव यह है कि किराया समझौता अब सिर्फ कागज़ पर नहीं बनाया जाएगा।
नए नियमों के अनुसार:
हर रेंट एग्रीमेंट ऑनलाइन तैयार और डिजिटल रूप से मुहरबंद (e-stamp) किया जाएगा।
इसे 60 दिनों के भीतर पंजीकृत (file) करना अनिवार्य होगा।
इससे न सिर्फ दस्तावेज़ सुरक्षित रहेंगे, बल्कि भविष्य में किसी विवाद की स्थिति में डिजिटल रजिस्ट्रेशन सबसे बड़ा सबूत होगा।
लोगों को अब “मौखिक समझौते” या “कागज़ खो गया” जैसे बहानों से छुटकारा मिल सकता है।
2. सिक्योरिटी डिपॉज़िट की ऊपरी सीमा – मनमानी खत्म
कई शहरों में मकान मालिक मनमाने तौर पर 6 महीने से लेकर 12 महीने तक का एडवांस किराया मांग लेते थे, जिससे किरायेदारों पर आर्थिक बोझ बढ़ जाता था। नए प्रावधान के अनुसार:
रिहायशी (Residential) मकानों के लिए अधिकतम 2 महीने का किराया सिक्योरिटी डिपॉज़िट के रूप में लिया जा सकेगा।
व्यावसायिक (Commercial) जगहों के लिए अधिकतम 6 महीने का किराया सुरक्षित राशि के तौर पर लिया जा सकता है।
यह नियम किराए पर घर खोजने वाले युवाओं, नौकरीपेशा लोगों और छात्रों के लिए बड़ी राहत बन सकता है।
3. किराया बढ़ाने का नियम – साल में सिर्फ एक बार और नोटिस जरूरी
अक्सर देखा जाता है कि मकान मालिक अचानक से किराया बढ़ा देते हैं, और किरायेदार के पास कोई विकल्प नहीं बचता। नई व्यवस्था में इसे नियंत्रित किया गया है।
किराया केवल 12 महीनों के बाद बढ़ाया जा सकेगा।
इसके लिए कम से कम 90 दिनों का लिखित नोटिस देना अनिवार्य होगा।
इससे किरायेदारों को पहले से तैयारी का समय मिलेगा, और मकान मालिक भी पेशेवर तरीके से इसका पालन करेंगे।
4. मकान में आवश्यक मरम्मत – 30 दिनों की समयसीमा
यदि किरायेदार घर में किसी बड़ी मरम्मत (जैसे पानी की लाइन, दीवार में सीलन, बिजली से जुड़े खतरे आदि) की शिकायत करता है, तो:
मकान मालिक को 30 दिनों के भीतर मरम्मत पूरी करनी होगी।
यदि वे ऐसा नहीं करते, तो किरायेदार उस खर्च को किराए से समायोजित कर सकता है।
यह प्रावधान घरों को सुरक्षित और रहने योग्य बनाए रखने में मदद करेगा।
5. मकान मालिक का बिना सूचना प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित
कई बार मकान मालिक बिना बताए अचानक घर देखने आ जाते थे, जो कि निजता (privacy) के अधिकार का उल्लंघन है।
नए नियम स्पष्ट करते हैं कि:
मकान मालिक 24 घंटे का लिखित नोटिस दिए बिना घर में प्रवेश नहीं कर सकते।
यह नोटिस SMS, WhatsApp या ईमेल से भी दिया जा सकता है।
इससे किरायेदार की व्यक्तिगत स्वतंत्रता को मजबूत सुरक्षा मिलती है।
6. बेदखली की मनमानी पर रोक – कानूनी आदेश जरूरी
अब किसी को भी अचानक घर खाली करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकेगा। नए प्रावधान कहते हैं:
बेदखली (eviction) केवल किराया न्यायाधिकरण (Rent Tribunal) के आदेश से ही संभव होगी।
मकान मालिक पानी, बिजली या अन्य सुविधाएँ काटकर दबाव नहीं डाल सकते।
किसी भी प्रकार की धमकी या मानसिक उत्पीड़न को पूर्णतः प्रतिबंधित किया गया है।
यह नियम किरायेदारों के लिए सबसे बड़ा सुरक्षा कवच हो सकता है।
7. किरायेदार के आने से पहले पुलिस सत्यापन अनिवार्य
घर किराए पर देने से पहले मकान मालिक को:
किरायेदार का पुलिस वेरिफिकेशन कराना आवश्यक होगा।
यह सुरक्षा व्यवस्था दोनों पक्षों के हित में है—क्योंकि इससे अपराधों व विवादों की संभावना कम होती है।
8. किराया विवादों का निपटारा सिर्फ 60 दिनों में
अक्सर रेंट विवाद महीनों या वर्षों तक चले जाते थे। अब:
सभी बेदखली और किराया विवादों का निपटारा 60 दिनों के भीतर किया जाएगा।
इससे न्याय तेज़, स्पष्ट और समय पर मिलेगा।
सरल शब्दों में—यह बदलाव क्यों जरूरी थे?
भारत में लंबे समय से किरायेदारी का बड़ा हिस्सा अनौपचारिक रहा है।
अस्पष्ट अनुबंध, मनमानी जमा राशि, अचानक घर खाली कराने जैसे मामलों से आम लोगों की समस्याएँ बढ़ती थीं।
नए किराया समझौता अधिनियम 2025 की दिशा यही है कि:
सिस्टम पारदर्शी बने
धोखाधड़ी रुके
किरायेदार सुरक्षित रहें
मकान मालिक भी कानूनी रूप से सुरक्षित रहें
और देश में आधुनिक रेंट मार्केट का विकास हो
इन नियमों के लागू होने पर किराए पर रहना या किराया पर देना पहले से कहीं अधिक सरल, व्यवस्थित और सुरक्षित हो जाएगा।
The New Rent Agreement Act 2025 introduces a modern and transparent rental framework in India, ensuring online rental agreements, limited security deposits, regulated rent hikes, tenant protection from forced eviction, mandatory police verification, and faster dispute resolution. These new rental rules aim to create a balanced relationship between tenants and landlords while promoting digital compliance and a safer rental ecosystem in India.



















