नाबालिग की हत्या के मामले में कोर्ट ने दोषी को अब फांसी की सजा सुनाई है।

मथुरा में रेप के बाद नाबालिग की हत्या के मामले में कोर्ट ने दोषी को अब फांसी की सजा सुनाई है। अपर सत्र न्यायाधीश एवं विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट विपिन कुमार की अदालत ने आरोप पत्र दाखिल होने के मात्र 26 दिन के अंदर आरोपी युवक को दोषी मानते हुए अपना फैसला सुनाया। दोषी पर 45 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है।

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AIN NEWS 1: बता दें मथुरा में रेप के बाद नाबालिग की हत्या के मामले में कोर्ट ने दोषी को अब फांसी की सजा सुनाई है। अपर सत्र न्यायाधीश एवं विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट विपिन कुमार की अदालत ने आरोप पत्र दाखिल होने के मात्र 26 दिन के अंदर आरोपी युवक को दोषी मानते हुए अपना फैसला सुनाया। दोषी पर 45 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। आरोपी ने 13 अक्टूबर 2022 को ही नाबालिग को घर के बाहर खेलते समय भंडारा में ले जाने के बहाने ले गया और उसके बाद पहले तो उसके साथ रेप किया और फिर पहचान छिपाने की डर से उसकी बेरहमी से हत्या कर दी थी।

कोर्ट ने अपने इस आदेश में कहा गया है कि दोषी सतीश को फांसी के फंदे पर तब तक लटकाया जाए। जब तक की उसकी मृत्यु सुनिश्चित ना हो जाए। पीड़िता के माता- पिता ने फैसला आने के बाद कहा, “इतनी जल्दी न्याय मिला है, उसके लिए हम सभी लोगो का आभार प्रकट करते हैं और हमें न्याय प्रणाली पर पूरा भरोसा है।”

जाने वृंदावन रोड पर मिला था पीड़िता का शव

13 अक्टूबर साल 2022 की देर शाम शहर कोतवाली इलाके के सौंख रोड की रहने वाली मात्र 10 वर्ष की मासूम का शव मथुरा वृंदावन रोड पर स्थित PMB कॉलेज के जंगलों में पुलिस को मिला था। पुलिस ने मामले में पहले अज्ञात के खिलाफ रेप और हत्या का मामला दर्ज किया था।

फिर 14 अक्टूबर को किया था आरोपी को गिरफ्तार

पुलिस ने जब मामले की जांच की तो वारदात को अंजाम देने के मामले में पीड़िता के ही पड़ोसी 30 वर्षीय सतीश का नाम पुलिस के सामने आया था। पता चला सिलाई बुनाई का काम करने वाला सतीश पीड़िता को जंगल में ले गया जहां उसके साथ उसने दुराचार किया और फिर उसकी हत्या कर दी थी। पुलिस ने वारदात के अगले दिन 14 अक्टूबर को ही आरोपी सतीश को गिरफ्तार भी कर लिया था।

अब पॉक्सो कोर्ट ने सुनाई सजा

सरकार की तरफ से पैरवी कर रहीं स्पेशल डीजीसी पोक्सो कोर्ट अलका उपमन्यु एडवोकेट ने बताया कि पीड़िता की मां ने थाना जैंत पर यह रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि 13 अक्तूबर 2022 की शाम को सतीश के बेटे बुद्धाराम (30) उनकी 10 वर्षीय बेटी को घुमाने के बहाने अपने साथ ले गया। और उससे बेटी की दुष्कर्म के बाद बेरहमी से हत्या कर शव को पीएमबी पॉलीटेक्निक कॉलेज के पास जंगल में ही फेंक दिया। जिसे पुलिस ने अब बरामद किया था। पुलिस ने पीड़िता की मां की तहरीर पर पॉक्सो एक्ट में उसी समय मुकदमा दर्ज किया था।

जान ले 14 नवंबर को पुलिस ने दाखिल किया था आरोप पत्र

इस घटना के लगभग एक महीने बाद 14 नवंबर 2022 को पुलिस ने युवक के खिलाफ आरोप पत्र भी कोर्ट में दाखिल किया। इसकी सुनवाई अपर सत्र न्यायाधीश व विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट विपिन कुमार की अदालत में ही हुई। कोर्ट ने मुकदमे में गवाही और सुबूतों के आधार पर इस अभियुक्त को दोषी माना।दोष सिद्ध होने के बाद शुक्रवार को अभियुक्त सतीश को धारा 302 भारतीय दण्ड संहिता के अन्तर्गत दण्डनीय अपराध के आरोप में मृत्यु दण्ड की सजा सुनाई।

आदेश में कहा गया है कि दोषी सतीश को फांसी के फंदे पर तब तक लटकाया जाए। जब तक की उसकी मृत्यु सुनिश्चित ना हो जाए। लेकिन उक्त दण्डादेश तब तक निष्पादित नहीं किया जा सकेगा। जब तक कि उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा इसकी पुष्टि ना कर दी जाए।इसके अलावा आरोपी पर धारा-363 भारतीय दण्ड संहिता के अन्तर्गत दण्डनीय अपराध के आरोप में 5 साल के कठोर कारावास तथा पांच हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना न देने पर दोषी तीन महीने का अतिरिक्त यह सजा काटनी पड़ेगी।इसके अलावा आरोपी सतीश को धारा 376 ए. बी. भारतीय दण्ड संहिता के अन्तर्गत दण्डनीय अपराध के आरोप में आजीवन कारावास जीवन की अंतिम सांस तक तथा बीस हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना न देने पर 6 महीने उसे अलग से सजा काटनी होगी।

पोक्सो अधिनियम की धारा-5 एम / 6 के अन्तर्गत दण्डनीय अपराध के आरोप में आजीवन कारावास तथा बीस हजार रूपए के अर्धदण्ड से दण्डित भी किया गया है। अर्थदण्ड अदा ना करने पर अभियुक्त 6 महीने का अतिरिक्त कारावास भी होगा।

इस पूरे मामले में 20 गवाह बनाए गए थे। जिनमे कोर्ट ने मुख्य 10 गवाहों को सुना। जिसमें पुलिस कर्मी,मेडिकल और पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर के अलावा पीड़िता के परिजन भी शामिल थे।

ये सभी सजा चलेंगी साथ- साथ

अलका उपमन्यु ने बताया कि सभी सजाएं एक साथ चलेगी। दोषी न्यायिक अभिरक्षा में है। इस निर्णय की प्रति उच्च न्यायालय इलाहाबाद को मृत्यु दण्ड की पुष्टि हेतु ही भेजी जाएगी। अभियुक्त के द्वारा अदा किये जाने वाले अर्थदण्ड में से 80 प्रतिशत धनराशि मृतका के माता-पिता को ही देनी होगी।वादी की तरफ से सरकारी अधिवक्ता स्पेशल डीजीसी पोक्सो कोर्ट अलका उपमन्यु के अलावा पूर्व एडीजीसी वीरेंद्र लवानिया व अधिवक्ता अनवर हुसैन रहे। अभियुक्त की तरफ से पैरवी अधिवक्ता योगेश तिवारी ने की।

इस मामले में 10 गवाहों की हुई गवाही

उन्होंने कहा कि मामले में 20 गवाह बनाए गए थे। कोर्ट ने मुख्य 10 गवाहों को ही सुना। जिसमें पुलिस कर्मी,मेडिकल और पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर के अलावा पीड़िता परिजन थे। दोषी सतीश के वकील योगेश तिवारी ने कहा कि दोषी ने 164 के बयान में भी अपना जुर्म कबूल कर लिया था। इसलिए यह सजा हुई है।

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