19 साल की युवती से 2012 में हुआ गैंग रेप

गुप्तांग में मिली शराब की बोतल, आँख में डाला तेज़ाब

तीन दिन तक वहशीपन करके दी दर्दनाक मौत

AIN NEWS 1: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के छावला में रेप मामले में बड़ा तीनों आरोपियों को रिहा कर दिया। अदालत का कहना है कि आरोपियों को निष्पक्ष ट्रायल नहीं मिला था, ऐसे में उन्हें रिहा करने का आदेश हुआ। ये मामला फ़रवरी 2012 का है जब दिल्ली के छावला इलाक़े में एक 19 साल की लड़की से सामूहिक बलात्कार किया गया था।

बेहद बुरी हालत में मिला शव

जिन तीन आरोपियों को उस मामले में गिरफ्तार किया गया था, उन पर अपहरण, गैंग रेप और फिर लड़की की हत्या करने का आरोप लगा था। लड़की का शव भी तीन दिन बाद बेहद खराब हाल में मिला था। उस मामले में पहले निचली अदालत और फिर हाई कोर्ट ने तीनों ही आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई गई थी। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने उन तीनों ही आरोपियों को बरी कर दिया।

संदेह का लाभ देकर छोटे दरिंदे

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अभियोग पक्ष आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित करने में असफल हुआ है। ये भी कहा गया है कि सुनवाई के दौरान अभियोग पक्ष ने 49 गवाहों को एग्जामिन किया था, लेकिन उनमें से 10 को एक बार भी क्रॉस एग्जामिन नहीं किया गया। कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया है कि जांच के दौरान ASI को मृतक के शरीर के जो बाल मिले था, वो काफी संदिग्ध है।

शव को तीन दिन तक किसी ने नहीं देखा

आदेश के दौरान कोर्ट ने इस बात का भी जिक्र किया कि लड़की का खेत में जो शव मिला था, वो सड़ा नहीं थाज। ये भी सवाल उठाया गया कि तीन दिनों तक शव खेत में पड़ा रहा, लेकिन किसी का भी उस पर ध्यान नहीं गया।

न्याय के दस साल हुए बेकार

14 फरवरी 2012 को उत्तराखंड की ‘निर्भया’ अपने दफ़्तर जाने के लिए घर से निकली थी। लेकिन उस दिन वो देर शाम तक घर नहीं लौटी तो परिजन चिंतित हुए। घबराए परिजनों ने उसकी काफी खोजबीन की लेकिन कोई सुराग नहीं लगा। काफ़ी तलाशने के बाद जानकारी मिली कि कुछ लोग एक लड़की को गाड़ी में डालकर दिल्ली से बाहर ले जाते हुए दिखाई दिए हैं।

वहशीपन की सभी हद पार की

इस मामले में दोषियों ने लड़की के साथ रेप के साथ उसे अमानवीय यातनाएँ भी दी थीं। लड़की को कार में इस्तेमाल होने वाले औजारों से पीटा गया और उसके शरीर को जगह जगह सिगरेट से दागा गया था। उसके चेहरे को तेजाब से जलाया गया था। इसके बाद आरोपी गिरफ्तार किए गए थे जिन्हें दिल्ली की कोर्ट ने 19 साल की युवती के बलात्कार और मर्डर का दोषी ठहराए जाने के बाद मौत की सजा सुनाई गई थी। इस आदेश को सही मनाते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने भी फांसी की सजा पर मुहर लगा दी थी।
इसके बाद दोषियों की तरफ से सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गयी थी जहां इन्हें बड़ी कर दिया गया।

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फूट फूटकर रोयी लाचार माँ

फ़ैसले के बाद बरसों से इंसाफ़ की आस में ज़ी रही लड़की की माँ फूट फूटकर रोने लगी। सुप्रीम कोर्ट से न्याय ना मिलने से सिस्टम का मारा एक परिवार बिखर गया। रोते रोते जिस माँ के आंसू सुख चुके थे वो अब सोच रही है की किस दरवाज़े पर जाकर अपनी गुहार लगाये। आरोपियों पर अपना गुनाह तक स्वीकार करने की बात कहने वाली माँ समझ नहीं पा रही है की क्यूँ उसकी बेटी ke साथ दरिन्दगी करने वाले वहशियों को कोर्ट ने रिहा कर दिया? कोई जवाब क्यूँ नहीं देते मिलॉर्ड वो बार बार यही सवाल कर रही है।

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