नेहरु मेमोरियल म्यूजियम को लेकर मोदी सरकार का बड़ा फैसला ?
नेहरु मेमोरियल म्यूजियम को लेकर बड़ी खबर सामने आई है. आपको बता दे कि केंद्र की मोदी सरकार की ओर से अब नेहरु मेमोरियल म्यूजियम के नाम में बदलाव करने का फैसला लिया गया है.
इसके तहत अब ये म्यूजियम पीएम म्यूजिमय एंड लाइब्रेरी के नाम से पहचाना जाएगा. नेहरू मेमोरियल एंड म्यूजियम का नाम बदलने को लेकर कांग्रेस की ओर से भी तीखा प्रतिक्रिया सामने आई है. कांग्रेस नेता प्रवक्ता जयराम रमेश ने कहा है इसे मनमानी तानाशाही बताया है.
कैसे बदला गया नाम
नेहरू मेमोरियल म्यूजियम के नाम बदलने को लेकर बकायदा नेहरू ममोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सोसायटी की ओर से एक बैठक आयोजित की गई थी. इस बैठक में नाम बदलने को लेकर प्रस्ताव रखा गया इस पर विचार विमर्थ के बाद नाम बदलने पर सहमति बनी. इसके बाद नया नाम प्राइम मिनिस्टर म्यूजियम एंड लाइब्रेरी रखने पर भी सभी ने हामी भरी इसके पुराने नाम में बदलाव पर मुहर लगई .
बता दें कि इस बैठक की अध्यक्षता देश केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की. दरअसल सिंह इस सोसायटी के उपाध्यक्ष भी हैं.
नाम बदलने की क्या थी वजह
नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी के नाम बदलने की पीछे जो बड़ी वजह थी वो था कार्यपरिषद को इसकी जरूरत महसूस होना. कार्यकारी परिषद ने ये महसूस किया कि संस्थान का नाम मौजूदा गतिविधियों को दर्शाने वाला होना चाहिए. इसमें एक नए संग्रहालय को भी शामिल किया गया है. इस म्यूजियम में नए भारत के लोकतंत्र की एक सामूहिक यात्रा के दर्शन भी किए जा सकते हैं.
कांग्रेस ने जताई आपत्ति
वहीं नेहरू मेमोरियल के नाम बदले जाने को लेकर कांग्रेस की ओर से भी प्रतिक्रिया सामने आई है.कांग्रेस ने नाम बदलने को लेकर आपत्ति जताने के साथ इसे केंद्र की मनमानी वाला रवैया बताया है. इसको लेकर बकायदा कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने एक ट्वीट भी किया है.
2016 में रखा गया था प्रस्ताव
दरअसल वर्ष 2016 में ही पीएम मोदी की ओर से देश के सभी प्रधानमंत्रियों को समर्पित एक म्यूजियम स्टैबलिश करने को लेकर प्रस्ताव रखा गया था. इसके बाद नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी की ओर से बैठक में इस प्रस्ताव को लेकर रजामंदी भी बनी थी. इस योजना के पूरा होने के बाद इसे 21 अप्रैल 2022 में आम जनता को समर्पित कर दिया गया.