नोएडा में हाईराइज सोसायटियों मे रहने वाले लोगों के लिए बड़ी खबर, अब निर्माण की जांच का रास्ता साफ।

नोएडा से एक बड़ी खबर है। शहर की हाईराइज हाउसिंग सोसाइटीज में घटिया निर्माण की लगातार कई लोगो द्वारा शिकायतें की जा रही हैं। तमाम हाउसिंग...

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AIN NEWS 1 : नोएडा से एक बड़ी खबर है। शहर की हाईराइज हाउसिंग सोसाइटीज में घटिया निर्माण की लगातार कई लोगो द्वारा शिकायतें की जा रही हैं। तमाम हाउसिंग सोसाइटीज के बाशिंदे स्ट्रक्चरल ऑडिट और निर्माण की जांच करवाने की मांग कई बार प्राधिकरण से कर चुके है । इसके लिए अब अथॉरिटी ने एक पॉलिसी तैयार की। जिसे शनिवार को हुई बोर्ड बैठक में रखा भी गया है। हाईराइज इमारतों के लिए बनाई गई इस स्ट्रक्चरल ऑडिट पॉलिसी को बोर्ड ने अब मंजूरी दे दी है। खास बात यह है कि सोसाइटीज में रहने वाले निवासियों और अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन को इस पॉलिसी में बड़े अधिकार भी दिए गए हैं। बता दें नोएडा की मुख्य कार्यपालकअधिकारी ऋतु महेश्वरी ने यह जानकारी देते हुए कहा कि अब लोगों की इन शिकायतों का समाधान पूर्ण रूप से किया जा सकता है।

जान ले क्या है पॉलिसी

नोएडा की मुख्य कार्यपालक अधिकारी रितु माहेश्वरी ने बताया कि शहर के फ्लैट बायर्स और अपार्टमेंट ओनर्स की मांग पर नोएडा प्राधिकरण ने स्ट्रक्चरल ऑडिट पॉलिसी को तैयार किया है। जिसमें आंशिक संशोधनों के साथ प्राधिकरण बोर्ड ने इसे शनिवार को मंजूरी भी दे दी है। रितु महेश्वरी ने बताया कि इस पॉलिसी के अनुसार आंशिक या पूर्ण उपभोग प्रमाण पत्र जारी होने से पहले ही बिल्डर को आईआईटी, एनआईटी या किसी विशेषज्ञ संस्था से स्ट्रक्चरल ऑडिट की रिपोर्ट प्राधिकरण को ज़रूर देनी होगी। यह आईआईटी, एनआईटी और संस्थाएं नोएडा अथॉरिटी में इंपैनल्ड भी होनी चाहिए।

 

बता दें कैसे होगी जांच

 

रितु महेश्वरी ने बताया कि आंशिक या पूर्ण उपभोग प्रमाण पत्र जारी होने के बाद भी किसी परियोजना का स्ट्रक्चरल ऑडिट कभी भी करवाया जा सकता है। इसके लिए वहां की अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन अथवा टावर के 25% या इससे ज्यादा वहा के आवंटियों को स्ट्रक्चरल डिफेक्ट की शिकायत करनी होगी। प्राधिकरण की समिति ही शिकायत का संज्ञान लेगी। स्ट्रक्चरल डिफेक्ट माइनर या मेजर है, इसका पता समिति ही लगाएगी। मेजर कैटेगरी के स्ट्रक्चरल डिफेक्ट के लिए विशेषज्ञ संस्थाओं से भी ऑडिट कराया जाएगा।

इसके लिए क्या है समय सीमा

अपार्टमेंट ओनरशिप एक्ट में स्ट्रक्चरल डिफेक्ट को दूर करने की जिम्मेदारी बिल्डर की है, लेकिन इसके लिए 2 वर्ष की समय सीमा भी निर्धारित है। उत्तर प्रदेश भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (यूपी रेरा) के अनुसार स्ट्रक्चरल डिफेक्ट को दूर करने की जिम्मेदारी 5 वर्ष तक उसी बिल्डर की है। 5 वर्ष के बाद अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन को यह डिफेक्ट दूर करना होगा। इस अवधि की गणना संपूर्ण योजना का उपभोग प्रमाण पत्र जारी होने के बाद की जाएगी।

 

कौन दूर करेगा ऐसा डिफेक्ट

रितु माहेश्वरी ने बताया कि अभी बोर्ड ने यह निर्णय लिया है कि यदि स्ट्रक्चर ऑडिट की रिपोर्ट नेगेटिव आती है तो उपभोग प्रमाण पत्र जारी होने की तारीख से 5 वर्ष के अंदर डिफेक्ट को बिल्डर को ही दूर करना होगा। 2 वर्ष से 5 वर्ष की अवधि के प्रकरणों में प्राधिकरण इंपैनल्ड एजेंसी से ऑडिट करवाएगा। पाई गई कमियों के निराकरण की कार्यवाही बिल्डर से कराने के लिए यूपी रेरा को भी सूचित किया जाएगा। 5 वर्ष से अधिक वक्त बीतने पर ऐसे मामलों में स्ट्रक्चरल ऑडिट और डिफेक्ट को दूर करने की जिम्मेदारी अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन की ही होगी

 

इससे फ्लैट बायर्स को बड़ी राहत

 

नोएडा अथॉरिटी की इस पॉलिसी को फ्लैट खरीदारों के हित में ही माना जा रहा है। गौतमबुद्ध नगर विकास समिति की अध्यक्ष रश्मि पांडे ने कहा, “यह हम लोगों की एक बहुत पुरानी मांग है। जिसे अब नोएडा अथॉरिटी ने पूरा किया है। उम्मीद है कि बहुत जल्दी यह पॉलिसी ग्रेटर नोएडा यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी और राज्य के बाकी विकास प्राधिकरणों में भी अंगीकृत कर ली जाएगी। बिल्डरों ने बेहद लापरवाही से ऊंची-ऊंची इमारतों का निर्माण तो किया है। रोजाना छोटे-मोटे हादसे भी होते रहते हैं। बारिश और तूफान के वक्त तो बड़े हादसे भी हो रहे हैं। जिसके चलते इन हाउसिंग सोसाइटीज में रहने वाले लोग भयाक्रांत रहते हैं।” रश्मि पांडे आगे कहती हैं, “मेरी मांग है कि जिन हाउसिंग सोसाइटीज में लोगों को रहते हुए पॉलिसी में निर्धारित समय सीमा से ज्यादा वक्त बीत चुका है, उन पर भी प्राधिकरण को विशेष ध्यान देना चाहिए। दरअसल, अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन के पास इतना फंड नहीं होता है कि मेजर स्ट्रक्चरल डिफेक्ट को ठीक करवा पाएंगी।”

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