AIN NEWS 1: पाकिस्तान इन दिनों गहरे राजनीतिक और आर्थिक संकट से गुजर रहा है। लाहौर, इस्लामाबाद, कराची और पेशावर जैसे प्रमुख शहरों में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए हैं। जनता शहबाज शरीफ सरकार की नीतियों से नाराज़ है और “कदम-ब-कदम इस्तीफा दो” जैसे नारे लगा रही है। हालात इतने बिगड़ गए हैं कि सरकार ने कई इलाकों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दीं और आंशिक लॉकडाउन लागू करना पड़ा है।
विरोध प्रदर्शनों की शुरुआत तब हुई जब महंगाई ने आम लोगों की कमर तोड़ दी। पेट्रोल, गैस और बिजली के दाम आसमान छू रहे हैं, वहीं बेरोज़गारी ने युवाओं को हताश कर दिया है। लोगों का कहना है कि शहबाज सरकार केवल वादे करती रही, लेकिन जमीनी स्तर पर हालात और खराब हुए हैं।
जनता की नाराज़गी क्यों बढ़ी?
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पिछले कई सालों से लगातार गिरावट में है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से मिले कर्ज की शर्तों ने जनता पर बोझ बढ़ा दिया है। टैक्सों की मार, महंगे ईंधन और बिजली कटौती ने आम नागरिकों का जीवन मुश्किल बना दिया है। कई इलाकों में 12 से 14 घंटे तक बिजली गायब रहती है।
इस संकट के बीच जब सरकार ने नए टैक्स और बढ़े हुए बिजली बिल लागू किए, तो लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। लाहौर में शुरू हुआ विरोध कुछ ही दिनों में पूरे देश में फैल गया।
सड़कों पर जनता का सैलाब
लाहौर, इस्लामाबाद और कराची की सड़कों पर लोगों की भीड़ उमड़ आई। जगह-जगह नारेबाजी, झंडे और बैनर लेकर लोग सरकार से जवाब मांग रहे हैं। कई इलाकों में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें भी हुईं।
सरकार ने हालात पर नियंत्रण पाने के लिए सोशल मीडिया और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दीं ताकि विरोध का दायरा न बढ़े। इस्लामाबाद और लाहौर के कई इलाकों में धारा 144 लागू कर दी गई है।
एक स्थानीय नागरिक ने बताया, “हम महंगाई से तंग आ चुके हैं। रोज़मर्रा की चीज़ें भी अब खरीद पाना मुश्किल हो गया है। सरकार सुनती नहीं, इसलिए अब सड़कों पर उतरना ही आखिरी रास्ता बचा है।”
लॉकडाउन और दमन के बीच आक्रोश
सरकार ने दावा किया है कि विरोध प्रदर्शनों में कुछ “राजनीतिक तत्व” शामिल हैं जो अस्थिरता फैलाना चाहते हैं। लेकिन जनता का कहना है कि यह आंदोलन पूरी तरह जन-आवाज़ है।
कई जगहों पर पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया और सैकड़ों लोगों को हिरासत में लिया गया है। इसके बावजूद, भीड़ कम नहीं हुई।
लाहौर के मशहूर मॉल रोड से लेकर इस्लामाबाद के डी-चौक तक लोग डटे हुए हैं। कई सामाजिक संगठनों ने भी इन प्रदर्शनों को समर्थन दिया है।
विपक्षी दलों की भूमिका
पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जनता का गुस्सा जायज़ है।
इमरान खान ने बयान जारी कर कहा, “यह जनता की आवाज़ है, जिसे दबाया नहीं जा सकता। शहबाज शरीफ की सरकार ने देश को कर्ज और भ्रष्टाचार के दलदल में धकेल दिया है।”
वहीं, सरकार का कहना है कि इमरान खान की पार्टी इस संकट का राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश कर रही है।
अर्थव्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय स्थिति
पाकिस्तान की मौजूदा स्थिति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता का विषय बन चुकी है। विदेशी निवेशक देश से पैसा निकाल रहे हैं, और विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से घट रहा है।
आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सुधार नहीं किए गए, तो आने वाले महीनों में पाकिस्तान को और गंभीर संकट झेलना पड़ सकता है।
इंटरनेट बंदी का असर
सरकार ने दावा किया कि इंटरनेट बंद करना “अस्थायी कदम” है, लेकिन इससे आम जनता और व्यापारियों को भारी नुकसान हुआ है। ऑनलाइन कारोबार ठप हो गए हैं और बैंकिंग सेवाओं पर भी असर पड़ा है।
कई पत्रकारों ने सोशल मीडिया पर लिखा कि सरकार “सूचना पर नियंत्रण” करने की कोशिश कर रही है ताकि विरोध की आवाज़ दुनिया तक न पहुंचे।
आगे क्या?
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकार जल्द समाधान नहीं निकालती, तो यह विरोध देशव्यापी अस्थिरता का रूप ले सकता है।
शहबाज शरीफ सरकार के सामने अब दो बड़े सवाल हैं — जनता का विश्वास कैसे जीता जाए और देश की गिरती अर्थव्यवस्था को कैसे संभाला जाए।
फिलहाल पाकिस्तान की गलियों में गूंज रहे नारे बताते हैं कि जनता अब “परिवर्तन” चाहती है।
Protests in Pakistan have erupted across Lahore, Islamabad, and other major cities as people demand the resignation of the Shehbaz Sharif government. The growing anger stems from record-high inflation, unemployment, and widespread corruption. The Pakistani government has imposed lockdowns and suspended internet services to control the unrest, but the situation remains tense. Citizens, opposition leaders, and international observers are closely watching how the Pakistan protests unfold amid the ongoing economic and political crisis.