AIN NEWS 1: पूर्व आईपीएस अधिकारी और आज़ाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर को शुक्रवार को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच वाराणसी की अदालत में पेश किया गया। उनकी पेशी को लेकर प्रशासन पूरी तरह अलर्ट मोड में दिखाई दिया। कोर्ट परिसर के अंदर और बाहर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था, जिससे पूरा इलाका छावनी में तब्दील नजर आया।
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अमिताभ ठाकुर को पुलिसकर्मी बॉडी प्रोटेक्टर और बुलेटप्रूफ जैकेट पहने हुए अदालत परिसर के भीतर लेकर पहुंचे। सुरक्षा इंतज़ाम इतने सख्त थे कि आम लोगों की आवाजाही पर भी रोक लगा दी गई। कोर्ट के आसपास मौजूद लोगों और वाहनों को बाहर कर दिया गया, ताकि किसी भी तरह की अव्यवस्था या टकराव की स्थिति न बने।
अदालत में पेशी के दौरान जज ने अमिताभ ठाकुर को बैठने के लिए कहा। इस दौरान कोर्ट का माहौल पूरी तरह गंभीर बना रहा। पेशी के बाद अदालत ने उन्हें 24 घंटे की पुलिस रिमांड पर भेजने का आदेश दिया। हालांकि, रिमांड को लेकर उनके वकील ने अदालत में कड़ा विरोध दर्ज कराया।
अमिताभ ठाकुर के अधिवक्ता अनुज ने बताया कि जिन धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है, उनमें से दो धाराएं असंज्ञेय अपराध की श्रेणी में आती हैं। ऐसे मामलों में कानूनन पुलिस रिमांड नहीं दी जा सकती। इसके बावजूद पुलिस द्वारा रिमांड मांगी गई, जिसे अदालत ने मंजूरी दे दी। वकील ने इसे कानूनी प्रक्रिया के खिलाफ बताया।
पुलिस रवैये पर नाराज दिखे अमिताभ ठाकुर
कोर्ट में मौजूद रहने के दौरान अमिताभ ठाकुर पुलिस के व्यवहार से संतुष्ट नहीं दिखे। सूत्रों के मुताबिक, पुलिसकर्मियों के रवैये को लेकर उनकी बहस भी हुई। यह बहस इतनी तेज हो गई कि कुछ देर के लिए अदालत परिसर में तनाव का माहौल बन गया, हालांकि स्थिति जल्द ही नियंत्रित कर ली गई।
अमिताभ ठाकुर का कहना था कि उनके साथ अनावश्यक कठोरता बरती जा रही है और कानूनी अधिकारों की अनदेखी की जा रही है। हालांकि पुलिस अधिकारियों ने किसी भी तरह की बदसलूकी के आरोपों से इनकार किया।
मीडिया तक आवाज न पहुंचे, सीटी बजाते रहे पुलिसकर्मी
अदालत में पेशी के बाद जब पुलिस अमिताभ ठाकुर को वाराणसी जेल ले जा रही थी, तब एक असामान्य दृश्य देखने को मिला। उनकी आवाज मीडिया तक न पहुंचे, इसके लिए करीब 200 पुलिसकर्मी लगातार सीटी बजाते रहे। यह नज़ारा वहां मौजूद पत्रकारों और आम लोगों के लिए चौंकाने वाला था।
कई पत्रकारों ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़ा मुद्दा बताया, जबकि पुलिस प्रशासन का कहना था कि यह सुरक्षा कारणों से उठाया गया कदम था।
देवरिया जेल भेजे जाने की तैयारी
पुलिस सूत्रों के अनुसार, 24 घंटे की रिमांड अवधि पूरी होने के बाद अमिताभ ठाकुर को दोबारा देवरिया जेल भेज दिया जाएगा। इससे पहले गुरुवार शाम (18 दिसंबर) को उन्हें बी-वारंट के तहत देवरिया जेल से वाराणसी लाया गया था।
वाराणसी पहुंचने के बाद उन्हें सेंट्रल जेल में रखा गया, जहां उन्हें तन्हाई बैरक में शिफ्ट किया गया था। बताया जा रहा है कि उस रात अमिताभ ठाकुर काफी बेचैन रहे और पूरी रात सो नहीं पाए।
हिंदू संगठनों के आक्रोश के चलते हाई अलर्ट
इस पूरे मामले को लेकर कुछ हिंदू संगठनों में नाराज़गी देखी गई, जिसके चलते प्रशासन ने अतिरिक्त सतर्कता बरती। कोर्ट परिसर के भीतर और बाहर करीब 500 पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे। हर गेट पर लगभग 100 पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई थी।
इसके अलावा आसपास के इलाकों में भी सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। संवेदनशील स्थानों पर निगरानी रखी जा रही थी, ताकि किसी भी तरह की अप्रिय घटना को रोका जा सके।
वरिष्ठ अधिकारी भी रहे मौजूद
सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी के लिए डीसीपी काशी ज़ोन गौरव बंसवाल स्वयं भारी पुलिस बल के साथ स्पेशल सीजेएम कोर्ट पहुंचे। उनकी मौजूदगी इस बात का संकेत थी कि प्रशासन इस पूरे मामले को लेकर किसी भी तरह की चूक नहीं करना चाहता।
राजनीतिक और सामाजिक हलकों में चर्चा
पूर्व आईपीएस अधिकारी होने के साथ-साथ अमिताभ ठाकुर एक सामाजिक कार्यकर्ता और राजनीतिक संगठन के अध्यक्ष भी हैं। ऐसे में उनकी गिरफ्तारी और कोर्ट में पेशी को लेकर राजनीतिक और सामाजिक हलकों में भी चर्चाएं तेज हैं। समर्थकों का कहना है कि उनके साथ अन्याय हो रहा है, जबकि विरोधी इसे कानून का सामान्य पालन बता रहे हैं।
आगे की कानूनी लड़ाई
अब सबकी निगाहें 24 घंटे की रिमांड के बाद होने वाली अगली कार्रवाई पर टिकी हैं। अमिताभ ठाकुर के वकीलों ने संकेत दिए हैं कि वे रिमांड आदेश को उच्च अदालत में चुनौती दे सकते हैं। आने वाले दिनों में यह मामला और तूल पकड़ सकता है।
Former IPS officer and Azad Adhikar Sena president Amitabh Thakur was produced before the Varanasi court under tight security arrangements by Uttar Pradesh Police. He was sent on a 24-hour police remand amid legal objections raised by his counsel. The case has sparked discussions on law, civil rights, police procedure, and prison administration in Uttar Pradesh.



















