Mahakumbh 2025: Avimukteshwaranand Saraswati’s Statement Against UP Government
महाकुंभ 2025: शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने यूपी सरकार पर साधा निशाना, बोले- “गोरक्षा के लिए 2027 में नया नेता चुनेंगे”
AIN NEWS 1: प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ 2025 के दौरान शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने यूपी सरकार पर तीखा हमला बोला। मौनी अमावस्या पर मुख्य स्नान से पहले उन्होंने गोरक्षा, धर्म, और समाज के अन्य मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि गोरक्षनाथ पीठाधीश्वर के शासन में भी गौहत्या हो रही है, जो चिंताजनक है। शंकराचार्य ने स्पष्ट किया कि 2027 के विधानसभा चुनाव में वे मौजूदा सरकार को समर्थन नहीं देंगे और गोरक्षा को प्राथमिकता देने वाले नेताओं को बढ़ावा देंगे।
गौरक्षा पर सवाल और 2027 के लिए नया नेता चुनने का आह्वान
शंकराचार्य ने गोरक्षा के मुद्दे पर यूपी सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि राज्य में जगह-जगह गायों की हत्या हो रही है। उन्होंने सीएम योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधते हुए कहा कि गोरक्षनाथ पीठ के पीठाधीश्वर होने के बावजूद उनके शासन में गौहत्या जारी है। उन्होंने कहा, “अब समय आ गया है कि 2027 के चुनाव में नए नेताओं और पार्टियों को मौका दिया जाए।”
धर्म संसद में गाय और सनातन धर्म पर चर्चा
महाकुंभ के सेक्टर-12 में शंकराचार्य की धर्म संसद चल रही है, जहां गोरक्षा और सनातन धर्म से जुड़े विभिन्न विषयों पर चर्चा हो रही है। धर्म संसद में पारित किए गए प्रस्तावों को ‘परमादेश’ नाम दिया गया है। शंकराचार्य ने कहा, “गौहत्या रोकने और सनातन धर्म की रक्षा करने वाले ही इस देश का नेतृत्व करने के लायक हैं।”
सनातन धर्म और मोक्ष पर विचार
शंकराचार्य ने सनातन धर्म की परिभाषा बताते हुए कहा कि यह मनुष्य को उसके स्वाभाविक पतन से बचाकर ऊंचाई पर ले जाने का प्रयास है। उन्होंने मोक्ष के महत्व पर बात करते हुए कहा, “जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति ही मोक्ष है। अच्छे कर्मों से मनुष्य अपने जीवन को ऊंचा उठा सकता है और दुखों से बच सकता है।”
ईश्वर और देवता की परिभाषा
शंकराचार्य ने ईश्वर और देवता के बीच अंतर समझाते हुए कहा, “ईश्वर सृष्टि का संचालन करता है, जबकि देवता वह शक्ति हैं जो हमारी अच्छी इच्छाओं को पूरा करती हैं। ब्रह्म, परमात्मा और ईश्वर, ये सब एक ही शक्ति के अलग-अलग रूप हैं।”
कर्मकांड का महत्व
कर्मकांड के महत्व पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह धर्म का बाहरी आवरण है, जो अंतःकरण को संरक्षित करने का काम करता है। “महाकुंभ जैसे पुण्य क्षेत्रों में तप और त्याग से मनुष्य का मन आध्यात्मिक रूप से अधिक पवित्र हो जाता है,” उन्होंने कहा।
विवादित मुद्दों पर टिप्पणी
महाकुंभ में कुछ विवादित मुद्दों, जैसे कि हर्षा रिछारिया का शाही रथ पर बैठना, पर उन्होंने नाराजगी जताई। उन्होंने इसे विकृत मानसिकता का परिणाम बताते हुए कहा, “महाकुंभ में चेहरे की सुंदरता नहीं, हृदय की सुंदरता देखी जानी चाहिए। भगवा कपड़े पहनकर रथ पर बैठना पूरी तरह गलत है।”
रीति-रिवाज और रूढ़िवाद का अंतर
शंकराचार्य ने रीति-रिवाज और रूढ़िवाद के बीच अंतर स्पष्ट करते हुए कहा कि रीति किसी महापुरुष द्वारा चलाई जाती है, जबकि रूढ़िवाद स्वयं उत्पन्न होता है। उन्होंने शंकराचार्य, वल्लभाचार्य, और रामानुजाचार्य जैसे महापुरुषों का उदाहरण देते हुए बताया कि उनकी परंपराओं का अनुसरण आज भी किया जाता है।
महाकुंभ में स्नान का महत्व
स्नान की महत्ता पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि गंगा के पवित्र जल में मन की मलिनता को धोने की शक्ति है। “स्नान केवल शारीरिक शुद्धि का माध्यम नहीं है, बल्कि यह आध्यात्मिक शुद्धि का मार्ग भी है,” उन्होंने कहा।
महाकुंभ 2025 में शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने सरकार की नीतियों पर खुलकर अपनी बात रखी। उन्होंने गोरक्षा, सनातन धर्म की रक्षा और आध्यात्मिकता के महत्व पर जोर दिया। 2027 के चुनावों के लिए उन्होंने नई सरकार चुनने की अपील की और वर्तमान व्यवस्था को सुधारने की आवश्यकता बताई।
During Mahakumbh 2025, Shankaracharya Avimukteshwaranand Saraswati openly criticized the UP government for failing to prevent cow slaughter despite being led by the Gorakhnath Peethadheeshwar, CM Yogi Adityanath. He emphasized the need for a new leadership in the 2027 elections, highlighting issues like cow protection, Sanatan Dharma principles, and the significance of spiritual and moral upliftment.