Ainnews1.com: बताते चले रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग थमने का नाम ही नहीं ले रही है. दोनों देशों में से कोई भी अभी तक पीछे हटने को तैयार नहीं है, इस बीच अमेरिका ने अपने नागरिकों से तुरंत रूस छोड़ने के लिए कहा है. रूस की राजधानी मास्को में स्थित अमेरिकी दूतावास ने बुधवार को सिक्योरिटी अलर्ट जारी कर दिया और कहा है कि जो भी अमेरिकी नागरिक इस वक्त रूस में हैं, वे तत्काल वहां से निकल जाएं और जो भी लोग रूस जाने की योजना बना रहे हैं, वे फिलहाल वहां की यात्रा करने से खुद को रोक ले .
अमेरिका के अलर्ट जारी करने के पीछे की मुख्य वजह रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का वह फैसला है, जिसमें उन्होंने रूस के पुरुषों को यूक्रेन के खिलाफ जंग में शामिल होने का आदेश दे दिया है. पुतिन के इस आदेश के बाद बड़ी तादाद में रूस से पुरुषों का पलायन अब शुरू हो गया है. लाखों की तादाद में रूस से लोग पलायन करने की कोशिश कर रहे हैं.इस बीच अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस और यूक्रेन के बीच समझौता कराने का ऑफर भी दिया है. उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा कि अमेरिका की लीडरशिप को थोड़ा नरम रुख अपनाने की जरूरत है. ये एक बड़ा इवेंट है, इसलिए इसका हल भी बड़ा ही होगा. ट्रंप ने आगे कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच जो चल रहा है, वह कभी नहीं होना चाहिए था. अगर मैं इस वक्त अमेरिका का राष्ट्रपति होता तो ऐसा बिलकुल नहीं होता. दोनों देशो को इस समय एक समझौते पर पहुंचने की बहुत ज्यादा जरूरत है. अगर ऐसा नहीं होता है तो पूरी दुनिया को ही इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है.रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग के साथ ही अमेरिका ने यूक्रेन को दी जा रही मदद अब बढ़ा दी है. अमेरिका ने यूक्रेन को 1.1 बिलियन डॉलर के हथियार और देने का ऐलान किया है. इस बीच ब्रिटेन ने भी यूक्रेन को मदद का पूरा भरोसा दिया है. ब्रिटिश प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को आश्वासन दिया है कि पुतिन के ‘पराजित’ होने तक ब्रिटेन, यूक्रेन का साथ इसी प्रकार देता रहेगा.
हाल ही में रूस ने ग्लोबल मार्केट में तेल की सप्लाई (Oil Supply) रोकने की बात कही थी. इसके पीछे की एक मात्र वजह है तेल की कीमत. रूस का कहना है कि अगर जी-7 देशों की तरफ से प्रस्तावित तेल की कीमत उचित नहीं होगी, तो वह वैश्विक बाजार में तेल की सप्लाई को बंद कर देगा. भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये बात कही थी. उन्होंने कहा था कि अगर जी-7 देशों द्वारा प्रस्तावित तेल की कीमत सीमा (Price Cap) हमारे लिए उचित नहीं है और उसे स्वीकार नहीं करते हैं, तो हम ग्लोबल मार्केट में तेल की सप्लाई को रोक देंगे.