बर्खास्त सिपाही आलोक प्रताप सिंह का शाही ठाठ: ED की छापेमारी में उजागर हुआ 1000 करोड़ का कफ सिरप तस्करी नेटवर्क!

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AIN NEWS 1: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुई एक छापेमारी ने न सिर्फ पुलिस व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी दिखा दिया है कि अपराध और सत्ता की मिलीभगत कितनी गहरी हो सकती है। यह छापेमारी किसी बड़े कारोबारी या फिल्मी हस्ती के यहां नहीं, बल्कि एक बर्खास्त पुलिस सिपाही के घर हुई — और वहीं से शुरू हुआ हैरान कर देने वाला खुलासा।

प्रवर्तन निदेशालय (ED) और उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने जब पूर्व कांस्टेबल आलोक प्रताप सिंह के लखनऊ स्थित आवास पर छापा मारा, तो किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि एक साधारण सिपाही का घर लग्जरी, ऐशो-आराम और करोड़ों की संपत्ति का अड्डा निकलेगा।

बाहर से ही ‘महल’ जैसा दिखने वाला बंगला

करीब 7,000 वर्ग फुट में फैला यह बंगला दूर से ही लोगों का ध्यान खींचता है। आसपास के लोग इसे पहले से ही “महल” कहकर पुकारते थे, लेकिन इसके अंदर का नज़ारा जांच एजेंसियों को भी चौंका गया।

घर के भीतर यूरोपियन स्टाइल का इंटीरियर, स्पाइरल सीढ़ियां, विंटेज डिजाइन की लाइटिंग, महंगे परदे, विदेशी फर्नीचर, आलीशान ड्राइंग रूम और सुसज्जित बेडरूम — हर कोना किसी बड़े उद्योगपति या फिल्मी सेठ के घर जैसा दिखाई देता है।

केवल इंटीरियर पर ही 2 करोड़ का खर्च!

जांच से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, प्रारंभिक आकलन में सामने आया है कि:

घर के इंटीरियर पर करीब 1.5 से 2 करोड़ रुपये खर्च किए गए

बंगले के निर्माण पर लगभग 5 करोड़ रुपये की लागत आई

इसमें जमीन की कीमत शामिल नहीं है

अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि एक बर्खास्त सिपाही इतनी बड़ी रकम कहां से लाया?

गुच्ची, प्राडा और राडो… लग्जरी का पूरा खजाना

छापेमारी के दौरान ईडी और एसटीएफ को जो सामान मिला, उसने अधिकारियों को भी कुछ देर के लिए स्तब्ध कर दिया। बरामद वस्तुओं में शामिल हैं:

Gucci और Prada जैसे इंटरनेशनल ब्रांड के महंगे हैंडबैग

Rado कंपनी की कई लग्जरी घड़ियां, जिनकी कीमत लाखों में बताई जा रही है

महंगे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स

विदेशी ब्रांड का फर्नीचर और सजावटी सामान

इन सभी की कुल कीमत का आकलन अभी जारी है।

सरकारी वैल्यूअर करेगा संपत्ति का मूल्यांकन

ईडी ने अब एक सरकारी मान्यता प्राप्त वैल्यूअर को नियुक्त किया है, जो यह तय करेगा कि:

कुल संपत्ति की वास्तविक कीमत कितनी है

इसमें से कितना निवेश अवैध कमाई से किया गया

मनी लॉन्ड्रिंग के पुख्ता सबूत क्या हैं

इसी रिपोर्ट के आधार पर आगे कुर्की और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

कौन है आलोक प्रताप सिंह?

आलोक प्रताप सिंह कभी उत्तर प्रदेश पुलिस में कांस्टेबल हुआ करता था। लेकिन उसका करियर विवादों से भरा रहा।

उसे 2019 में दूसरी बार सेवा से बर्खास्त किया गया

नौकरी जाने के बाद भी वह अपराध की दुनिया से बाहर नहीं हुआ

बल्कि पुलिस के अनुसार, वह धीरे-धीरे एक अंतर्राज्यीय और अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का अहम हिस्सा बन गया

उसके पुराने पुलिस और राजनीतिक संपर्कों ने उसे नेटवर्क खड़ा करने में मदद की।

2 दिसंबर को STF ने किया गिरफ्तार

यूपी पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने 2 दिसंबर को आलोक प्रताप सिंह को गिरफ्तार किया।

यह गिरफ्तारी एक अन्य आरोपी अमित कुमार सिंह उर्फ अमित ‘टाटा’ से पूछताछ के दौरान मिले अहम इनपुट्स के आधार पर की गई।

अमित ‘टाटा’ फिलहाल लखनऊ जेल में बंद है

उससे लगातार पूछताछ जारी है

उसी से मिली जानकारी ने आलोक प्रताप सिंह तक जांच की कड़ी जोड़ी

क्या है CBCS यानी कफ सिरप तस्करी का पूरा खेल?

यह पूरा मामला कोडीन बेस्ड कफ सिरप (CBCS) की अवैध तस्करी से जुड़ा है।

जांच एजेंसियों के अनुसार:

यह रैकेट करीब 1,000 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा हो सकता है

कफ सिरप को नशे के रूप में इस्तेमाल के लिए बेचा जाता था

उत्तर प्रदेश और झारखंड में इसकी थोक इकाइयां चलाई जाती थीं

यहां से सिरप को अन्य राज्यों के साथ-साथ नेपाल और बांग्लादेश तक तस्करी किया जाता था

युवाओं को बनाया नेटवर्क का हिस्सा

पुलिस का दावा है कि आलोक प्रताप सिंह ने:

चंदौली

गाजीपुर

जौनपुर

वाराणसी

जैसे जिलों के युवाओं को अपने नेटवर्क से जोड़ा।

उन्हें:

तस्करी

भंडारण

वितरण

जैसे कामों में लगाया गया। बदले में उन्हें पैसे और सुरक्षा का भरोसा दिया गया।

पुलिस और राजनीतिक संपर्कों का किया इस्तेमाल

जांच में यह भी सामने आया है कि आलोक प्रताप सिंह ने:

अपने पुराने पुलिस संपर्कों

कुछ स्थानीय राजनीतिक रिश्तों

का इस्तेमाल कर नेटवर्क को लंबे समय तक सुरक्षित रखा।

इसी संरक्षण के चलते यह अवैध धंधा सालों तक फलता-फूलता रहा और करोड़ों की कमाई होती रही।

अब जांच के घेरे में और बड़े नाम?

ईडी और एसटीएफ की संयुक्त जांच अभी शुरुआती दौर में है। अधिकारियों का मानना है कि आने वाले दिनों में:

कई और बड़े नाम सामने आ सकते हैं

अंतरराष्ट्रीय लिंक और गहरे हो सकते हैं

मनी ट्रेल के जरिए और संपत्तियों का खुलासा संभव है

यह मामला अब सिर्फ एक बर्खास्त सिपाही तक सीमित नहीं रहा।

सिस्टम पर उठते सवाल

इस पूरे खुलासे ने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं:

क्या एक बर्खास्त सिपाही इतने बड़े नेटवर्क को अकेले चला सकता था?

क्या उसे सिस्टम के भीतर से संरक्षण मिला?

इतने सालों तक करोड़ों की तस्करी कैसे छिपी रही?

इन सवालों के जवाब आने वाले समय में जांच एजेंसियों को देने होंगे।

The ED raid on former UP Police constable Alok Pratap Singh in Lucknow has uncovered a massive money laundering and codeine-based cough syrup smuggling racket worth nearly Rs 1000 crore. Luxury items, high-end branded bags, expensive watches and a lavish bungalow raised serious questions about the source of income of the dismissed constable. The investigation by ED and STF is now focusing on international drug trafficking links, illegal CBCS trade, and financial transactions connected to Nepal and Bangladesh.

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