AIN NEWS 1: पड़ोसी देश बांग्लादेश इस समय अपने इतिहास के सबसे कठिन और अस्थिर दौर से गुजर रहा है। अगस्त 2024 में लंबे समय से सत्ता में रहीं प्रधानमंत्री शेख हसीना के तख्तापलट के बाद देश की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति लगातार बिगड़ती चली गई है। सत्ता परिवर्तन के बाद जो उम्मीदें लोकतांत्रिक स्थिरता को लेकर जताई जा रही थीं, वे अब हिंसा, अविश्वास और अराजकता में बदलती नजर आ रही हैं।
तख्तापलट के बाद नहीं थमी अशांति
शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद बांग्लादेश में राजनीतिक शक्ति संतुलन पूरी तरह बिगड़ गया। सेना, अंतरिम प्रशासन और विभिन्न राजनीतिक गुटों के बीच खींचतान शुरू हो गई। शासन व्यवस्था कमजोर पड़ने लगी और इसका सीधा असर कानून-व्यवस्था पर देखने को मिला। कई इलाकों में पुलिस और प्रशासन की पकड़ ढीली पड़ गई, जिसका फायदा असामाजिक तत्वों ने उठाया।
छात्र राजनीति फिर बनी बदलाव की आवाज
बांग्लादेश में छात्र राजनीति हमेशा से सामाजिक बदलाव का मजबूत माध्यम रही है। इस बार भी हालात बिगड़ने पर सबसे पहले आवाज छात्रों ने ही उठाई। ढाका यूनिवर्सिटी, जो देश की राजनीतिक चेतना का केंद्र मानी जाती है, वहां से विरोध की लहर पूरे देश में फैल गई।
हाल ही में ढाका यूनिवर्सिटी के छात्र संगठनों ने देशभर में विरोध मार्च का ऐलान किया। इन मार्चों का मकसद केवल सरकार के खिलाफ नारा लगाना नहीं था, बल्कि बिगड़ती कानून व्यवस्था, बढ़ती हिंसा और आम नागरिकों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताना भी था।
उस्मान हादी की हत्या ने झकझोरा देश
छात्र आंदोलन को उस समय बड़ा झटका लगा जब चर्चित छात्र नेता उस्मान हादी की हत्या कर दी गई। उस्मान हादी न केवल ढाका यूनिवर्सिटी के सक्रिय छात्र नेता थे, बल्कि वे लोकतांत्रिक मूल्यों और मानवाधिकारों की खुलकर बात करने वालों में गिने जाते थे।
उनकी हत्या को छात्र संगठनों ने “राजनीतिक साजिश” करार दिया है। छात्रों का आरोप है कि सरकार और प्रशासन असहमति की आवाजों को दबाने में नाकाम नहीं, बल्कि कहीं न कहीं इसमें शामिल भी है। उस्मान हादी की मौत के बाद विश्वविद्यालय परिसरों में गुस्सा और आक्रोश साफ देखने को मिल रहा है।
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अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमले
राजनीतिक अस्थिरता का सबसे भयावह चेहरा तब सामने आया जब एक हिंदू युवक की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। इस घटना ने न सिर्फ बांग्लादेश बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी झकझोर कर रख दिया।
अल्पसंख्यक समुदायों का कहना है कि सत्ता के खालीपन और प्रशासनिक कमजोरी के कारण वे खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। मंदिरों, घरों और दुकानों पर हमलों की खबरें भी सामने आ रही हैं। मानवाधिकार संगठनों ने इसे बेहद चिंताजनक स्थिति बताया है।
सड़कों पर उतरे छात्र, पूरे देश में मार्च
इन सभी घटनाओं के विरोध में ढाका यूनिवर्सिटी के छात्र संगठनों ने आज देशभर में विरोध मार्च निकाला। राजधानी ढाका से लेकर चटगांव, सिलहट और राजशाही तक छात्रों ने सड़कों पर उतरकर सरकार से जवाब मांगा।
छात्रों की मुख्य मांगें हैं:
उस्मान हादी की हत्या की निष्पक्ष जांच
अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना
कानून व्यवस्था बहाल करना
जल्द से जल्द पारदर्शी चुनाव की घोषणा
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यदि उनकी आवाज को अनसुना किया गया तो आंदोलन और तेज होगा।
अंतरिम सरकार पर बढ़ता दबाव
अंतरिम प्रशासन के लिए यह स्थिति बेहद चुनौतीपूर्ण बन गई है। एक ओर राजनीतिक दलों का दबाव है, दूसरी ओर सड़कों पर उबलता जनआक्रोश। सरकार अब तक हालात पर पूरी तरह नियंत्रण पाने में असफल नजर आ रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि जल्द ही ठोस राजनीतिक समाधान नहीं निकाला गया, तो बांग्लादेश गृह अशांति की ओर बढ़ सकता है। आर्थिक गतिविधियां भी प्रभावित हो रही हैं और विदेशी निवेशकों में डर का माहौल है।
अंतरराष्ट्रीय नजरें बांग्लादेश पर
भारत समेत कई पड़ोसी देश और अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं बांग्लादेश की स्थिति पर करीबी नजर बनाए हुए हैं। मानवाधिकार उल्लंघन, अल्पसंख्यकों पर हमले और राजनीतिक हत्याएं वैश्विक चिंता का विषय बन चुकी हैं।
संयुक्त राष्ट्र और अन्य संगठनों ने सभी पक्षों से संयम बरतने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बहाल करने की अपील की है।
आगे क्या?
बांग्लादेश इस समय एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा है। या तो राजनीतिक नेतृत्व आपसी मतभेद भुलाकर देश को स्थिरता की राह पर ले जाए, या फिर हालात और अधिक बिगड़ सकते हैं। छात्र आंदोलन, जनता की नाराजगी और बढ़ती हिंसा यह संकेत दे रही है कि बदलाव की मांग अब दबाई नहीं जा सकती।
देश का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि सरकार जनता की आवाज सुनती है या नहीं।
Bangladesh is witnessing a severe political crisis after the ouster of Sheikh Hasina in August 2024. The murder of student leader Osman Hadi, incidents of mob lynching, and nationwide protests led by Dhaka University students have intensified unrest across the country. Weak governance, rising violence, and threats to minority communities have raised serious concerns about democracy, law and order, and human rights in Bangladesh.



















