AIN NEWS 1 | बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के एग्जिट पोल के नतीजे सामने आ चुके हैं, और सभी प्रमुख एजेंसियों ने एक बार फिर से नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (NDA) को स्पष्ट बहुमत का संकेत दिया है।
दो चरणों (6 और 11 नवंबर) में हुए मतदान में इस बार रिकॉर्ड तोड़ वोटिंग देखने को मिली, जिससे अनुमान लगाया जा रहा था कि मुकाबला कड़ा होगा। लेकिन अब जो रुझान सामने आए हैं, वे बताते हैं कि जनता ने एक बार फिर नीतीश कुमार और एनडीए पर भरोसा जताया है।
पोल ऑफ पोल्स क्या कहता है?
कुल 9 एजेंसियों द्वारा जारी किए गए एग्जिट पोल का औसत निकालने पर यह स्पष्ट होता है कि NDA को लगभग 150-152 सीटें, जबकि महागठबंधन (RJD + कांग्रेस + वाम दल + VIP) को करीब 84-86 सीटें मिलने का अनुमान है।
तीसरे मोर्चे या अन्य दलों के खाते में सिर्फ 4-6 सीटें जाती दिख रही हैं।
9 एजेंसियों के आंकड़े (Poll of Polls Summary)
| SN | एजेंसी | NDA सीटें | महागठबंधन | अन्य |
|---|---|---|---|---|
| 1 | मैट्रिज-IANS | 147-167 | 70-90 | 0 |
| 2 | पीपुल पल्स | 133-159 | 75-101 | 2-13 |
| 3 | पीपुल्स इनसाइट | 133-148 | 87-102 | 3-8 |
| 4 | चाणक्य | 130-138 | 100-108 | 3-5 |
| 5 | पोलस्ट्रेट | 133-148 | 87-102 | 3-5 |
| 6 | JVC Polls | 135-150 | 88-103 | 3-6 |
| 7 | पोल डायरी | 184-209 | 32-49 | 1-5 |
| 8 | टाइम्स नॉव | 143 | 95 | 5 |
| 9 | दैनिक भास्कर | 145-160 | 73-91 | 5-10 |
➡️ पोल ऑफ पोल्स का औसत:
NDA – 150 सीटें | महागठबंधन – 86 सीटें | अन्य – 5 सीटें
क्या रहा खास इस चुनाव में?
इस बार बिहार ने ऐतिहासिक वोटिंग प्रतिशत दर्ज किया। कई जिलों में 2015 और 2020 की तुलना में 8-10% अधिक मतदान हुआ।
विशेषज्ञों का कहना है कि उच्च मतदान प्रतिशत आमतौर पर बदलाव का संकेत देता है, लेकिन इस बार यह ट्रेंड NDA के पक्ष में गया है।
NDA की संभावित बढ़त के कारण
नीतीश कुमार का दोबारा NDA में लौटना:
2022 में विपक्ष छोड़कर दोबारा बीजेपी के साथ आने के बाद, नीतीश ने स्थिरता और शासन पर फोकस किया।मोदी फैक्टर:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता अभी भी बिहार के ग्रामीण और शहरी दोनों वर्गों में मजबूत बनी हुई है।विकास और महिला सुरक्षा पर फोकस:
JDU और BJP दोनों ने महिलाओं के लिए योजनाओं, सड़कों, बिजली और शिक्षा पर ज़ोर दिया।महागठबंधन में समन्वय की कमी:
RJD, कांग्रेस और वाम दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर मतभेद चुनाव तक बने रहे।
महागठबंधन की स्थिति
महागठबंधन में इस बार राजद (तेजस्वी यादव), कांग्रेस, CPI, CPM, CPI-ML, और Vikasheel Insaan Party (VIP) शामिल हैं।
हालांकि यह गठबंधन सामाजिक समीकरणों पर आधारित था, लेकिन एकजुटता और नेतृत्व के अभाव के कारण वोटर तक स्पष्ट संदेश नहीं पहुंच पाया।
सीट बंटवारा और राजनीतिक समीकरण
इस चुनाव में पहली बार BJP और JDU ने बराबर सीटों (101-101) पर चुनाव लड़ा।
यह 2005 के बाद ऐसा मौका था जब दोनों दलों में सीटों की समानता बनी — जो यह दर्शाता है कि अब जेडीयू को भी बराबर महत्व दिया गया है।
इससे NDA में एक नया संतुलन स्थापित हुआ है।
नीतीश कुमार की राजनीतिक यात्रा
नीतीश कुमार ने बिहार की राजनीति में कई बार “U-turn” लेकर सभी को चौंकाया।
2013 में उन्होंने BJP से 17 साल पुराना गठबंधन तोड़ा और लालू यादव के साथ मिल गए।
2015 में RJD+कांग्रेस गठबंधन के साथ सत्ता में लौटे, लेकिन
2017 में फिर से इस्तीफा देकर NDA में शामिल हो गए।
2022 में एक बार फिर NDA छोड़ा, परंतु 2024 में उन्होंने विपक्षी देरी और नेतृत्व संकट का हवाला देते हुए फिर से NDA में वापसी की।
अब उन्होंने साफ कहा है — “अब कोई पलटी नहीं, हम NDA के साथ हैं।”
क्या कह रहे हैं विशेषज्ञ?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि
बिहार के मतदाता ने स्थिर सरकार और विकास को प्राथमिकता दी है।
जबकि महागठबंधन ने बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दे उठाए, लेकिन वोटर उस पर भरोसा नहीं कर पाए।
NDA का ग्राउंड काडर, विशेषकर बीजेपी का बूथ मैनेजमेंट, निर्णायक साबित हुआ।
एग्जिट पोल्स पर भरोसा कितना सही?
इतिहास बताता है कि एग्जिट पोल हमेशा सटीक नहीं होते।
2020 और 2015 के चुनावों में भी कई एजेंसियां गलत साबित हुई थीं।
इसलिए अंतिम नतीजों के लिए 14 नवंबर को होने वाली वोटों की गिनती का इंतजार करना ही बेहतर होगा।
बिहार के एग्जिट पोल से यह साफ संकेत मिल रहा है कि राज्य की जनता ने स्थिरता और नेतृत्व को प्राथमिकता दी है।
अगर नतीजे एग्जिट पोल्स के अनुरूप आए, तो नीतीश कुमार लगातार आठवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं — जो बिहार की राजनीति में एक रिकॉर्ड होगा।



















