AIN NEWS 1: बिहार सरकार ने प्रदेश के ग्रामीण इलाकों को आत्मनिर्भर बनाने और पशुपालन क्षेत्र को मजबूती देने की दिशा में एक बड़ा और दूरगामी कदम उठाया है। राज्य के सभी जिलों में ‘आदर्श गौशाला’ की स्थापना की जाएगी। इस महत्वाकांक्षी योजना पर मुहर बिहार एग्रीकल्चर मैनेजमेंट एंड एक्सटेंशन ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (BAMETI) की हालिया बैठक में लग चुकी है।
सरकार का मानना है कि गौशाला केवल बेसहारा पशुओं के संरक्षण का केंद्र नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था, पशुधन विकास और रोजगार सृजन का भी मजबूत माध्यम बन सकती है। इसी सोच के तहत डेयरी, मत्स्य एवं पशु संसाधन विभाग ने हर जिले के लिए एक विस्तृत और व्यावहारिक कार्य योजना तैयार की है।
🐄 केवल पशु संरक्षण नहीं, बहुआयामी विकास का मॉडल
इस योजना की खास बात यह है कि इसे सिर्फ परंपरागत गौशाला के रूप में नहीं देखा जा रहा, बल्कि इसे आधुनिक और वैज्ञानिक ढंग से संचालित विकास केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। कार्य योजना में गौशाला को ग्रामीण विकास से जोड़ने के साथ-साथ इको टूरिज्म (Eco Tourism) का केंद्र बनाने पर भी जोर दिया गया है।
सरकारी अधिकारियों के अनुसार, इन आदर्श गौशालाओं में स्थानीय लोग न सिर्फ पशुपालन की आधुनिक तकनीक सीख सकेंगे, बल्कि यहां आने वाले पर्यटकों को भी ग्रामीण संस्कृति, देसी नस्ल की गायों और प्राकृतिक जीवनशैली से रूबरू होने का अवसर मिलेगा।
🏛 BAMETI बैठक में लिया गया अहम फैसला
BAMETI में आयोजित बैठक के दौरान इस परियोजना की रूपरेखा पर विस्तार से चर्चा की गई। बैठक की अध्यक्षता कर रहीं डेयरी, मत्स्य एवं पशु संसाधन विभाग की अपर मुख्य सचिव डॉ. एन. विजयलक्ष्मी ने स्पष्ट कहा कि अब समय आ गया है कि गौशालाओं के संचालन में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और आधुनिक तकनीक को अपनाया जाए।
उन्होंने कहा कि परंपरागत तरीकों से हटकर यदि टेक्नोलॉजी, डेटा मैनेजमेंट और वैज्ञानिक पद्धतियों को जोड़ा जाए, तो गौशालाएं आत्मनिर्भर बन सकती हैं और सरकार पर आर्थिक बोझ भी नहीं बनेंगी।
🔬 वैज्ञानिक प्रबंधन और तकनीकी समाधान पर जोर
आदर्श गौशालाओं के प्रबंधन में कई आधुनिक पहलुओं को शामिल किया जाएगा, जैसे—
पशुओं के स्वास्थ्य की नियमित वैज्ञानिक जांच
बेहतर चारा प्रबंधन और पोषण योजना
गोबर से बायोगैस और जैविक खाद का उत्पादन
डिजिटल रिकॉर्ड और मॉनिटरिंग सिस्टम
पशुपालकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम
इन उपायों से न सिर्फ पशुओं की सेहत सुधरेगी, बल्कि गौशालाओं को आर्थिक रूप से टिकाऊ (Financially Sustainable) भी बनाया जा सकेगा।
🌾 ग्रामीण रोजगार और किसानों को सीधा लाभ
सरकार का दावा है कि इस योजना से ग्रामीण क्षेत्रों में स्थायी रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। गौशाला संचालन, चारा उत्पादन, डेयरी गतिविधियां, बायोगैस प्लांट और इको टूरिज्म से जुड़ी सेवाओं में स्थानीय युवाओं को काम मिलेगा।
इसके अलावा, किसानों को जैविक खाद सस्ती दरों पर उपलब्ध होगी, जिससे खेती की लागत कम होगी और उत्पादन बढ़ेगा। पशुपालकों को भी बेहतर प्रशिक्षण और सुविधाएं मिलने से उनकी आय में इजाफा होने की उम्मीद है।
🌱 इको टूरिज्म से जुड़ेगा गांव
आदर्श गौशालाओं को इको टूरिज्म से जोड़ने की योजना सरकार की इस सोच को दर्शाती है कि गांवों को भी पर्यटन के नक्शे पर लाया जाए। यहां आने वाले पर्यटक—
देसी गायों की नस्लों को करीब से देख सकेंगे
जैविक खेती और ग्रामीण जीवनशैली को समझ सकेंगे
स्थानीय उत्पादों को खरीद सकेंगे
इससे गांवों की पहचान बनेगी और स्थानीय अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी।
📌 चरणबद्ध तरीके से होगा क्रियान्वयन
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, इस योजना को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। पहले चरण में जमीन की पहचान, आधारभूत संरचना और प्रबंधन मॉडल तैयार किया जाएगा। इसके बाद धीरे-धीरे सभी जिलों में आदर्श गौशालाएं विकसित की जाएंगी।
राज्य सरकार का लक्ष्य है कि यह मॉडल भविष्य में अन्य राज्यों के लिए भी उदाहरण (Model Project) बन सके।
कुल मिलाकर, बिहार सरकार की यह पहल सिर्फ गौशाला निर्माण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण विकास, पशुधन संरक्षण, रोजगार और पर्यावरण संतुलन को एक साथ साधने की कोशिश है। यदि योजना को सही तरीके से लागू किया गया, तो यह बिहार के गांवों की तस्वीर और तकदीर दोनों बदल सकती है।
The Bihar government has announced a major initiative to establish model Gaushalas in every district to promote rural development, animal husbandry, dairy sector growth and eco tourism. Approved in a BAMETI meeting, the project focuses on scientific management, modern technology and sustainable income generation. These model Gaushalas will support farmers, create rural employment and strengthen the animal welfare ecosystem across Bihar.



















